आखिर 21वीं सदी में कैसे कंगाल हो गया पाकिस्तान, आसान भाषा में समझें पूरा माजरा

भारत और पाकिस्तान की आजादी सिर्फ एक दिन के अतंर पर हुई थी. भारत आज विश्वगुरु बनने की राह पर है. वहीं, पाकिस्तान आर्थिक तंगी और बदहाली से जूझ रहा है. बर्बादी की दलदल में धंसा पाकिस्तान बुरी तरह से फंसता जा रहा है. पाकिस्तान की अवाम पर दोहरी मार पड़ रह

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Sunder Singh
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file photo( Photo Credit : News Nation)

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भारत और पाकिस्तान की आजादी सिर्फ एक दिन के अतंर पर हुई थी. भारत आज विश्वगुरु बनने की राह पर है. वहीं, पाकिस्तान आर्थिक तंगी और बदहाली से जूझ रहा है. बर्बादी की दलदल में धंसा पाकिस्तान बुरी तरह से फंसता जा रहा है. पाकिस्तान की अवाम पर दोहरी मार पड़ रही हैं. एक तरफ महंगाई आसमान छू रही हैं. वहीं दूसरी ओर नौकरियां खत्म हो रही हैं. कई निजी कंपनियां अपने यहां छटनी कर रही हैं. यहां तक कि सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पाकिस्तान के पास पैसे नहीं है. विनिर्माण कंपनियां अपने प्लांट्स और फैक्ट्रियां बंद करने को मजबूर हैं. ऐसे में आम आदमी की जीवनशैली और रहन सहन बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं. हजारों लोग बेरोजगार रहे हैं. लोगों के पास घर चलाने के लिए पैसे नहीं बचे. खाने के लिए लाले पड़ रहे हैं. बच्चे, बुजुर्गों और बीमार मरीजों के सामने मेडिकल इमरजेंसी की नौबत आ गई है. 

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सरकार के सामने इतनी बड़ी चुनौती खड़ी हो चुकी है कि वह समझ नहीं पा रही है क्या किया जाए. आज पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से मदद की गुहार लगा रहा है, लेकिन बिना गारंटी उसे को कोई फूटी कौड़ी देने को राजी नहीं है. IMF ने लोन देने से फिलहाल इनकार कर दिया है. आईएमएफ ने अपनी फाइलें और मोटी कर ली है. आईएमएफ ने लोन देने के लिए पाकिस्तान के सामने गारंटी की मांग की है. पाकिस्तान के बुरे हालात में चीन और सउदी पहले ही मुहंमोड़ चुका है. चीन 30 अरब डॉलर से ज्यादा कर्ज पाकिस्तान को दे चुका है. अब वह एक पैसा भी देने को तैयार नहीं है. बता दें कि 50 सालों में चीन की अर्थव्यवस्था खुद ही बुरी तरह प्रभावित हुई है. दुनिया में छाई आर्थिक मंदी का असर चीन पर सबसे ज्यादा दिख रहा है. चीन से कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपना कारोबार समेट रही है. ऐसे में चीन मदद के नाम पर खुद ही पंगु नजर आ रहा है. 

भारत की ओर टकटकी लगाए देख रहा पाकिस्तान 
पाकिस्तान में महंगाई आम आदमी की कमर तोड़ रही है. पेट्रोल 300 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. वहीं आटा 250 रुपये, चावल 300 रुपये और प्याज की कीमत 350 रुपये किलो तक पहुंच गई.   पाकिस्तान का रुपया डॉलर या पान्ड तो छोड़िए. बांग्लादेश के मुद्रा से भी पिछड़ गया. बांग्लादेश का एक टका पाकिस्तान के तीन रुपये से ज्यादा है.  इस्‍लामाबाद, लाहौर, पेशावर, खैबर पखतूनख्‍वां या फिर कराची हर जगह खाने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पाकिस्तान के सामने ऐसी कौन सी चुनौती आई कि वह देखते ही देखते इतना कंगाल और बदहाल हो गया कि लोग खाने के लिए तरस रहे हैं. इसके पीछे पाकिस्तान के नेताओं का विजन जिम्मेदार है. भारी कर्ज, राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद को पनाह देना, घटता मुद्रा भंडार, दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था के हाथ का खिलौना होना, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि खराब करना, महंगा ईधन और वैश्विक महंगाई जैसे कई मुद्दों ने पकिस्तान को बर्बादी के मुहाने पर धकेल दिया. 


