दुनिया भर की निगाहों के घेरे में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) 200 दिनों को पार कर चुका है. 24 फरवरी, 2022 को रूस ने यूक्रेन पर एक चौतरफा आक्रमण शुरू कर दिया था. अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार और युद्ध जैसी स्थितियों के विश्लेषकों का तब मानना था कि यह जल्दी थम जाएगा. इसके साथ ही यूक्रेन अपनी मौजूदा ताकतों के साथ रूस के सामने ज्यादा टिक नहीं पाएगा. इसके बरअक्श यूक्रेन को मिल रही नाटो (NATO) समेत अमेरिका और यूरोप की मदद के चलते रूस अपने मकसद में अभी तक कामयाब नहीं हो पाया है.
कीव पर कब्जा क्यों नहीं कर पा रहा रूस
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की कीव जैसे बेशकीमती शहर पर तालिबान-शैली में अधिग्रहण की उम्मीद पूरी नहीं हो पाई है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने एक जोशीले प्रतिरोध के जरिए रूस के सैनिकों को पश्चिमी मदद के बल पर रोककर रखा है. अपने सातवें महीने के करीब पहुंचे युद्ध के दौरान रूस को अब बड़ा झटका लगा है. युद्ध में यूक्रेन मजबूत पक्ष के रूप में उभर रहा है. उत्तरपूर्वी यूक्रेन में अपने मुख्य गढ़ खार्किव में इज़ियम शहर को रूस ने शनिवार को छोड़ दिया.
यूक्रेन ने वापस लिया 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र
यूक्रेनी सेना के तेजी से आगे बढ़ने के बाद रूस के लिए युद्ध की प्रमुख अग्रिम पंक्तियों में से एक गढ़ के अचानक पतन के रूप में इस घटना को देखा जा रहा है. वलोडिमिर जेलेंस्की ने एक वीडियो संबोधन में बताया कि यूक्रेन के सशस्त्र बलों ने इस महीने की शुरुआत में जवाबी कार्रवाई शुरू करने के बाद से लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर (770 वर्ग मील) क्षेत्र पर वापस कब्जा कर लिया है. इसके साथ ही रूस की सैन्य ताकतों को लेकर पुतिन के दावों पर नया वैश्विक सवाल खड़ा हो गया है.
यूक्रेन ने उड़ाया रूस की सेना का मजाक
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ ने एक चुटीले ट्विटर पोस्ट में कहा कि रूसी सेना दुनिया में सबसे तेज सेना का खिताब दावा कर रही है ... दौड़ते रहो!" रूस की सेना यूक्रेन की सेना से लगभग ढ़ाई गुना बड़े आकार की है. रूस अब अपनी सेना को लगातार खोता जा रहा है. पश्चिमी देशों से यूक्रेन को मिल रहे सामरिक समर्थन इसका सबसे प्रमुख कारण है. यूक्रेन को बड़े हथियारों की निरंतर आपूर्ति ने उसके अपने क्षेत्र की रक्षा करने की भावना कायम रखने, जवाबी हमले को बनाए रखने और अधिक से अधिक क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए रूस की कोशिशों को विफल करने में मदद की.
यूक्रेन को US और NATO समेत पश्चिमी मदद
युद्ध की शुरुआत में, यूक्रेन की सेना ने ज्यादातर रूसी मानकों से मेल खाते हथियारों और युद्ध सामग्रियों का इस्तेमाल किया, लेकिन कुछ महीनों के भीतर वे सब समाप्त हो गए. विशेष रूप से महत्वपूर्ण तोपखाने और मिसाइल प्रणालियों में उसे नाटो-मानक हथियारों के साथ पश्चिमी सहयोगियों पर निर्भर होना पड़ गया. यूक्रेन अब आधुनिक और विनाशकारी प्रभाव वाले पश्चिमी हथियारों का युद्ध में इस्तेमाल कर रहा है. अकेले अमेरिका द्वारा आपूर्ति किए गए HIMARS रॉकेट सिस्टम के साथ सौ रूसी लक्ष्यों पर प्रहार करने में सक्षम यूक्रेन ने युद्ध को खत्म नहीं होने दिया है.
