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Valentine Day : महज 'दिल दा मामला' नहीं इश्क, पढ़ें- साइंस की लव डोज

किसी को किसी से प्यार होने के लिए दिमाग में होने वाले कुछ केमिकल रिएक्शन और जेनेटिक स्ट्रक्चर यानी जीन संबंधी संरचनाएं भी जिम्मेदार होती हैं. प्यार में पड़ने और रिश्ते के मजबूत होते जाने के कई साइंटिफिक कारण होते हैं.

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Keshav Kumar
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प्यार के पीछे सिर्फ दिल नहीं दिमाग भी होता है( Photo Credit : News Nation)

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वैलेंटाइन डे पर सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला शब्द प्यार होता है. प्यार, मोहब्बत, इश्क या लव को हमेशा महसूस करने का विषय बताकर महज 'दिल दा मामला' बताया जाता रहा है. हालांकि बाद के दिनों में इसे साइंस के नजरिए से भी देखे जाने की शुरुआत हुई है. केमिस्ट्री, साइकोलॉजी, बायलॉजी जैसी विज्ञान की शाखाओं ने भी प्यार को लेकर काफी रिसर्च किए. इनके मुताबिक प्यार दिल के करीब होने के बावजूद कई तरह की मनोवैज्ञानिक, रासायनिक और जैविक समीकरणों का भी परिणाम होता है.

दरअसल, प्यार के पीछे सिर्फ दिल नहीं दिमाग भी होता है. किसी को किसी से प्यार होने के लिए दिमाग में होने वाले कुछ केमिकल रिएक्शन और जेनेटिक स्ट्रक्चर यानी जीन संबंधी संरचनाएं भी जिम्मेदार होती हैं. प्यार की गहराई तय होने में इन सबका योगदान होता है. प्यार में पड़ने और रिश्ते के मजबूत होते जाने के कई साइंटिफिक कारण होते हैं. आइए साइंस की लव डोज के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.

दिल से ज्यादा होता है दिमाग में दस्तक

सबसे पहले जीव विज्ञान यानी बायलॉजी के बारे में जानते हैं कि कैसे प्यार के पीछे डोपामाइन और नॉरएपिनेफ्रीन हार्मोन का बहुत बड़ा रोल होता है. मिसौरी यूनिवर्सिटी, अमेरिका की बिहेवियरल न्यूरोसाइंस की एसोसिएट प्रोफेसर सेंट लुइस के मुताबिक जब प्यार गहराता है? प्रेमी या प्रेमिका के साथ एक लंबा वक्त गुजार लेते हैं, तब दिमाग की केमिस्ट्री बदल जाती है. डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन की बजाय ब्रेन में ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन नाम का न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज होता है. लोग एक्साइटिंग हनीमून स्टेज से ऊपर उठ जाते हैं. फिर लगाव या अटैचमेंट के लेवल पर पहुंच जाते हैं जहां रिश्ता गहराता जाता है. इस केमिकल की वजह से लोगों को पार्टनर को प्रोटेक्ट करने और उसका केयर करने का मन होता है. पजेसिवनेस के पीछे भी यही हॉर्मोन काम करता है.

ऐसे चरणबद्ध तरीके से होता है प्यार

प्यार के गहरे होने या होते जाने की चरणबद्ध प्रकिया होती है. अमेरिका के ही फिशर और रटगर्स यूनिवर्सिटी ने इस बारे में लंबे समय तक रिसर्च किया है. उनकी स्टडी के नतीजे में सामने आया कि लव तीन स्टेज में गहरा होता है. विज्ञान बताता है कि तीनों स्टेज अलग-अलग हार्मोनल रिस्पॉन्स से जुड़े होते हैं. सबसे पहला स्टेज होता है लस्ट यानी वासना. यही प्यार की शुरुआत के लिए जिम्मेदार होती है. इसी को लव एट फर्स्ट साइट जैसे जुमले में समझाया जाता है. ये बहुत ही नेचुरल प्रोसेस है. प्यार में पड़े दो लोग सबसे पहले एक-दूसरे की ओर सेक्सुअली अट्रैक्ट होते हैं. इस वजह से ही पार्टनर से सेक्सुअल संतुष्टि मिलती है. इसके लिए मेल में टेस्टोस्टेरोन और फीमेल में एस्ट्रोजन हार्मोन जिम्मेदार होते हैं.

