कर्ज, भुखमरी और कंगाली से जूझते पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) को लगातार मिन्नतों के बाद आखिरकार सऊदी अरब (Saudi Arabia) से तीन अरब डॉलर का कर्ज शनिवार को मिल गया. साल के अंत में इस मदद से दुनियाभर में दुत्कार के बाद पाकिस्तान को फौरी राहत नसीब हुई है, लेकिन आगे चलकर मुल्क को आर्थिक बदहाली की कगार पर पहुंचा सकता है. इसके बाद प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) पर हमले तेज हो गए हैं कि वे कर्ज लेते वक्त उसकी शर्तें नहीं क्यों नहीं पढ़ते? दरअसल, सऊदी अरब ने बेहद कड़ी शर्तों पर पाकिस्तान को 4.2 अरब डॉलर का कर्ज दिया है. जिसमें से 3 अरब डॉलर की राशि पाकिस्तान को एक साल में वापस करनी होगी. इसके अलावा महज तीन दिन यानी 72 घंटे के नोटिस पर पाकिस्तान इसे लौटाने के लिए बाध्य होगा.
वित्तीय मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार, 3 अरब डॉलर पर पाकिस्तान को 4 फीसदी की दर से ब्याज देना होगा, जो पिछली बार मिली मदद से एक चौथाई ज्यादा है. तब इसकी दर 3.2 फीसदी थी. इसका मतलब पाकिस्तान को कर्ज पर 120 मिलियन डॉलर का ब्याज देना होगा. सऊदी अरब ने 25 अक्टूबर को पाकिस्तान को सालाना 1.2 अरब डॉलर के मूल्य का तेल उपलब्ध कराने और स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान में तीन अरब डॉलर जमा करने की घोषणा की थी. पाकिस्तान को इस तेल के लिए तुरंत भुगतान नहीं करना होगा. यह तेल देर से भुगतान की सुविधा के तहत उपलब्ध होगा. सऊदी की मदद से पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कुछ कम होगा. इमरान खान के वित्तीय सलाहकार शौकत तरीन के मुताबिक यह कर्ज सऊदी से मिलने वाला आर्थिक पैकेज का हिस्सा है.
पाकिस्तान को मिली कर्ज में क्या है सऊदी अरब की शर्तें
इन कड़ी शर्तों के पीछे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( The International Monetary Fund), अमेरिका, रूस और चीन वगैरह देशों से कर्ज की मनाही के बाद बढ़ी मुश्किलों को माना जा रहा है. पाकिस्तानी फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की राय में इमरान खान सरकार ने लोन के लिए एक सऊदी के सामने पूरी तरह समर्पण कर दिया है. इसका खामियाजा भविष्य में मुल्क को चुकाना पड़ सकता है. पिछली बार पाकिस्तान को सउदी अरब से मिले एक बिलियन अमेरिकी डॉलर लौटाने में भी काफी दिक्कतें आई थीं. उस दौरान पाकिस्तान को चीन से मदद लेकर सऊदी को देने पड़े थे. पाकिस्तान सरकार की ही एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 2018 में तीन साल के लिए 6.2 बिलियन डॉलर का वित्तीय पैकेज दिया था. उसने इसे लौटाने के लिए अधिक वक्त देने से इनकार कर दिया. तब पाकिस्तान ने चीन से कर्ज लेकर सऊदी को लौटाया था.
IMF, चीन, रूस और अमेरिका ने भी पीछे खींचा हाथ
हाल ही में 25 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)ने पाकिस्तान की बिगड़ती माली हालत को बचाने से इनकार कर दिया था. इसके अलावा पाकिस्तान 1980 के दशक के बाद से 13वीं बार आईएमएफ से मदद लेने की कोशिश कर रहा है. आईएमएफ ने सेंट्रल बैंक से कर्ज लिए जाने और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की किसी भी तरह की मदद की मिन्नतों को ठुकरा दिया था. पाकिस्तान की समाचार संस्थाओं ने इसके बाद इमरान खान सरकार की जमकर लानत-मलानत की थी.
दूसरी ओर बलूचिस्तान कॉरिडोर में आर्थिक मदद के बाद लंबे समय से चीन ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद की गुहार को अनसुना किया हुआ है. अमेरिका ने भी पाकिस्तान की आतंकवाद के मामले में संदिग्ध भूमिका और कार्रवाई में सहयोग न देने पर सुरक्षा सहायता निलंबित कर दी थी. ट्रंप प्रशासन के दौरान हुए इस फैसले को मई 2021 में बाइडन प्रशासन ने भी जारी रखने का फैसला किया था. इससे दो साल पहले अमेरिका ने केरी लूगर बर्मन एक्ट के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली प्रस्तावित आर्थिक मदद में 44 करोड़ डॉलर की कटौती कर दी थी. इस साल रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के दौरे के बाद पाकिस्तान ने दावा किया था उसे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तरफ से हर मोर्चे पर आर्थिक मदद मुहैया कराने का प्रस्ताव मिला था. इमरान सरकार ने इसे पुतिन सरकार की तरफ से ब्लैंक चेक का प्रस्ताव करार दिया था. लेकिन रूसी राजनियकों ने इसे झूठ बताया था.