ताकतवर देशों से भारी भरकम कर्ज लेना

आजादी के बाद से ही पाकिस्तान अपने विकास के लिए दूसरे देशों और संस्थानों पर निर्भर रहना शुरू कर दिया. पाकिस्तान ने विश्व बैंक और IMF से मोटी रकम में कर्ज ले लिया और समय पर उसका चुकता नहीं किया. इतना ही नहीं पाकिस्तान अपनी बुनियादी चीजों को मजबूत करने के बजाए विकसित देशों की नकल करने लगा. पाकिस्तान में जो भी शासक हुए वह कर्ज लेकर घी पीने वाली कहावत पर ज्यादा भरोसा करते रहे. पाकिस्तान ने अमेरिका, सउदी अरब, चीन समेत कई देशों से हजारों करोड़ डॉलर कर्ज ले लिया और विकासकार्यों में पैसे लगाने के बजाए परमाणु बम लगाने में जुट गया. ऐसे में पाकिस्तान अंदर ही अंदर खोखला होता गया और 21वीं सदी में वह कंगाली के मुहाने पर पहुंच गया. 


आतंकवाद को पनाह देना पाकिस्तान की फितरत

दुनिया में आज आतंकवाद या आतंकी हमलों का कही भी जिक्र होता है तो सबकी जुबान पर पाकिस्तान का ही नाम आता. 2011 में एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद से तो इससे पर्दा पूरी तरह हट गया कि पाकिस्तान ही आतंकवाद का पनाहगार है. अमेरिका हमले को लेकर पाकिस्तान पर कई आरोप लगे, लेकिन पाकिस्तान हर बार कहता रहा कि हमले का गुनाहगार उसकी धरती पर नहीं है, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा के नेतृत्व अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान के एबटाबाद में घुसकर लादेन को मार गिराया तब सच हो गया कि पाकिस्तान आतंकियों का सबसे बड़ा हितैषी देश है. भारत में भी जब-जब बम ब्लास्ट हुए उसमें सीमापार से आतंकी हमले हुए.

भारत से दुश्मनी पड़ी भारी

2008 का मुंबई हमला भला कोई कैसे भूल सकता है. समुद्र के रास्ते आए आतंकियों ने मुंबई को निशाना बनाया था. हालांकि, भारतीय सेनाओं ने सभी आतंकियों को मार गिराया था.  अफगानिस्तान हो या भारत या फिर ईरान पाकिस्तान के पाले पोसे आतंकवाद से सभी परेशान हैं. आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान में ना तो कोई बड़ा निवेशक गया और नहीं किसी बड़ी कंपनियों ने अपना प्लांट या फैक्ट्रियां बैठाई. ऐसे में आतंकवाद को बढ़ावा देना पाकिस्तान को आज भारी पड़ गया. यानी अगर आप घर में सांप पालोगे तो एक ना एक दिन आपको ही डसेगा.  पाकिस्तान की कंगाली देखकर आज भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संयुक्त राष्ट्र में दिया भाषण याद आ रहा है. 2017 में संयुक्त राष्ट्र में सुषमा स्वराज ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुए, लेकिन हमने डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, विद्वान पैदा किए और आपने क्या पैदा किया? आपने आतंकवादियों को पैदा किया, आतंकी शिविर बनाए हैं, लश्कर-ए-तैयबा , जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और हक्कानी नेटवर्क का जाल बिछाया.

ऐसे कई मुद्दे जो पाकिस्तान को कंगाली के रास्ते पर छोड़ा

आजादी के साथ ही पाकिस्तान भारत से दुश्मनी करने लगा. पाकिस्तान अपनी अवामों की जरूरतें पूरी करने के बजाए भारत से युद्ध, लड़ाई और दुश्मनी करने में अपनी ऊर्जा का सबसे बड़ा हिस्सा खर्च करता रहा है. पाकिस्तान भारत से कश्मीर लेने के लिए आजादी के समय से लड़ता रहा है. यहां तक कि पंजाब में युवाओं को गुमराह कर खालिस्तान बनाने के लिए उन्हें हथियार समेत हर सुविधा मुहैया करवाया. आज भी देश के कई हिस्सों में पाकिस्तान आतंकी भेजकर हमला करने की फिराक में बैठा रहता है. पाकिस्तान ने बेरोजगार युवकों की फौज को पैसे का लालच दिखाकर अफगानिस्तान और भारत के खिलाफ आतंक के रास्ते पर ढ़केल दिया.  आज पाकिस्तान अपनी आय से भी ज्‍यादा पैसा कर्जों का ब्‍याज देने में दे रहा है. ऐसे कई मुद्दे हैं जो पाकिस्तान को कंगाली के रास्ते पर लाकर छोड़ दिया है.

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