कोरोनावायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन से जंग, जानें WHO की चेतावनी और सुझावों के बारे में सब कुछ

मास्क लगाने, भीड़भाड़ से बचने, नियमित अंतराल पर हाथ धोने, बीमार और बुजुर्ग लोगों से दूरी बरतने और सोशल डिस्टेंसिंग, वैक्सीनेशन वगैरह का पालन करने से भी ओमीक्रॉन के संक्रमण की रोकथाम में बड़ी मदद मिल सकती है.

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Keshav Kumar
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ओमीक्रॉन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी( Photo Credit : News Nation)

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कोरोनावायरस के सबसे नए और तेज स्पीड से संक्रमण फैलाने वाले वेरिएंट ओमीक्रॉन को लेकर दुनियाभर में तैयारियां बढ़ा दी गई हैं. दुनिया में चीन से फैला कोरोनावायरस दो साल में कई बार रूप बदलते हुए अब दुनिया भर में 30 से ज्यादा देशों में ओमीक्रॉन की शक्ल में फैल चुका है. भारत के कर्नाटक राज्य में गुरुवार को दो कोरोना मरीजों के ओमीक्रॉन से संक्रमित होने की पुष्टि कर दी गई है. साथ ही देश के कई शहरों में इसके संदिग्धों के सैंपल की जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. राजधानी दिल्ली के एक अस्पताल में ओमीक्रॉन के 12 संदिग्धों की भर्ती की बात सामने आ रही है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO)ने कोरोना के ओमीक्रॉन वेरिएंट को लेकर दुनियाभर को चेतावनी और सुझाव दिए हैं. डब्ल्यूएचओ ने इसको लेकर विस्तार से बताया है. इनमें कई सवालों के जवाब और कुछ के लिए रिसर्च जारी रहने की बात कही गई है. आइए, ओमीक्रॉन के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से सामने आए बड़ी और जरूरी बातों को सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं.

वायरस का वेरिएंट और वेरिएंट ऑफ कंसर्न क्या होता है

वायरस का कोई वेरिएंट जब तेजी से फैलने या नुकसान पहुंचाने की क्षमता के साथ वैक्सीन के असर जैसी बातों को भी प्रभावित कर सकता है तब वह चिंता बढ़ाने वाला वेरिएंट यानी वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न या (VOC) बन जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 26 नवंबर को ओमीक्रॉन को 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' की कैटेगरी में डाला है. वायरस का समय के साथ बदलते जाना या म्यूटेट होना कोई असामान्य बात नहीं है.

नए वेरिएंट का नाम कैसे रखा गया

शुरुआत में इस वेरिएंट को बी.1.1.529 नाम दिया गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) की टीम टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन वायरस इवोल्यूशन (TAG-VE) ने 26 नवंबर को इसे ओमिक्रॉन नाम दिया. संगठन ने वेरिएंट को नाम देने में  ग्रीक अक्षर से नाम देने की परंपरा का पालन किया. जीनोम सिक्वेसिंग के आधार पर इंपीरियल कॉलेज, लंदन के एक वायरोलॉजिस्ट टॉम पीकॉक ने बताया कि दरअसल ओमीक्रॉन बहुत डरावना और बहरूपिया वेरिएंट है.

कहां हुई ओमीक्रॉन की पहचान 

पहली बार दक्षिण अफ्रीका ( South Africa) में ओमिक्रॉन की पहचान की गई थी. वहीं इसकी वास्तविक शुरुआत कहां हुई इसके बारे में कोई जानकारी अब तक  सामने नहीं आई है. दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने हाल ही में वैरिएंट पर आंकड़े सार्वजनिक किए. पिछले हफ्ते वहां के वैज्ञानिकों ने बताया कि ओमीक्रॉन में अधिक संख्या में म्यूटेशन, उत्परिवर्तन या बदलाव हो रहे हैं. इसकी वजह से अधिक संक्रामक और शरीर की प्रतिरक्षा सुरक्षा ( Immunity) से बचने में सक्षम बना सकता है.