तल्लूर के शिकार के लिए अरबी शेखों की सुरक्षा का सवाल
दूसरी ओर पाकिस्तान के सिंध. पंजाब और बलूच इलाकों में तल्लूर के शिकार के लिए आने वाले अरबी शेखों पर हमलों को रोकने के लिए पाकिस्तान को एहसान के बोझ तले दबाने का भी एक तरीका माना जा सकता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक शिकार के लिए पहुंचे अरबी शेखों पर स्थानीय लोगों के हमले के बाद पाकिस्तान सरकार पर लगातार गबाव बढ़ रहा था. वहीं सऊदी अरब के मुताबिक तल्लूर के शिकार को प्रोमोट करने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए. यह अरब संस्कृति का हिस्सा है और ये पाकिस्तान और इन देशों के बीच संबंधों को बेहतर रखने का भी एक तरीक़ा है. पाकिस्तान हर साल अरब शेखों के इस शौक को जारी रखने के लिए परमिट जारी करता है, जिसमें कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन से अरब शेख पाकिस्तान आते हैं.
ईरान से लगती पाकिस्तान की सरहद सऊदी से मदद की वजह
ईरान की सीमाएं पाकिस्तान ने लगती है. ईरान से अपनी पुरानी अदावत की वजह से भी सऊदी अरब पाकिस्तान की मदद करके अपना फायदा निकालता है. वह इन एहसानों के बदलले अपने हिसाब से पाकिस्तानी सीमाओं पर नीतियां बनवाने की कोशिश करता है. पश्चिम एशिया में ईरान के असर को कम करने के लिए भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में सऊदी को पाकिस्तान एक पिछलग्गू की तरह चाहिए होता है. फरवरी 1979 में ईरानी क्रांति के बाद से सऊदी लगातार यह कोशिश करता रहा है. मुस्लिम वर्ल्ड में इसे सऊदी अरब की चेकबुक डिप्लोमैसी करार दिया जाता है.
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इस्लाम, सेना और पाकिस्तान की परमाणु ताकत पर नजर
पाकिस्तान दुनिया का इकलौता परमाणु शक्ति संपन्न इस्लामिक देश है. सऊदी अरब और पाकिस्तान दोनों सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक देश हैं. दोनों देश सुन्नी अतिवाद के शिकार हैं. जबकि ईरान में शिया मुसलमानों की बहुतायत है. सऊदी अरब की सेना को ट्रेनिंग देने में भी पाकिस्तान की भूमिका रही है. इमरान खान ने रियाद में दावा किया था कि भले ही दुनिया इसके खिलाफ हो जाए मगर पाकिस्तान हमेशा सैनिक ताकत के तौर पर सऊदी अरब के साथ बना रहेगा.
आर्थिक बदहाली और अंतरराष्ट्रीय किरकिरी से जूझता पाकिस्तान
बढ़ती महंगाई दर, ख़ाली होता विदेशी मुद्रा भंडार, चालू खाते घाटे का बढ़ता दबाव और पाकिस्तानी मुद्रा रुपए की पतली हालत से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. इमरान खान ने 24 नवंबर को कहा था कि उनके पास मुल्क को चलाने के लिए पैसे नहीं हैं. कर्ज बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि बीते 19 नवंबर तक पाकिस्तान के पास केवल 22.7 अरब डॉलर विदेशी रिजर्व मौजूद था. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास करीब 16 अरब डॉलर था, जबकि दूसरे बैंकों के पास लगभग छह अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार बचा था. पाकिस्तान में एक डॉलर की कीमत 176.77 रुपए हो गई है. इस साल पाकिस्तानी रुपए में अब तक 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. पाकिस्तानी मुद्रा रुपया एशिया की सबसे कमजोर करेंसी बन गई है.
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तीन दिसंबर को सर्बिया में पाकिस्तान दूतावास के आधिकारिक ट्विटर ( Twitter), फेसबुक ( Facebook) और इंस्टाग्राम ( Instagram) अकाउंट से 56 सेकेंड का एक वीडियो वायरल हो गया था, जिसमें बढ़ती महंगाई और सैलरी का भुगतान न करने के लिए पाकिस्तान सरकार और इमरान खान की आलोचना की गई है. विदेश कार्यालय ने बाद में यह कहकर कि खातों को हैक कर लिया गया था और पोस्ट अब हटा दिए गए हैं अंतरराष्ट्रीय किरकिरी को कम करने की कोशिश की थी.
वहीं , पीटीआई ( तहरीक-ए-इंसाफ) ने 20 सितंबर, 2014 को अपने आधिकारिक अकाउंट से इमरान खान का एक बयान ट्वीट किया था. तब वह प्रधानमंत्री नहीं थे. इस ट्वीट में इमरान खान ने लिखा था कि यह बेहद शर्मनाक है कि हम सऊदी और अमेरिका मदद के लिए जाते हैं. उन्होंने विदेशी मदद को मुल्क के लिए अभिशाप बताया था. अब दुनिया भर के लोग उनका यह ट्वीट शेयर कर उनपर तंज कर रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- IMF, अमेरिका, रूस और चीन ने अनसुनी पाकिस्तान की मदद की गुहार
- 1980 के दशक से 13वीं बार पाकिस्तान की आईएमएफ से मदद लेने की कोशिश
- सऊदी अरब और पाकिस्तान दोनों सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक देश