गाय की पूजा कोई अज्ञानी ही कर सकता है, जानें ऐसा क्यों कहा था सावरकर ने

स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की ओर से प्रकाशित विज्ञाननिष्ठ निबंध के भाग एक और दो में वीर सावरकर के जवाब से जाहिर होता है कि वह गाय की पूजा के सख्त खिलाफ थे. उन्होंने गाय के संरक्षण की बात कही जरूर थी, लेकिन वैज्ञानिक सिद्धांतों पर.

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Nihar Saxena
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गाय की पूजा कोई अज्ञानी ही कर सकता है, जानें ऐसा क्यों कहा था सावरकर ने

सांकेतिक चित्र( Photo Credit : (फाइल फोटो))

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आज जब केंद्र में मोदी 2.0 सरकार कथित गोरक्षकों द्वारा मारे जा रहे निर्दोष मुस्लिमों की वजह से लगातार कांग्रेस और विपक्ष के निशाने पर है, तब यह जानना और भी जरूरी हो जाता है कि 1923 में हिंदुत्व की अवधारणा देने और भारतीय जनता पार्टी के नायक वीर सावरकर के गाय पर क्या विचार थे? स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक की ओर से प्रकाशित विज्ञाननिष्ठ निबंध के भाग एक और दो में वीर सावरकर के जवाब से जाहिर होता है कि वह गाय की पूजा के सख्त खिलाफ थे. उन्होंने गाय के संरक्षण की बात कही जरूर थी, लेकिन वैज्ञानिक सिद्धांतों पर.

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'गाय की देखभाल करो, उसकी पूजा नहीं'
यह बात 1930 के दशक की है. मराठी भाषा के प्रसिद्ध जर्नल 'भाला' में सभी हिंदुओं को संबोधित करते हुए पूछा गया, 'वास्तविक हिंदू कौन है? वह जो गाय को अपनी माता मानता है!' इसका जवाब वीर सावरकर ने 'गोपालन हवे, गोपूजन नव्हे' में दिया है. इसका हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है, 'गाय की देखभाल करो, उसकी पूजा नहीं.' इस निबंध से जाहिर होता है कि वीर सावरकर गाय की पूजा के विरोधी थी. उन्होंने इस निबंध में लिखा, 'अगर गाय किसी की भी माता हो सकती है, तो वह सिर्फ बैल की. हिंदुओं की तो कतई नहीं. गाय के पैरों की पूजा करके हिंदुत्व की रक्षा नहीं की जा सकती है. गाय के पैरों में पड़ी रहने वाली कौम संकट के आभास मात्र से ढह जाएगी.'

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वैज्ञानिक सिद्धांतों पर हो गाय का संरक्षण
वीर सावरकर के लिहाज से गाय एक उपयोगी जानवर तो है, लेकिन उसकी पूजा का कोई मतलब नहीं है. इस बारे में तर्क देते हुए उन्होंने कहा था कि इंसान को उसकी पूजा करनी चाहिए जो उससे बड़ा हो या जिसमें इंसानों से कहीं अधिक गुणों की खान हो. हिंदुओं का पूज्य एक ऐसा जानवर तो कतई नहीं हो सकता है जो मानवता के लिहाज से कहीं पिछड़ा जानवर है. सावरकर ने गाय की पूजा को 'अज्ञानता से प्रेरित आचरण' करार देते हुए कहा था कि यह प्रवृत्ति वास्तव में 'बुद्धि हत्या' है. ऐसा भी नहीं कि वीर सावरकर गाय के संरक्षण के भी खिलाफ थे, बल्कि उन्होंने गाय के संरक्षण को राष्ट्रीय जिम्मेदारी करार दिया था. हालांकि उनका कहना था कि गाय का संरक्षण आर्थिक और वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर होना चाहिए. इस संदर्भ में सावरकर ने अमेरिका का उदाहरण दिया था, जहां अधिसंख्य पशु उपयोगी साबित होते हैं.

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कट्टर हिंदुओं को दिया था ये तर्क
इसके साथ ही वीर सावरकर ने गोमूत्र के सेवन और कुछ मामलों में गाय के उपलों के सेवन पर भी घोर आपत्ति दर्ज कराई थी. उनका मानना था कि यह चलन प्राचीन भारत में बतौर सजा शुरू हुआ होगा और आधुनिक संदर्भों में इसके लिए कतई कोई स्थान नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कट्टर हिंदुओं की अपने बारे में धारणा में सफाई भी अद्भुत अंदाज में दी थी. सावरकर ने तर्क दिया था कि गाय की पूजा नहीं करने की बात कहकर उन्होंने गुनाह किया है. एक तरह की ईशनिंदा की है, लेकिन कट्टर हिंदुओं का गुनाह तो उनकी तुलना में कहीं ज्यादा बड़ा है, जो मानते हैं कि 33 करोड़ देवी-देवता गाय के पेट में समाए हैं.

HIGHLIGHTS

  • बीजेपी के नायक वीर सावरकर गाय की पूजा के थे सख्त खिलाफ.
  • उन्होंने कहा था कि गाय की देखभाल करो, लेकिन पूजा कतई नहीं.
  • वह गाय की पूजा को बुद्धिमता की हत्या करार देते थे.
BJP Veer Savarkar cow worship Hindu Idealogue
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