Advertisment

पाकिस्‍तान की हलक में आ जाएगी जान, जब अभिनंदन के सामने अपाचे भरेगा उड़ान

3 सितंबर को इसे पाकिस्तान से बेहद करीब स्थित एयरबेस पठानकोट (Pathankot) में अपाचे एएच-64 ई हेलीकॉप्टर तैनात किया जाएगा.

author-image
Drigraj Madheshia
एडिट
New Update
पाकिस्‍तान की हलक में आ जाएगी जान, जब अभिनंदन के सामने अपाचे भरेगा उड़ान
Advertisment

3 सितंबर को इसे पाकिस्तान से बेहद करीब स्थित एयरबेस पठानकोट (Pathankot) में अपाचे एएच-64 ई हेलीकॉप्टर तैनात किया जाएगा. भारतीय एयरफोर्स के बेडे़ में अपाचे एएच-64 ई हेलीकॉप्टर शामिल हो चुका है और इसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पठानकोट (Pathankot) एयरबेस में को तैनात कर लांच करेंगे. विंग कमांडर अभिनंदन इस समारोह के दौरान मिग-21 को उड़ाएंगे. पठानकोट (Pathankot) में तैनात अपाचे के स्क्वाड्रन कमांडर ग्रुप कैप्टन एम शायलू होंगे. आइए जानें इसे पठानकोट (Pathankot) में ही क्‍यों तैनात किया गया है और क्‍या इसकी ताकत...

पठानकोट (Pathankot) ही क्यों

  • पठानकोट (Pathankot) एयरबेस पाकिस्तान सीमा के सबसे करीब है.
  • अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भारत-पाक में पनपे विवाद के बीच अपाचे को पठानकोट (Pathankot) एयरबेस पर तैनात करना रणनीति का हिस्सा है.
  • जनवरी 2016 में पाक प्रशिक्षित आतंकियों के हमले के बाद पठानकोट (Pathankot) एयरबेस सुर्खियों में आया था.
  • 1971 और 1965 की जंग में पाकिस्तानी एयरफोर्स ने सबसे पहले पठानकोट (Pathankot) एयरबेस को ही निशाना बनाया था.
  • 1971 के युद्ध में पठानकोट (Pathankot) सहित एयरफोर्स स्टेशन परिसर पर कुल 53 बार हमला हुआ था.
  • विभिन्न मारक क्षमताओं से लैस अपाचे एएच-64 ई हेलीकॉप्टर से चीन की सीमाओं को भी कवर किया जाएगा.
  • पठानकोट (Pathankot) एयरबेस पाक और चीन सीमाओं तक निगरानी करने में दक्ष है.

भारत के लिए क्यों है अहम

  • भारतीय वायुसेना के नजरिए से देखें तो टेक्टिकल लड़ाई के समय में यह काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
  • भारत अपाचे का इस्तेमाल करने वाला 14वां देश होगा.
  • इससे वायुसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा.
  • इसी साल फरवरी में अमेरिका से खरीदे गए चिनूक हेलिकॉप्टर की पहली खेप वायुसेना के बेड़े में शामिल हो चुकी है. 4 चिनूक हेलिकॉप्टर गुजरात में कच्छ के मुंद्रा एयरपोर्ट पहुंचे थे.
  • भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान की तरफ से जिस तरह से चिंताएं उभर रही हैं, ऐसे में अपाचे हेलीकॉप्टर्स भारतीय वायुसेना के लिए काफी अहम माने जा रहे हैं.

अपाचे हेलीकॉप्टर की ताकत

  • यह हेलीकॉप्टर दुनिया के सबसे विध्वंसक हेलीकॉप्टर माने जाते हैं.
  • जनवरी, 1984 में बोइंग कंपनी ने अमरीकी फ़ौज को पहला अपाचे हेलीकॉप्टर दिया था. तब इस मॉडल का नाम था AH-64A.
  • तब से लेकर अब तक बोइंग 2,200 से ज़्यादा अपाचे हेलीकॉप्टर बेच चुकी है.
  • अचूक निशाना: इसका निशाना बहुत सटीक है. जिसका सबसे बड़ा फायदा युद्ध क्षेत्र में होता है, जहां दुश्मन पर निशाना लगाते वक्त आम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचता है.
  • सबसे ख़तरनाक हथियार: 16 एंटी टैंक मिसाइल छोड़ने की क्षमता.

इसे कई बार अपडेट किया जा चुका है.

  • भारत से पहले इस कंपनी ने अमरीकी फ़ौज के ज़रिए मिस्र, ग्रीस, भारत, इंडोनेशिया, इसराइल, जापान, क़ुवैत, नीदरलैंड्स, क़तर, सऊदी अरब और सिंगापुर को अपाचे हेलीकॉप्टर बेचे हैं.
  • 27 जुलाई 2019- अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग की एएच-64ई अपाचे गार्जियन अटैक हेलिकॉप्टर की पहली खेप भारतीय वायु सेना के हिंडन एयरबेस पहुंच गई.
  • 10 मई 2019- अमेरिकी एरोस्पेस कंपनी बोइंग ने भारतीय वायुसेना को 22 अपाचे गार्जियन लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से पहला हेलीकॉप्टर सौंपा.

