2011 में अमेरिकी ऑपरेशन के दौरान मारे गए ओसामा बिन लादेन (Osama Bin Laden) के बाद अल-कायदा के प्रमुख बतौर अयमान अल-जवाहिरी (Ayman Al Zawahiri) का चयन हुआ. अब जब जवाहिरी भी अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा जा चुका है, तो उसके वारिस को लेकर कयास लगने शुरू हो गए हैं. हालांकि एफबीआई (FBI) की मोस्ट वांटेड टेरेरिस्ट लिस्ट और उन पर रखे गए ईनाम के लिहाज से सैफ अल-आदेल (Saif Al Adel) अल-कायदा का अगला अमीर यानी प्रमुख हो सकता है. अमेरिका ने आदेल पर 25 मिलियन डॉलर का ईनाम रखा है. ओसामा के बेहद खास रहे अब्दुल्लाह अहमद अब्दुल्ला के बेटी मरियम समेत 2020 में तेहरान में मारे जाने के बाद सैफ अल-आदेल ही अल-कायदा का प्रमुख बनने की रेस में सबसे आगे है. कहा जाता है कि अमेरिका के कहने पर मोसाद (Mosad) ने अब्दुल्लाह अहमद को मार गिराया था. खैर, अल-आदेल का असली नाम मोहम्मद सलाह अल-दीन जैदान है, जिसके अल-कायदा (Al Qaeda) में शामिल होने पर सैफ अल-आदेल नाम दिया गया. ओसामा के दोस्तों में शुमार अल-आदेल की अल-कायदा में भूमिका संरक्षक और एक सैन्य कमांडर बतौर होती है. ओसोमा के जीवित रहने तक उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी अल-आदेल पर थी. फिलहाल ईरान में सक्रिय अल-आदेल अल-कायदा की सैन्य परिषद मजलिस-अल-शूरा का सदस्य भी है.
ईरान में रह संभाल रहा आतंक की कमान
हाल ही में अल-कायदा में अल-मासिरी की जगह नंबर दो की पदवी लेने वाला आदेल वास्तव में इजिप्ट का पूर्व कर्नल है. आदेल पर 1998 में केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावास पर आतंकी हमले की साजिश रचने का आरोप है. मौजूदा समय में वह ईरान में सक्रिय रहकर सीरिया में आतंकी संगठनों को दिशा-निर्देश दे रहा है. आदेल पर 1993 में सोमालिया में 'ब्लैक हॉक डाउन' ऑपरेशन को अंजाम देने का भी आरोप है, जिसमें 19 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे. कहते हैं वैश्विक स्तर पर सैफ जेहादी आंदोलन का सबसे अनुभवी आतंकी है, जिसके शरीर पर आतंकी क्रिया-कलापों के दौरान मिले घावों के निशान हैं. अल-आदेल कोई मामूली जेहादी नहीं है, वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है. सैफ ने अल-कायदा और इजिप्शियन इस्लामिक जेहादियों को ही सैन्य और इंटेलिजेंस प्रशिक्षण नहीं दिया है, बल्कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और सूडान में सक्रिय तमाम आतंकियों को अपने अनुभव से नवाजा है.
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ईरान की सेना में कर्नल था अल-आदेल
एफबीआई के रिकॉर्ड के अनुसार अल-आदेल का जन्म 11 अप्रैल को हुआ. हालांकि उसके जन्म वाले वर्ष की पुख्ता जानकारी एफबीआई के पास भी नहीं है, वह 1960 या 63 में से किसी एक को ही उसका जन्म वर्ष करार देती है. जवाहिरी की ही तरह अल-आदेल भी इजिप्ट का नागरिक है, जिसने देश की सेना में भी अपनी सेवाएं दीं और कर्नल की पदवी तक पहुंचा. अमेरिका का तो मानना है कि सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र विरोधी जनजातीय को भी अल-आदेल ने ही प्रशिक्षित किया था, जिन्होंने मोगादिशु में 1993 में शुरू हुए युद्ध में अमेरिका समेत यूएन शांति सैनिकों को भारी नुकसान हुआ था. अमेरिकी विदेश विभाग ने भी सैफ अल-आदेल की सूचना देने वाले को 10 मिलियन डॉलर देने का ईनाम रखा है. यह ईनाम 1998 में तंजानिया के दार-ए-सलाम और केन्या के नैरोबी में आत्मघाती आतंकी हमले के बाद रखा गया.
अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के अपहरण फिर हत्या में भी नाम
अल-आदेल पर इजिप्ट की सरकार का तख्ता पलट करने का षड्यंत्र रचने का भी आरोप है. इसके बाद वह अफगानिस्तान चला गया था, जहां सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने लगा. सोवियत सेना के अफगानिस्तान से चले जाने के बाद सैफ अल-आदेल अल-कायदा के अन्य सदस्यों की तरह सूडान चला गया, जहां वह आतंकी संगठनों में शामिल होनेवाले नए रिक्रूटों को विस्फोटको के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया करता था. 12 मई 2003 में सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हुए आत्मघाती हमले के पीछे भी सैफ अल-आदेल का हाथ माना जाता है. यही नहीं, 2011 में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल के अपहरण में भी सैफ अल-आदेल का नाम सामने आया था. बाद में डेनियल पर्ल का पाकिस्तान में सिर कलम कर दिया गया था. अब जब अल-कायदा का कोई भी शीर्ष कमांडर जीवित नहीं है, तो सैफ अल-आदेल को ही आतंकी संगठन का नया अमीर बतौर देखा जा रहा है.
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अन्य दावेदार भी अल-कायदा के अमीर बनने के क्रम में
अब्दुल अल-रहमान अल-मघरेबी
अल-कायदा संगठन में यह भी एक शीर्ष कमांडर है, जो शूरा का सदस्य है. मूलतः मोरक्को में जन्मे मघरेबी ने अल-जवाहिरी की एक बेटी से निकाह किया. यह अफगानिस्तान की यात्रा से पहले जर्मनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था. अफगानिस्तान की यात्रा के दौरान अल-कायदा के संपर्क में आया और अल-सहाब की जिम्मेदारी संभालने के लिए चुन लिया गया. अल-सहाब वास्तव में अल-कायदा का प्राइमरी मीडिया विंग है. इसके बाद मघरेबी ने कई आतंकी हमलों की साजिश रची. अल-कायदा का सदस्य होने के कारण अमेरिका ने इसके सिर पर भी 7 मिलियन डॉलर का ईनाम रखा है.
यासीन अल-सूरी
अल-सूरी को एजेदिन अब्देल अजीज खलील के नाम से भी जाना जाता है, जो ईरान में सक्रिय है. यह संगठन के लिए धन जुटाने के साथ-साथ मध्य पूर्व से ईरान और पाकिस्तान से अल-कायदा के लिए भर्ती का काम भी देखता है. अल-सूरी को अल-कायदा में नई पीढ़ी के नेता बतौर प्रशिक्षित किया गया ताकि वह निकट भविष्य में और बड़ी जिम्मेदारी संभाल सके. सुनने में आता है कि अल-सूरी अब सैफ अल-आदेल के वारिस बतौर अल-कायदा की सैन्य परिषद की कमान संभाल रहा है. अमेरिका ने इसकी सूचना देने पर 3 मिलियन डॉलर का ईनाम रखा हुआ है.
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अबु अब्दुल करमी अल-खुरासिनी
2015 में ईरान की कैद से रिहा होकर अल-खुरासिनी ने सीरिया में शरण ली. हालांकि यह अल-कायदा का निष्ठावान बना रहा और उससे जुड़े जेहादी गुट हुरास अल-दीन का वरिष्ठ कमांडर रहा. अल-खुरासिनी ने 2017 से हुरास अल-दीन और हयात ताहिर अल-शम आतंकी गुटों में एका कराने के तमाम प्रयास किए. इसके सिर पर भी 5 मिलियन डॉलर का ईनाम है.
HIGHLIGHTS
- सैफ अल-आदेल अल-कायदा का विस्फोटक विशेषज्ञ माना जाता है
- ईरान से सीरिया के आतंकी संगठनों को दे रहा है आतंक के दिशा-निर्देश
- केन्या-तंजानिया में अमेरिकी दूतावास पर आत्मघाती हमलों में वांछित