सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को भी महाराष्ट्र (Maharashtra) के सियासी ड्रामे पर बहस जारी रही. दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया. सर्वोच्च अदालत इस मसले पर अब मंगलवार सुबह 10.30 बजे अपना फैसला सुनाएगी. इस बीच एक बेहद चौंकाने वाले घटनाक्रम में एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना (NCP-Congress-Shivsena) गठबंधन ने सोमवार को राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के समक्ष अपना दावा पेश कर दिया. हालांकि संवैधानिक व्यवस्थाओं और नियम-कायदों को समझने वालों के जेहन में दो नाम तैर रहे हैं, जो फ्लोर टेस्ट के सिलसिले में महती भूमिका निभाएंगे. ये दो लोग होंगे स्पीकर और विधानसभा में एनसीपी का नेता. देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को सीएम और अजित पवार (Ajit Pawar) को डिप्टी सीएम बतौर शपथ दिलाने वाले राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी (Bhagat Singh Koshiyari) भी इस बात को समझते हैं और सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ बहस कर रहे वकील भी. ऐसे में कम से कम एनसीपी के विधायक दल के नेता के नाम पर भी वह मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कोई न कोई स्पष्टता हासिल करने की जुगत में रहेंगे.
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विधानसभा के संक्षिप्त सत्र से शुरू होगी फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया
विधायी व्यवस्था के तहत राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी सबसे पहले विधानसभा का संक्षिप्त सत्र आहूत करेंगे. इसमें फ्लोर टेस्ट और प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के साथ ही बहुमत साबित करने की कवायद शुरू होगी. प्रोटेम स्पीकर की भूमिका बेहद सीमित होती है. वह सबसे पहले तो नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाएगा. इसके बाद स्पीकर का चयन होगा, जिसकी देखरेख में नई सरकार फ्लोर टेस्ट कराएगी. स्पीकर के पास फ्लोर टेस्ट का समय तय करने का अधिकार होता है. यानी वह फ्लोर टेस्ट तुरंत या तय समय पर कराने के निर्देश दे सकते हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बहुमत साबित करना होगा. बहुमत साबित करने के बाद सत्तारूढ़ दल अपने नए मंत्रिमंडल को शपथ दिलाएगा.
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वरिष्ठ विधायक बनता है प्रोटेम स्पीकर, राज्यपाल के हाथ नहीं बंधे
फिलहाल जो परंपरा रही है उसके तहत सबसे वरिष्ठ विधायक को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है. हालांकि गवर्नर के हाथ इस नियम से कतई बंधे नहीं होते हैं. इस लिहाज से देखें तो कांग्रेस के बालासाहब थोराट सबसे वरिष्ठ विधायक हैं. चूंकि गवर्नर के हाथ इस नियम से बंधे नहीं हैं, तो यह तय है कि राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के लिए प्रोटेम स्पीकर का चयन करना एक और पेंच साबित होगा. यहां यह भूलना नहीं चाहिए कि 2018 में कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी नेता केजी बोपैय्या को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया था, जबकि कांग्रेस के आरवी देशपांडे वरिष्ठ विधायक थे. राज्यपाल ने केजी बोपैय्या का चयन राज्य विधानसभा के सचिव की ओर से भेजे गए नामों में से किया था. इस पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बोपैय्या की नियुक्ति के मापदंडों पर कतई गौर नहीं किया था. हालांकि सर्वोच्च अदालत ने स्थानीय चैनलों को विधानसभा की पूरी कार्रवाई का सजीव प्रसारण करने के निर्देश जरूर दिए थे.
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एनसीपी विधायक दल का नेता कौन अजित पवार या जयंत पाटिल
एक अन्य मसला जिस पर फ्लोर टेस्ट का काफी दारोमदार रहेगा, वह है एनसीपी के विधायक दल के नेता का चयन. भले ही एनसीपी के एक धड़े ने अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटाते हुए जयंत पाटिल को इस पद पर नियुक्त कर दिया हो. ऐसे में यह अधिकार स्पीकर के पास निहित है कि सदन में पार्टी व्हिप कौन जारी करेगा. चूंकि जयंत पाटिल का चयन अजित पवार की ओर से एनसीपी का समर्थन पत्र बीजेपी के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पक्ष में देने के बाद हुआ है. ऐसे में अगर स्पीकर अजित पवार को ही एनसीपी विधायक दल का नेता बतौर मान्यता देते हैं, तो तय है देवेंद्र फडणवीस के पक्ष में मतदान का जारी होने वाले व्हिप के खिलाफ जाने वाले विधायकों को अयोग्य ठहराया जा सकता है. हालांकि एनसीपी के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अजित पवार को विधायक दल से हटाने वाले 54 एनसीपी के विधायकों की सूची सौंपी है. फिर भी एक पेंच यह आ रहा है कि इस सूची में 13 एनसीपी विधायकों के हस्ताक्षर नहीं है. ऐसे में जयंत पाटिल का विधायक दल नेता बतौर चयन वैधता की कसौटी पर पूरी तरह से खरा नहीं उतरता है. महाराष्ट्र बीजेपी नेता आशीष शेलार पहले ही कह चुके हैं कि अजित पवार को एनसीपी विधायक दल के नेता पद से हटाना 'अवैध' है, जिसे राज्यपाल की संस्तुति नहीं हासिल है.
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स्पीकर और एनसीपी विधायक दल नेता साबित होंगे दो बड़े पेंच
इस आधार पर देखें तो सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फ्लोर टेस्ट को लेकर भले जो फैसला सुनाए, लेकिन कई मसलों पर गेंद फिर भी महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के पाले में ही रहेगी. एक तरह से कह सकते हैं कि यह पेंच एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जिरह कर रहे वकीलों अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी के दिमाग में भी होगा. ऐसे में उनकी भरपूर कोशिश होगी कि अपने तर्कों से वह सुप्रीम कोर्ट से एनसीपी विधायक दल के नेता के मसले पर भी अदालती निर्णय में स्पष्टता हासिल करने की कोशिश में रहेंगे. जाहिर है स्पीकर और एनसीपी विधायक दल के नेता के चयन से ही फ्लोर टेस्ट की दशा-दिशा तय हो जाएगी.
HIGHLIGHTS
- सदन में एनसीपी नेता होगा कौन, इस पर दारोमदार होगा फ्लोर टेस्ट का.
- स्पीकर का चयन भी नई सरकार के पक्ष-विपक्ष में निभाएगा भूमिका.
- इस लिहाज से देवेंद्र फडणवीस-अजित पवार की राह नहीं आसान.