साढ़े तीन साल पहले हुआ था सौदा

तब वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि एएच-64ई (आई) अपाचे हेलीकॉप्टर को शामिल करना बल के हेलीकॉप्टर बेडे़ के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने कहा था कि हेलीकॉप्टर को भारतीय वायुसेना की भविष्य की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है और यह पर्वतीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान करेगा.

यह भी पढ़ेंः Viral Video: 500 ले ले, लेकिन मुझे पहले लैंड करा दे, वीडियो देखकर हंसी नहीं रोक पाएंगे आप

भारतीय वायुसेना के प्रवक्ता ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी ने कहा था- ''पहला एएच-64ई (आई) अपाचे गार्जियन हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना को 10 मई को अमेरिका के मेसा, एरिजोना स्थित बोइंग के उत्पादन प्रतिष्ठान में औपचारिक रूप से सौंपा गया.  भारतीय वायुसेना ने सितंबर 2015 में 22 अपाचे हेलीकॉप्टरों के लिए अमेरिका सरकार और बोइंग लिमिटेड के साथ अरबों डॉलर के सौदे पर दस्तखत किए थे. रक्षा मंत्रालय ने इसके साथ ही 2017 में 4,168 करोड़ रुपये की लागत से बोइंग से हथियार प्रणालियों सहित छह और अपाचे हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी थी.

खासियत

  • क़रीब 16 फ़ुट ऊंचे और 18 फ़ुट चौड़े अपाचे हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना ज़रूरी है.
  • अपाचे हेलीकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं. इस वजह से इसकी रफ़्तार बहुत ज़्यादा है.
  • अधिकतम रफ़्तार: 280 किलोमीटर प्रति घंटा.
  • अपाचे हेलीकॉप्टर का डिज़ाइन ऐसा है कि इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल होता है.
  • बोइंग के अनुसार, बोइंग और अमरीकी फ़ौज के बीच स्पष्ट अनुबंध है कि कंपनी इसके रखरखाव के लिए हमेशा सेवाएं तो देगी पर ये मुफ़्त नहीं होंगी.
  • हेलीकॉप्टर के नीचे लगी राइफ़ल में एक बार में 30एमएम की 1,200 गोलियाँ भरी जा सकती हैं.
  • फ़्लाइंग रेंज: क़रीब 550 किलोमीटर
  • ये एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ सकता है.
  • अपाचे हेलीकॉप्टर की डिजिटल कनेक्टिविटी व संयुक्त सामरिक सूचना वितरण प्रणाली में सुधार किया गया है.
  • अधिक शक्ति को समायोजित करने के लिए इंजनों को उन्नत किया गया है.
  • यह मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को नियंत्रित करने की क्षमता से लैस है.
  • बेहतर लैंडिंग गियर, बढ़ी हुई क्रूज गति, चढ़ाई दर और पेलोड क्षमता में वृद्धि इसकी कुछ अन्य विशेषताएं हैं.
  • इस हेलीकॉप्टर में युद्ध के मैदान की तस्वीर को प्रसारित करने और प्राप्त करने की क्षमता है.

इसको उडाने के लिए पायलट को चाहिए विशेष ट्रेनिंग

पांच साल तक अफगानिस्तान के संवेदनशील इलाकों में अपाचे हेलीकॉप्टर उड़ा चुके ब्रिटेन की वायु सेना में पायलट एड मैकी के मुताबिक, किसी नए पायलट को इस हेलीकॉप्टर उड़ाने के लिए कड़ी और एक लंबी ट्रेनिंग लेनी होती है, जिसमें काफी खर्च आता है. सेना को एक पायलट की ट्रेनिंग के लिए 30 लाख डॉलर तक भी खर्च करने पड़ सकते हैं. बतौर मैकी इसे कंट्रोल करना बड़ा मुश्किल है.

यह भी पढ़ेंः जानिए दुनिया के इन स्‍मार्ट बमों के बारे में, भारत कितना शक्‍तिशाली

दो पायलट मिलकर इसे उड़ाते हैं. मुख्य पायलट पीछे बैठता है. उसकी सीट थोड़ी ऊंची होती है. वह हेलीकॉप्टर को कंट्रोल करता है. आगे बैठा दूसरा पायलट निशाना लगाता है और फायर करता है. इस पर अपना हाथ साधने के लिए पायलट एड मैकी को 18 महीने तक ट्रेनिंग करनी पड़ी थी.

