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पुलवामा हमला : तीसरी बरसी पर शहीदों को नमन, कायर आतंकियों को करारा जवाब

पुलवामा आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार के बेहद सख्त रूख से सीमा पार के आतंकियों और उनके आकाओं पर नकेल कसी जाने लगी. टेरर फंडिंग के रास्ते रोकने से हथियारों की तस्करी में भी कमी आई.

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Keshav Kumar
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आतंकवाद के खिलाफ देश का निर्णायक युद्ध जीत के करीब( Photo Credit : News Nation)

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देश में तीन साल पहले वैलेंटाइन डे पर जम्मू कश्मीर के पुलवामा में ड्यूटी से लौट रहे सीआरपीएफ के काफिले पर कायर आतंकियों ने छिपकर खतरनाक हमला किया था. पुलवामा हमले की तीसरी बरसी पर शहीद जवानों को पूरा देश नमन कर रहा है. जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 बहादुर जवान शहीद हो गए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ट्वीट कर शहीदों की बहादुरी और त्याग के लिए उन्हें याद किया और श्रद्धांजलि दी.

पुलवामा आतंकी हमले में शहीद 40 जवानों में 5 जवान जम्मू 76 बटालियन के थे. वे सभी ड्यूटी के लिए निकले थे और गाड़ी में सवार थे. जम्मू बटालियन में CRPF के अधिकारियों और जवान के साथ NCC कैडेट्स ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.  इस मौके पर जवानों का कहना था कि मलाल सिर्फ ये है कि कायर आतांकियों ने पीछे से हमला किया. सामने से हमला किया होता तो CRPF जवानो के हौसले और बहादुरी का पता चलता. हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी.

बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक में 300 आतंकियों का सफाया

पुलवामा हमले के शहीदों की तेरहवीं से पहले 26 फरवरी को भारत ने आतंकियों के ठिकाने पर घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की. इसमें 300 से ज्यादा आतंकी मारे गए. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर बालाकोट में आतंकियों के कई ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. इसमें काफी हद तक जैश-ए-मोहम्मद का कैडर तबाह हो गया. इसके बाद सुरक्षाबलों ने कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया. इस अभियान में सैकड़ों आतंकियों का सफाया हो गया. कश्मीर घाटी में डर के मारे आतंकी संगठनों का चेहरा बदल गया. पुलवामा के बाद आज तक कोई आतंकी हमला अंजाम नहीं दिया जा सका.

पाकिस्तान एक्सपोज, आतंकी संगठनों ने नाम बदला

पुलवामा हमले में पाकिस्तान के शामिल होने के भारत के मजबूत दावे के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव में आए पाकिस्तान के इशारे पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने छद्म नाम से काम शुरू कर दिया. जैश ने लश्कर-ए-मुस्तफा खड़ा कर लिया तो लश्कर-ए-तैयबा ने द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के नाम से घाटी में आतंकी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया. सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जम्मू में 6 फरवरी 2021 को पकड़े गए लश्कर-ए-मुस्तफा के सरगना शोपियां के रहने वाले हिदायतुल्लाह मलिक ने पूछताछ में जैश के साथ कनेक्शन की बात स्वीकार की थी. आतंकी हिदायतुल्लाह मलिक के मोबाइल से पाकिस्तान के नंबर और व्हाट्सएप चैट का भी खुलासा हुआ था. उसने पूछताछ में कबूला था कि पाकिस्तान में बैठे मौलाना मसूद अजहर के भाई रऊफ, अबु तलहा उर्फ डाक्टर के सीधे संपर्क में था. 

टेरर फंडिंग रुका तो टारगेट किलिंग की हरकत

पुलवामा आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार के बेहद सख्त रूख से सीमा पार के आतंकियों और उनके आकाओं पर नकेल कसी जाने लगी. टेरर फंडिंग के रास्ते रोकने से हथियारों की तस्करी में भी कमी आई. बदहाल आतंकी संगठन रसद, रकम और हथियारों की कमी से जूझने लगे. हिदायतुल्लाह मलिक की अगुआई में ही शोपियां में 2020 में जम्मू-कश्मीर बैंक से 60 लाख रुपये की लूटी गई. सख्ती की वजह से ही उसने घाटी के बाहर भी नेटवर्क खड़ा करने की. उसने बिहार में छपरा और आसपास के इलाकों में अपना नेटवर्क बढ़ाया. उसकी निशानदेही पर बिहार से भी गिरफ्तारियां हुईं. पंजाब में भी उसके संपर्क बढ़ाने और जम्मू में भी फिर से अपना नेटवर्क खड़ा करने का खुलासा हुआ था. रिपोर्ट्स के मुताबिक कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों को चकमा देने के लिए लश्कर ने टीआरएफ के नाम से हाइब्रिड आतंकी भी तैयार किए. टारगेट किलिंग के पीछे भी हाइब्रिड आतंकियों का ही हाथ था.

जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा

पुलवामा हमले के बाद तीन साल में कश्मीर घाटी में 500 से अधिक आतंकियों का सफाया किया जा चुका है. इनमें जैश, लश्कर, अंसार गजवातुल हिंद और हिजबुल के टॉप कमांडर भी शामिल हैं. पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद अब तक 541 मुठभेड़ में 446 आतंकी मारे जा चुके हैं. पांच अगस्त के बाद आईपीएस विजय कुमार को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाकर दिसंबर 2019 में कश्मीर पुलिस महानिरीक्षक की कमान सौंपी गई. तब से 400 आतंकियों का काम तमाम हो चुका है. 

ये भी पढ़ें - सेलेब्स दे रहे पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि, कहा- देश आपका ऋणी रहेगा

आज आजादी के नारे नहीं, देशभक्ति के गीत

आतंकवाद के खिलाफ देश का निर्णायक युद्ध जीत के करीब पहुंचता दिख रहा है. आतंकियों का समर्थन करने वाले अलगाववादी भी फिलहाल कश्मीर में नहीं दिखते. कश्मीर की सड़कों पर भी अब आजादी के नारे नहीं देशभक्ति के तराने गूंजते दिखते हैं. आईजी विजय कुमार ने बताया कि सुरक्षा बल हमेशा सतर्क रहते हैं, लेकिन पुलवामा हमले की बरसी के मद्देनजर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. इसके लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा स्थलों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ ही जम्मू-श्रीनगर, श्रीनगर-बारामुला, श्रीनगर-कुपवाड़ा हाईवे पर भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. मोबाइल नाके भी लगाए गए हैं. सभी जगहों पर वाहनों की जबरदस्त चेकिंग की जा रही है. 

HIGHLIGHTS

  • कश्मीर की सड़कों पर अब आजादी के नारे नहीं देशभक्ति के गीत
  • तीन साल में कश्मीर घाटी में 500 से अधिक आतंकियों का सफाया 
  • टेरर फंडिंग के रास्ते रोकने से हथियारों की तस्करी में भी कमी आई
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