Uttarakhand Bypolls Result 2024: उत्तराखंड उपचुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को करारी शिकस्त मिली है. बीजेपी की सबसे चौंकाने वाली हार बद्रीनाथ सीट पर हुई है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में अयोध्या में हार के बाद पार्टी को एक और धर्मनगरी बद्रीनाथ में हार का मुंह देखना पड़ा है. इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला ने धमाकेदार जीत दर्ज की है. उनको 28 हजार से ज्यादा वोट मिले. ऐसे में सवाल उठता है कि अयोध्या के बाद एक और धर्मनगरी बद्रीनाथ में भगवा पार्टी क्यों पिछड़ गई.
विकास के बावजूद BJP की हार क्यों?
राम मंदिर निर्माण के लिए बीजेपी सरकार ने अयोध्या का कायाकल्प कर दिया. यहां विकास परियोजनाओं के लिए सरकार ने काफी पैसा खर्च किया. जब आप अयोध्या जाएंगे तो आपका वहां भगवामय और राममय हुई चौड़ी-खूबसूरत सड़कें शहर में आपका स्वागत करती हैं. दीवारों पर रामायण के दृश्य और कई जगह हुए विकास कार्य दिखेंगे. राम मंदिर निर्माण और अयोध्या के विकास के बलबूते बीजेपी को पूरा विश्वास था कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की यहां से बंपर जीत होगी, लेकिन हुआ इसके उलट. 2014 से यहां से पार्टी के लगातार सांसद रहे लल्लू सिंह को समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने करीब 40 हजार वोटों से हरा दिया था.
वोटर्स को क्यों नहीं लुभा पा रही BJP?
ऐसा ही कुछ अब धर्मनगरी बद्रीनाथ में हुआ है. चार धाम में आने के चलते बद्रीनाथ में बीजेपी की प्रदेश-केंद्र सरकार की ओर यहां बड़े पैमाने पर विकास कार्य चल रहे हैं. इसके बावजूद बद्रीनाथ में बीजेपी की हार हुई है. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए राजेंद्र भंडारी को कांग्रेस के कैंडिडेट लखपत सिंह बुटोला ने पांच हजार से अधिक वोटों से हरा दिया. पार्टी को यहां मिली हार उसकी परेशानी बढ़ाने वाली है. सवाल उठ रहे हैं कि बीजेपी सरकार धार्मिक स्थलों का विकास करने के बावजूद इन इलाकों में पार्टी क्यों पिछड़ रही है और आखिर क्यों पार्टी वोटर्स को लुभाने में विफल हो रही है.
बद्रीनाथ सीट पर उपचुनाव की नौबत क्यों?
बद्रीनाथ सीट पर पहले भी कांग्रेस के खाते में थी. यहां राजेंद्र भंडारी पार्टी के विधायक थे. लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी का कमल थाम लिया. तब राजेंद्र सिंह भंडारी ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित होकर वो बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. इसके चलते ही इस सीट पर विधानसभा चुनाव की नौबत आई. बता दें कि बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर राजेंद्र भंडारी का काफी दबदबा है. वो इस सीट लगातार तीन बार कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं. उन्होंने 2012 में बीजेपी के प्रेम बल्लभ पंत को यहां से हराया था. अब आइए यह जानने की कोशिश करते हैं कि बद्रीनाथ सीट में क्यों पिछड़ी बीजेपी.
1- राजेंद्र भंडारी की दल-बदलू छवि
जब राजेंद्र भंडारी ने कांग्रेस पार्टी को छोड़ा क्षेत्र का जनता का निराश हुई. लोगों ने बीजेपी के खिलाफ वोट देकर उनको जिताया था. अब जब उपचुनाव के नतीजे आए हैं, तो जनता ने उन्हें दिखा दिया है कि उनका दल बदल करना उनको किस हद तक रास नहीं आया. जिस सीट से राजेंद्र भंडारी तीर बार से विधायक थे, वहीं की जनता ने उनको 5 हजार से अधिक वोटों से हराने का काम किया और एक फिर कांग्रेस प्रत्याशी को जिताया.
2- स्थानीय लोगों में BJP से नाराजगी
बीजेपी की हार इशारा कर रही है कि बद्रीनाथ में विकास कार्यों से स्थानीय लोगों और पुजारियों में नाराजगी है. बताया जा रहा है कि चारधाम को लेकर केंद्र सरकार के मास्टर प्लान से स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है. उनका तर्क है कि बद्रीनाथ मास्टर प्लान को लेकर स्थानीय स्तर पर कोई स्टडी नहीं की गई है. उनका कहना है कि विकास कार्यों से यहां कितना नुकसान हो रहा है, यह जानने की भी कोशिश नहीं गई है. वहीं मंदिर में प्रवेश की सुविधा को लेकर लोगों और पुजारियों में खासा नाराजगी है.
बीजेपी को बद्रीनाथ सीट पर ही नहीं बल्कि प्रदेश की मंगलौर सीट पर हुए उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा है. यहां पार्टी के उम्मीदवार करतार सिंह भड़ाना को हार का मुंह देखना पड़ा है. कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन महज 449 वोटों से चुनाव जीत गए हैं. इन दोनों ही सीटों पर 10 जुलाई को वोट हुए थे.
Source : News Nation Bureau