कब और कहां इस्तेमाल हुआ

  • यह लादेन किलर के नाम से मशहूर है.
  • अमेरिका का अपाचे हेलीकॉप्टर पहली बार वर्ष 1975 में आकाश में उड़ान भरता नजर आया था.
  • वर्ष 1986 में इसे पहली बार अमेरिकी सेना में शामिल किया गया था.
  • इस वक्त अमेरिकी सेना के अलावा जापान, ग्रीस, इसरायल, नीदरलैंड्स, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात की सेनाएं इसका संचालन करती हैं.
  • अमेरिका ने अपने इसी अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर का पनामा से लेकर अफगानिस्तान और इराक तक के साथ दुश्मनों को धूल चटाने के लिए इस्तेमाल किया था.
  • अमेरिकी सेना ने इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल आतंकी ओसामा बिन लादेन को खत्म करने में भी किया था.
  • ब्रिटेन में इसे लाइसेंस के तहत ऑगस्टा वेस्टलैंड अपाचे के नाम से बनाया जा रहा है.
  • इसका इस्तेमाल पनामा, फारस की खाड़ी, कोसोवो, अफगानिस्तान और इराक के युद्धों में हो चुका है.
  • इजरायल लेबनान तथा गाजा पट्टी में अपने सैन्य ऑपरेशनों के लिए अपाचे का इस्तेमाल करता रहा है.

यह भी पढ़ेंः दिग्विजय सिंह के वो विवादित बयान जो कांग्रेस की बन गईं फांस, जानें कब-कब क्‍या बोले

  • किलर लादेन’ के नाम से मशहूर है Apache Helicopter
  • अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को खत्म करने के लिए ब्लैक हॉक और अपाचे हेलीकॉप्टर में कुछ खास बदलाव किया था.
  • साल 2011 में पाकिस्तान को बिना भनक लगे हुए अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था.
  • खास बात यह है कि इस पूरे ऑपरेशन की पाकिस्तान को भनक भी नहीं लगी.
  • पहली बार 1989 में पनामा में अपाचे हेलीकॉप्टरों ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां इसकी अधिकांश गतिविधि रात में थी, जब एएच -64 के उन्नत सेंसर और दृष्टि प्रणाली पनामा सरकार के बलों के खिलाफ प्रभावी थे. इस खाड़ी युद्ध में अपाचे की क्षमताएं वास्तव में स्पष्ट हो गईं. 278 AH-64As तैनात एक रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड को सिर्फ एक हेलिकॉप्टर के नुकसान के लिए 500 बख्तरबंद वाहनों को नष्ट कर दिया.
  • एएच -64 ए ने ऑपरेशन रिस्टोर होप और ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म दोनों के दौरान कार्रवाई में अपनी क्षमताओं को साबित किया.
  • 6 मई, 2017 को McEntire ज्वाइंट नेशनल गार्ड बेस, साउथ कैरोलिना में साउथ कैरोलिना नेशनल गार्ड एयर और ग्राउंड एक्सपो के दौरान अमेरिकी सेना AH-64D अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर के जरिए आग की एक दीवार के सामने उड़े.
  • Apache Longbows अभ्यासों में AH-64As की तुलना में कई गुना अधिक घातक साबित हुए, इसलिए सेना ने 501 को नए मॉडल में अपग्रेड किया, और 2012 में शेष गैर-उन्नत AH-64As को सेवानिवृत्त किया.
  • 2007 में, इराक युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने अपने अपाचे हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया.
  • 1999 के कोसोवा संघर्ष में शामिल होने से कुछ हद तक निंदा किए जाने के बाद, अपाचे जल्द ही अफगानिस्तान और इराक में अमेरिकी युद्धों में व्यापक कार्रवाई देखें. बाद के शुरुआती दिनों के दौरान, 3 इन्फेंट्री डिवीजन ने कर्बला के आसपास मदीना बख्तरबंद डिवीजन के ठिकानों को निशाना बनाते हुए एक महत्वाकांक्षी गहरी-भेदक छापे के लिए 31 अपाचे तैयार किए.

कुवैत की मुक्ति में अपाचे हेलीकॉप्टरों ने भी प्रमुख भूमिका निभाई

  • 20 नवंबर 1990 को, 11 वें एविएशन ब्रिगेड को इल्शाइम जर्मनी में स्टॉर्क बैरक से दक्षिण-पश्चिम एशिया में तैनाती के लिए अलर्ट किया गया था. 15 जनवरी 1991 तक इकाई ने 147 हेलीकॉप्टर, 325 वाहन और 1,476 सैनिकों को इस क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया था. अपाचे हेलीकॉप्टरों ने दुश्मन के 245 से अधिक वाहनों को बिना किसी नुकसान के नष्ट कर दिया.
  • 24 अप्रैल 1991 को 6 वें स्क्वाड्रन, 6 वें कैवलरी के 18 एएच -64 हेलीकॉप्टरों ने दक्षिण-पश्चिम एशिया में एक आत्म-तैनाती शुरू की. स्क्वाड्रन ने उत्तरी इराक में 3,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हवाई सुरक्षा प्रदान की, जो ऑपरेशन प्रोवाइड कम्फर्ट के संयुक्त टास्क फोर्स के हिस्से के रूप में था.

Source : शंकरेष के.

iaf Pathankot Apache Fighter Helicopter Wing Commander Abhinandan
Advertisment
Advertisment
Advertisment