एक जमाना था जब लोग ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का ठीक वैसे ही इंतजार करते हैं, जैसे आज के सैटेलाइट टीवी के दौर में लोग 'बिग बॉस', 'केबीसी' या इन जैसे अन्य कार्यक्रमों की बाट जोहते हैं. बदलते दौर में रेडियो का स्थान मोबाइल (Mobile) ने ले लिया है. हालांकि अब मोबाइल पर एफएम रेडियो (FM Radio) की सुविधा ने परंपरागत रेडियो की भरपाई करने की कोशिश जरूर की है, लेकिन एक पीढ़ी की आज भी रेडियो से जुड़ी यादें ताजा है. रेडियो एक जमाने में रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा हुआ करता था. कह सकते हैं कि भले ही आज स्मार्टफोन (SmartPhone) का ट्रेंड हो लेकिन रेडियो के प्रति लोगों की दीवानगी आज भी कम नहीं हुई है. संभवतः यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रेडियो पर ही 'मन की बात' (Mann Ki baat) करते हैं. ऐसे में 'वर्ल्ड रेडियो डे' पर जानते हैं आज के दिन से जुड़ी खास बातें...
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रेडियो पर पहली बार गूंजी थी वॉयलिन की धुन
24 दिसम्बर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने वॉयलिन बजाया, जिसके बाद अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, यह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी. वैसे तो रेडियो की शुरुआत जगदीश चन्द्र बसु ने भारत में तथा गुल्येल्मो मार्कोनी ने सन 1900 में ही कर दी थी, लेकिन एक से अधिक व्यक्तियों को एक साथ संदेश भेजने या ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत 1906 में फेसेंडेन के साथ हुई. उस समय रेडियो का प्रयोग केवल नौसेना तक ही सीमित था.
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1918 मं शुरू हुआ पहला रेडियो स्टेशन
1918 में ली द फोरेस्ट ने न्यूयॉर्क के हाईब्रिज इलाके में दुनिया का पहला रेडियो स्टेशन शुरु किया था जोकि बाद में किसी वजह से बंद हो गया. एक साल बाद 1919 में फोरेस्ट ने एक और रेडिया स्टेशन शुरू किया. हालांकि पहली बार रेडियो को कानूनी रूप से मान्यता 1920 में मिली, जब नौसेना के रेडियो विभाग में काम कर चुके फ्रैंक कॉनार्ड को रेडियो स्टेशन शुरु करने की अनुमति मिली. पहली बार रेडियो में विज्ञापन की शुरुआत 1923 में हुई. इसके बाद ब्रिटेन में बीबीसी और अमेरिका में सीबीएस और एनबीसी जैसे सरकारी रेडियो स्टेशनों की शुरुआत हुई. नवंबर 1941 में सुभाष चंद्र बोस ने रेडियो पर जर्मनी से भारतवासियों को संबोधित किया था.
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भारत में रेडियो की शुरुआत
भारत में रेडियो ब्रॉडकास्ट की शुरुआत 1923 में हुई थी. 1930 में 'इंडियन ब्रॉडकास्ट कंपनी' (IBC) दिवालिया हो गई थी और उसे बेचना पड़ा. इसके बाद 'इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस' को बनाया गया था. 1936 में भारत में सरकारी 'इम्पीरियल रेडियो ऑफ इंडिया' की शुरुआत हुई जो आजादी के बाद ऑल इंडिया रेडियो या आकाशवाणी बन गया. आपको बता दें कि देश में आकाशवाणी के 420 स्टेशन हैं, जिनकी 92% क्षेत्र में 99.19% आबादी तक पहुंच है. आकाशवाणी से 23 भाषाओं और 14 बोलियों में पूरे देश में प्रसारण होता है. देश में 214 सामुदायिक रेडियो प्रसारण केंद्र (कम्युनिटी रेडियो) हैं
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'वर्ल्ड रेडियो डे' का इतिहास
29 सितंबर 2011 को यह फैसला हुआ था कि दुनिया 'वर्ल्ड रेडियो डे' मनाएगी. यूनेस्को के 36वें सत्र ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने औपचारिक रूप से 14 जनवरी 2013 को यूनेस्को के विश्व रेडियो दिवस की घोषणा का समर्थन किया. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 67वें सत्र में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के रूप में घोषित करने के लिए एक संकल्प अपनाया गया और इसी प्रकार 13 फरवरी को हर साल विश्व रेडियो दिवस मनाया जाने लगा.
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महत्व और इस साल की थीम
विश्व रेडियो दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य जनता और मीडिया के बीच रेडियो के महत्व को बढ़ाने के लिए जागरूकता फैलाना है. यह निर्णयकर्ताओं को रेडियो के माध्यम से सूचनाओं की स्थापना और जानकारी प्रदान करने, नेटवर्किंग बढ़ाने और प्रसारकों के बीच एक प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रदान करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है. विश्व रेडियो दिवस 2020 का विषय 'रेडियो और विविधता' (Radio and Diversity) है. इस बार का थीम विविधता और बहुभाषावाद पर केंद्रित है.
HIGHLIGHTS
- रेडियो की शुरुआत जगदीश चन्द्र बसु ने भारत में तथा गुल्येल्मो मार्कोनी ने 1900 में कर दी थी.
- संयुक्त राष्ट्र के फैसले के तहत 13 फरवरी को हर साल विश्व रेडियो दिवस मनाया जाने लगा.
- भारत में आकाशवाणी से 23 भाषाओं और 14 बोलियों में पूरे देश में प्रसारण होता है.