दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर केंद्र सरकार और केजरीवाल सरकार आर-पार के मूड में है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन मामलों को छोड़कर दिल्ली की बॉस केजरीवाल सरकार को चुनी है, लेकिन केंद्र ने अध्यादेश लाकर ट्रांसफर-पोस्टिंग करने का अधिकार उपराज्यपाल को फिर से सौंप दिया है. अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल सरकार केंद्र पर हमलावर है. आप सरकार ने कहा कि यह अध्यादेश दिल्ली की निर्वाचित सरकार से उसके अधिकारियों पर नियंत्रण को कम करने के लिए लाया गया है. साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट और संविधान पर सीधा-सीधा प्रहार है. दिल्ली सरकार ने इसके पीछे कई कारण गिनाए हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ
आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरवील ने केंद्र से इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि कोर्ट में यह अध्यादेश पांच मिनट भी नहीं टिक पाएगा. आप का दावा है कि वह 1 जुलाई को कोर्ट खोलते ही इसके खिलाफ याचिका दायर करेगी. आप ने सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के फैसले का भी अपमान बताया है.
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संघवाद के सिद्धांतों का उल्लंघन
आम आदमी पार्टी की सरकार ने अध्यादेश को लेकर केंद्र पर करारा हमला बोला है. आप ने इसे संघवाद के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को दिल्ली की बॉस केजरीवाल सरकार को बनाया था, लेकिन आठ दिन बाद केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर उपराज्यपाल को फिर से दिल्ली का अधिकार दे दिया. इस अध्यादेश पर आप ने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया है. आप ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारत जैसे देश में संघवाद विविध हितों का प्रतिनिधित्व करता है. यह संविधान की मूल संरचना का भी एक हिस्सा है, जिसे संसद भी संशोधित नहीं कर सकता, लेकिन केंद्र सरकार अध्यादेश के माध्यम से संघवाद के सिद्धांतों को पलटना चाह रही है.
अधिकारियों की जिम्मेदारी कम करने वाला फैसला
केंद्र के अध्यादेश पर केजरीवाल सरकार ने बीजेपी को आड़े हाथ लिया है. आप ने कहा कि यह अध्यादेश अधिकारियों की जवाबदेही और जिम्मेदारी को कम करने वाला है. आम आदमी पार्टी का दावा है कि सरकार तब तक काम करती है जब तक उसे विधायिका का समर्थन हासिल है.
लोकतांत्रिक सरकार को काम नहीं करने देना चाहता है केंद्र
पार्टी का दावा है कि दिल्ली की जनता ने उन्हें सत्ता संभालने की जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे में उन्हें बार-बार काम करने से क्यों रोका जा रहा है, यह अध्यादेश लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को रोकने के लिए लाया गया है. अगर दिल्ली में अधिकारियों की मोनोपॉली ऐसी ही रही तो दिल्ली की चुनी सरकार अपना काम नहीं कर पाएगी.
विपक्ष को खत्म करने की साजिश
आप सरकार के कहा कि इस अध्यादेश के पीछे केंद्र सरकार की मंशा है कि देश में विपक्ष को नहीं रहने दिया जाए. यह एक सोची समझी राजनीतिक साजिश है. केंद्र सरकार के इस अध्यादेश का आप सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रही है. आप का दावा है कि अध्यादेश बीजेपी दिल्ली और दूसरे राज्यों में मिली चुनावी हार की खीज उतारने के लिए लेकर आई है. इस अध्यादेश के माध्यम से केंद्र दिल्ली सरकार की ओर से क्रियान्वित की जा रही सभी परियोजनाओं पर नियंत्रण रखना चाहता है और जरूरत पड़ने पर उनको रोकना भी चाहता है.
दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भले ही केजरीवाल सरकार के पक्ष में आया है, लेकिन केंद्र ने अध्यादेश लाकर इसपर रोक लगा दिया है. वहीं, केजरीवाल अब विपक्षी दलों से राज्यसभा में इस बिल का विरोध करने की अपील कर रहे हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या केजरीवाल केंद्र बनाम दिल्ली सरकार की लड़ाई में जीतते हैं या नहीं.