अभी महीनों तक युद्ध चलने की आशंका
इनके अलावा, अमेरिका जैसे देशों ने हॉवित्जर, स्विचब्लेड ड्रोन, रॉकेट लॉन्चर, एंटी-एयरक्राफ्ट और एंटी-आर्मर सिस्टम, सामरिक वाहन और बहुत कुछ की आपूर्ति की है. कुल मिलाकर, वाशिंगटन ने 15.2 बिलियन डॉलर मूल्य के हथियार देने का वादा किया है, जिसमें जेवलिन एंटी टैंक मिसाइलें, तोपें और नाटो हथियार के साथ संगत गोला-बारूद शामिल हैं. अन्य पश्चिमी सरकारें भी अपने हथियार निर्माताओं को उत्पादन बढ़ाने और रूस के खिलाफ यूक्रेन की लड़ाई की आपूर्ति करके भारी कमी वाले भंडार को फिर से भरने के लिए जुटा रही हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और नाटो के प्रमुख ने चेतावनी दी है कि रूस-यूक्रेन युद्ध महीनों तक चलने की आशंका है. उन्होंने पश्चिम से यूक्रेन का समर्थन जारी रखने का आग्रह भी किया है. यह रूस के लिए युद्ध के दौरान एक मुश्किल दौर हो सकता है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर प्रतिबंध
रूस को युद्ध के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ रहा है. यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से ही रूस पश्चिम द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के झंझट में फंस गया है. कैस्टेलियम एआई के अनुसार, 22 फरवरी से रूस पर 9,200 से अधिक प्रतिबंध लगाए गए हैं. इसके साथ ही 1,200 से अधिक विदेशी कंपनियों ने रूस में अपने परिचालन को या तो निलंबित कर दिया है या कम कर दिया है. इनमें Apple, McDonald's, IKEA, Visa और MasterCard जैसे बड़े नाम हैं. इन प्रतिबंधों ने अब मास्को के आर्थिक हितों पर भी चोट पहुंचाना शुरू कर दिया है.
रूस की अर्थव्यवस्था में गिरावट
साल 2022 में रूस की अर्थव्यवस्था के 10 फीसदी तक सिकुड़ने और मंदी की ओर बढ़ने की भविष्यवाणी की गई है. जबकि रूस अभी भी तेल और गैस निर्यात के माध्यम से अपने युद्ध के प्रयासों को वित्तपोषित करने का प्रबंधन कर रहा है. यह आवश्यक महत्वपूर्ण हथियारों या घटकों से बाहर हो रहा है. यूक्रेन के युद्धक्षेत्रों पर कब्जा किए गए या नष्ट किए गए रूसी उपकरणों के एक अध्ययन में ड्रोन, मिसाइल और संचार उपकरण सहित 27 रूसी महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों में 450 विदेशी निर्मित घटक पाए गए. हताश रूस अब उत्तर कोरिया से लाखों रॉकेट और तोपखाने के गोले खरीदना चाहता है. यह स्पष्ट संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध मास्को को देश के छोटे, गरीब पड़ोसी से मदद लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
उन्नत हथियारों में घटी रूस की क्षमता
अमेरिकी सरकार के अधिकारियों के हवाले से हाल की रिपोर्टों के अनुसार, रूस नए हथियार खरीदने के लिए ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों की ओर रुख कर रहा है. इसके अलावा रूस अपने स्वेदशी पुराने उपकरणों के स्टॉक में डुबकी लगाने के लिए भी मजबूर हो रहा है. अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा था कि हथियारों को खरीदने के फैसले से संकेत मिलता है कि रूस 'यूक्रेन में निर्यात नियंत्रण और प्रतिबंधों के कारण गंभीर आपूर्ति की कमी का सामना कर रहा है.' विशेष रूप से, तकनीकी रूप से उन्नत हथियारों का उत्पादन करने की रूस की क्षमता में और कमी आने की संभावना है. क्योंकि प्रतिबंधों से आयात बाधित होता है.
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युद्ध का मनोवैज्ञानिक प्रभाव
युद्ध का मनोवैज्ञानिक प्रभाव रूस पर उतना ही भारी पड़ता जा रहा है जितना कि जमीन पर होने वाला शारीरिक नुकसान. शुरुआती दिनों में पुतिन यूक्रेन की राजधानी कीव को ताकत और बेरहमी से जीतकर जेलेंस्की को घुटनों पर लाना चाहते थे, लेकिन यूक्रेन की जंग में अडिग रहने की भावना ने उन योजनाओं को अभी तक पूरा नहीं होने दिया. इसके साथ ही पुतिन की महत्वाकांक्षा को भी आकार में छोटा कर दिया. इसके अलावा, पुतिन को उम्मीद नहीं थी कि युद्ध आगे बढ़ने पर यूक्रेन को पश्चिम से इतना अभूतपूर्व समर्थन मिलेगा. शुरुआती अति आत्मविश्वास की कीमत लंबे समय में पुतिन को चुकानी पड़ रही है और अब रूस को युद्ध के अपने लक्ष्यों पर एक से अधिक बार पुनर्विचार भी करना पड़ रहा है.
HIGHLIGHTS
- उन्नत हथियारों का उत्पादन करने की रूस की क्षमता में आई कमी
- 2022 में रूस की इकोनॉमी के 10 फीसदी तक सिकुड़ने की आशंका
- फरवरी से अब तक रूस पर 9,200 से अधिक प्रतिबंध लगाए गए हैं