पिछले कुछ हफ्तों में पश्चिम बंगाल (West bengal) के 11 जिलों में खासकर राज्य के उत्तरी भाग में काला बुखार के कम से कम 65 मामले सामने आए हैं. कालाजार (kala azar) के नाम से चर्चित इस बुखार का प्रकोप धीरे-धीरे अन्य राज्यों में फैलता जा रहा है. जिन जिलों में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए, उनमें दार्जिलिंग, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर और कलिम्पोंग शामिल हैं. बीरभूम, बांकुरा, पुरुलिया और मुर्शिदाबाद जिलों में भी कालाजार के कुछ मामले सामने आए हैं, जो मुख्य रूप से परजीवी लीशमैनिया डोनोवानी से संक्रमित सैंडफ्लाइज़ के काटने से फैलता है. हालांकि अभी तक कोलकाता में कोई मामला सामने नहीं आया है.
कालाजार या काला बुखार क्या है ?
विसरल लीशमैनियासिस (VL), जिसे कालाजार के रूप में भी जाना जाता है. यदि 95% से अधिक मामलों में इलाज नहीं करवाए जाए तो यह घातक हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अनियमित बुखार, वजन घटना, स्प्लीन और यकृत का बढ़ना और एनीमिया इस बुखार की प्रमुख विशेषता है. कालाजार के ज्यादातर मामले ब्राजील, पूर्वी अफ्रीका और भारत में होते हैं. कालाजार प्रकोप और मृत्यु क्षमता के साथ शीर्ष परजीवी रोगों में से एक बना हुआ है. यह प्रोटोजोआ परजीवी के कारण होता है जो संक्रमित मादा फ़्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाइज़ के काटने से फैलता है. यह रोग सबसे गरीब लोगों को प्रभावित करता है और कुपोषण, जनसंख्या विस्थापन, खराब आवास, कमजोर इम्यून सिस्टम और वित्तीय संसाधनों की कमी से जुड़ा है. लीशमैनियासिस पर्यावरणीय परिवर्तनों जैसे वनों की कटाई, बांधों के निर्माण, सिंचाई योजनाओं और शहरीकरण से भी जुड़ा हुआ है.
पश्चिम बंगाल से खत्म हो गया था कालाजार
पश्चिम बंगाल से कालाजार व्यावहारिक रूप से समाप्त हो गया था. हालांकि, हाल की निगरानी के कारण 11 जिलों में 65 मामलों का पता चला है. अधिकारी ने बताया, अब जब इन मामलों का पता चला है तो राज्य सरकार बीमारी के प्रसार से निपटने के लिए अपनी पूरी तैयारी शुरू कर दी है.
अधिकारी के अनुसार, यह पाया गया कि यह बीमारी उन लोगों में सबसे अधिक प्रचलित है, जिन्होंने बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में काफी समय बिताया है. अधिकारी ने कहा, बांग्लादेश के कुछ लोगों में भी कालाजार के लक्षण दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि निगरानी प्रक्रिया जारी रहेगी.
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पश्चिम बंगाल सरकार कालाजार के लिए मुफ्त इलाज देगी
राज्य सचिवालय के एक शीर्ष नौकरशाह ने कहा कि सरकार ने इस बीमारी से पीड़ित सभी लोगों का नि:शुल्क इलाज करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा, यदि किसी निजी लैब या अस्पताल में संक्रमण का पता चलता है, तो भी डॉक्टर को तुरंत मामले को जिला स्वास्थ्य अधिकारी के ध्यान में लाना चाहिए. भोजन के साथ इलाज का सारा खर्चा राज्य स्वास्थ्य विभाग वहन करेगा. जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी पूरे मामले की निगरानी करेंगे. उन्होंने कहा कि मरीजों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की जा रही है.
कालाजार : निदान और उपचार
डब्ल्यूएचओ (WHO) की वेबसाइट के अनुसार, आंत के लीशमैनियासिस (leishaniasis) में डायग्नोस्टिक संकेतों को परजीवी या सीरोलॉजिकल परीक्षणों (जैसे रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट) के साथ जोड़कर डायग्नोज किया जाता है. लीशमैनियासिस या कालाजार का उपचार रोग के प्रकार, परजीवी प्रजातियों और भौगोलिक स्थिति सहित कई कारकों पर निर्भर करता है. लीशमैनियासिस एक इलाज योग्य बीमारी है, जिसके लिए एक इम्यून सिस्टम की आवश्यकता होती है.
क्या है इसके लक्षण
-मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होता है
-व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है
-बुखार
-प्लीहा में नुकसान होता है
-लिवर में नुकसान पहुंचता है
-एनीमिया