दूसरे फेज में शारीरिक नजदीकी

लस्ट के बाद का फेज होता है अट्रैक्शन यानी आकर्षण. पसंदीदा पार्टनर के साथ यही रिलेशनशिप या बॉन्डिंग बनाने के लिए बढ़ावा देता है, फोर्स करता है. इस पूरी प्रक्रिया में डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन जैसे केमिकल्स रिलीज होते हैं. ये केमिकल पार्टनर के साथ समय बिताने और सेक्स के लिए प्रेरित करते हैं. अट्रैक्शन पसीने में निकलने वाले फेरोमोन्स केमिकल के कारण भी होता है. इसी वजह से पार्टनर की गंध बहुत अच्छी और अट्रैक्टिव लगती है. 

तीसरे चरण में लंबे रिश्ते की वजह

इन दोनों चरणों के बाद आता है अटैचमेंट का फेज. इसे प्यार का तीसरा और सबसे अहम स्टेज माना जाता है. अटैचमेंट के कारण ही कोई भी रिश्ता लंबे समय तक चलता है. इसी वजह से पार्टनर की खामियों के बावजूद आप उनके साथ जुड़े रहते हैं. इस फीलिंग के लिए ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन हार्मोन जिम्मेदार होते हैं​​​​. ऑक्सीटोसिन को ही लव हॉर्मोन कहते हैं. इसी लिए प्रेमी या प्रेमी को चूमने और सीने या गले से लगने के बाद सिरदर्द में राहत मिलती है.

प्यार की मनोवैज्ञानिक वजहें और फायदे

इसके अलावा प्यार होने के लिए भी मनोवैज्ञानिक तौर पर तीन वजह होते हैं. जो खासकर जरूरतें पूरी करने, अच्छा लगने और साथ जुड़ी भावनाओं और उसकी अहमियत की होती है. वहीं प्यार में पड़ने के तमाम फायदे भी गिनाए गए हैं जो हॉर्मोनल बैलेंस की वजह से सामने आते हैं. इनमें सकारात्मकता बढ़ती है. कॉलेज ऑफ लंदन की रिसर्च ने साबित किया है कि प्यार की वजह से मुसीबत के समय हिम्मत बढ़ती है. लोग खुश रहते हैं और उनका सोशल बिहेवियर बेहतर होता है. साथ ही स्ट्रेस और डिप्रेशन से फौरन रिकवर होने में मदद मिलती है.

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क्या है डोपामाइन और नॉरएपिनेफ्रीन

डोपामाइन को मोटीवेशन और हैप्पी हॉर्मोन भी कहा जाता है. एक ऐसा हार्मोन है जो ऊर्जा, प्रेरणा और मानसिक एकाग्रता देता है. यह एक न्यूरो हार्मोन है जो ध्यान, एकाग्रता और प्रेरणा जैसी मानसिक गतिविधियों के लिए भी जिम्मेदार होता है. इसकी वजह से ही लोग खुशियों में सातवें आसमान पर होने जैसा फील करते हैं. वहीं नॉरएपिनेफ्रीन के चलते दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं. क्रश या पार्टनर के बारे में ज्यादा सोचते हैं. देखकर खुश होते हैं या नजदीक जाने के बहाने तलाशते हैं.

HIGHLIGHTS

  • प्यार और रिश्ते के मजबूत होने के कई साइंटिफिक कारण होते हैं
  • साइंस के मुताबिक लव के तीनों स्टेज अलग हार्मोनल रिस्पॉन्स से जुड़े हैं
  • प्यार होने के लिए मनोवैज्ञानिक तौर पर तीन वजह होती हैं, फायदे भी
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