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दुनिया के सामने बड़ा खतरा- ओमीक्रॉन

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गैब्रियोसुस ने कहा है कि 23 देशों में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन पुष्टि की गई है. इसके मरीजों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है. संगठन के मुताबिक ओमीक्रॉन पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है. शुरुआती डेटा से पता चला है कि ओमीक्रॉन में व्यक्ति को संक्रमित करने की क्षमता पहले के वेरिएंट्स के मुकाबले 5 गुना अधिक है. यह इम्यून सिस्टम पर भी भारी पड़ सकता है. वहीं वैक्सीनेशन के बावजूद इसके संक्रमण के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता.

जेनेटिक या जीनोम सिक्वेसिंग से अलग भी जांच संभव

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान में कहा कि यह वेरिएंट काफी तेज़ी से म्यूटेट हो रहा है. इनमें से कुछ म्यूटेशन चिंता के विषय हैं. उसके अनुसार, इस म्यूटेशन का पहला संक्रमण दक्षिण अफ्रीका में 9 नवंबर को जमा किए गए नमूने से मिला था. हालांकि उसने कहा है कि नए वेरिएंट का प्रभाव समझने में अभी कुछ सप्ताह लगेंगे.

ओमीक्रॉन के साथ अच्छी बात यह है कि इसका पता कुछ आरटी-पीसीआर टेस्ट से चल सकता है. इससे इसका पता लगाने में और फैलने से रोकने में मदद मिल सकती है. कई दूसरे वेरिएंट का पता लगाने के लिए जेनेटिक सिक्वेंस का सहारा लेना पड़ता है.

लॉकडाउन, कर्फ्यू या यात्रा पाबंदियों पर सुझाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जल्दबाजी में यात्रा प्रतिबंध लगाने वाले देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि इन देशों को 'खतरों को देखकर वैज्ञानिक नजरिया' अपनाना चाहिए. उनकी ओर से कहा गया है कि लॉकडाउन (Lockdown)या कर्फ्यू ( Curfew) की जगह कोरोनावायरस से बचाव के दूसरे उपायों का सख्ती से पालन करना चाहिए.

बचाव या सुरक्षा उपाय को लेकर WHO की राय

ओमीक्रॉन वेरिएंट से कैसे दुनिया को सुरक्षित किया जाए? इसके जवाब में WHO ने कहा है कि किसी को भी कुछ नया करने की जरूरत नहीं है. कोरोनावायरस के खिलाफ कुछ हथियार पहले से हैं. वे पूरी तरह कारगर हो सकते हैं. मास्क लगाने, भीड़भाड़ से बचने, नियमित अंतराल पर हाथ धोने, बीमार और बुजुर्ग लोगों से दूरी बरतने और सोशल डिस्टेंसिंग, वैक्सीनेशन वगैरह का पालन करने से भी ओमीक्रॉन के संक्रमण की रोकथाम में बड़ी मदद मिल सकती है.

ये भी पढ़ें - ओमीक्रॉन वेरिएंट के मरीजों के स्वाद और गंध पर नहीं होता असर, जानें कितना अलग है लक्षण

ओमीक्रॉन वैरिएंट के बारे में कुछ और वैज्ञानिक बातें

कोरोनावायरस के नए वैज्ञानिकों ने कहा कि अन्य संक्रामक रूपों की तुलना में ओमीक्रॉन की जीनोम सिक्वेंसिंग (आनुवंशिक रूपरेखा) सबसे अलग है. यानी यह वायरस के एक नए वंश से जुड़ा हुआ है. यह नया वैरिएंट अधिक संख्या में उत्परिवर्तन, बदलाव या म्यूटेशन करता हैं.

दक्षिण अफ्रीका में सेंटर फॉर एपिडेमिक रिस्पांस एंड इनोवेशन के निदेशक ट्यूलियो डी ओलिवेरा के मुताबिक इसमें स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन हैं. स्पाइक प्रोटीन वायरस का वह हिस्सा जो मानव कोशिकाओं को बांधता है. इसके जरिए ही वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश मिलता है. इसकी वजह से ही ओमीक्रॉन अधिक संक्रामक और टीके या एंटीबॉडीज को धोखा देने में कामयाब हो सकता है. वैज्ञानिक इसी बात से चिंतित हैं.

HIGHLIGHTS

  • यह वेरिएंट काफी तेज़ी से म्यूटेट हो रहा है
  • देशों को 'खतरों को देखकर वैज्ञानिक नजरिया' अपनाना चाहिए
  • ओमीक्रॉन के खिलाफ कुछ हथियार हैं और कारगर हो सकते हैं 
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