जम्मू कश्मीर के कटरा में माता वैष्णो देवी भवन में दर्शानर्थियों के बीच मची भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई. शनिवार सुबह पौने तीने बजे हुए हादसे में 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. माता वैष्णो देवी भवन परिसर में दिल दहला देने वाली घटना के बाद धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा इंतजामों और उसके पालन को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है. जम्मू के माता वैष्णो देवी भवन परिसर में हुई भगदड़ और उनमें श्रद्धालुओं के जान गंवाने की घटना से देश में शोक फैल गया. साथ ही देश में बीते समय में धार्मिक स्थलों पर हुई जानलेवा भगदड़ों की घटना को भी याद किया जाने लगा.
इस साल जुलाई में उज्जैन के महाकाल मंदिर और मार्च में उत्तराखंड के मां पूर्णागिरी मंदिर के पास भी भगदड़ मचने की खबर आई थी. इन दोनों हादसों में कोई हताहत नहीं हुआ था. आइए, जानते हैं कि देश में कब-कब किन धार्मिक स्थलों पर भगदड़ मची और उन हादसों में कितने श्रद्धालुओं की जान गई. इसके अलावा उन दुर्घटनाओं से क्या हम कितना सबक ले पाए.
10 अगस्त, 2015 को देवघर (झारखंड) के प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ मंदिर में अचानक भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत हो गई. इनके अलावा 50 से ज्यादा लोग घायल हुए। मरने वालों में 10 पुरुष और 01 महिला शामिल थी.
मध्यप्रदेश के दातिया में 13 अक्टूबर, 2013 को रत्नगढ़ मंदिर के पास मची भगदड़ में करीब 89 लोगों की मौत हो गई थी. इनके अलावा करीब 100 लोग घायल हो गए थे. ये भगदड़ इस मंदिर के पास एक पुल पर मची थी.
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान 10 फरवरी, 2013 को रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में करीब 36 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 39 लोग घायल हो गए थे.
बिहार की राजधानी पटना में अदालत गंज क्षेत्र के एक घाट पर 19 नवंबर, 2012 को भगदड़ मच गई. ये भगदड़ छठ पूजा के दौरान मची थी. इस घटना में करीब 20 लोगों की मौत हो गई थी. इनके अलावा बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए थे.
14 जनवरी, 2011 को केरल में सबरीमाला मंदिर में हुई भगदड़ अब तक की सबसे बड़ी और विकराल भगदड़ थी. इस भगदड़ में 106 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
हरिद्वार में हर की पौड़ी पर 8 नवंबर 2011 को भगदड़ मच गई थी. इस भगदड़ में 22 लोगों की जान चली गई. बड़ी संख्या में श्रद्धालु घायल भी हो गए थे.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में 4 मार्च, 2010 को राम-जानकी मंदिर में भगदड़ मचने से 63 लोगों की मौत हो गई. 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. धार्मिक गुरु कृपालु महाराज की पत्नी की पुण्यतिथि के मौके पर कपड़े और खाना बांटे जाने के दौरान भगदड़ मची थी. उस समय वहां करीब 10 हजार लोगों की भीड़ बताई जा रही थी.
कोलकाता के पास जनवरी, 2010 में गंगासागर मेले में मची भगदड़ से कम से कम सात तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी.
गुजरात में दिसंबर, 2009 में धौराजी के श्रीनाथजी मंदिर में भगदड़ मचने से नौ लोगों की मौत हो गई थी. हादसे में 15 से अधिक दर्शनार्थी घायल हो गए थे.
राजस्थान के चामुंडा मंदिर में सितंबर, 2008 में मची भगदड़ में 224 लोगों की मौत हो गई थी.
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हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में अगस्त, 2008 में भूस्खलन की अफ़वाह के बाद भगदड़ मच गई. इसमें 145 लोगों की मौत हो गई थी.
उड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर में नवंबर, 2006 में हुए हादसे में चार लोगों की मौत हो गई थी और 18 घायल हो गए थे. वहां मौजूद लोगों के मुताबिक अधिकारियों ने मंदिर का दरवाजा खोलने में देर कर दी. इसके कारण वहां भगदड़ मच गई थी.
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महाराष्ट्र के दूरवर्ती मंढारा देवी मंदिर में जनवरी, 2005 में भगदड़ मचने से 265 लोग मारे गए थे. संकड़ा रास्ता होने के कारण हताहतों की संख्या बढ़ गई थी. मरने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की थी.
नासिक में कुंभ मेले के दौरान अगस्त, 2003 में मची भगदड़ में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थे.
हरिद्वार में साल 1986 में एक धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ में 50 लोगों की मौत हो गई थी.
इलाहाबाद में साल 1954 में भी कुंभ मेले के दौरान भगदड़ का भयानक मंजर सामने आया था. उस हादसे में लगभग 800 श्रद्धालुओं की जान गई थी.
HIGHLIGHTS
- देश में बीते समय में धार्मिक स्थलों पर हुई जानलेवा भगदड़ों को भी याद किया जा रहा
- धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा इंतजामों और उसके पालन को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है
- इस साल महाकाल मंदिर और मां पूर्णागिरी मंदिर के पास भगदड़ को नियंत्रित कर लिया था