रमजान (Ramzan) का महीना मुसलमानों के लिए बहुत पवित्र है. दुनिया के हर कोने में मुसलमान इस दौरान रोजा रखते हैं और इबादत करते हैं. ऐसे ही रमजान के पवित्र महीने में एक मस्जिद दो देशों के बीच जंग का अखाड़ा बन गई है. ये मस्जिद भी कोई ऐसी-वैसी नहीं है, बल्कि दुनिया में मक्का और मदीना के बाद मुसलमानों की तीसरी सबसे पवित्र मस्जिद है. इस मस्जिद में एक देश के हथियारबंद पुलिसवाले घुसे और वहां मौजूद लोगों को डंडों और राइफलों की बटों से पीटने लगे. ग्रेनेड फेंके गए. स्टन गन और रबर की गोलियां चलाई गईं. कम से कम एक दर्जन लोग घायल हो गए. हम बात कर रहे हैं यरूशलम की अल-अक्सा (Al Aqsa) मस्जिद की, जहां पर यह घटना हुई. ये मस्जिद यरुशलम (Jerusalem) के पुराने इलाके में स्थित है. जिस देश के पुलिसवालों पर मस्जिद में घुसकर पीटने का आरोप है, वह इजरायल (Israel) है. और मस्जिद में जिन लोगों को पीटा गया, वे हैं फलस्तीनी. इस घटना के बाद दोनों देशों की तरफ से एकदूसरे पर रॉकेट बरसाए जा रहे हैं. इन देशों के बीच एक बार फिर खूनी जंग की आशंका से दुनिया में सिहरन पैदा हो गई है. दुनिया के कुछ देशों को बीच-बचाव करने उतरना पड़ा है. आइए बताते हैं, इस पवित्र मस्जिद का इतिहास क्या है. क्यों इसे और इसके आसपास की जगह को लेकर देशों में झगड़ा होता रहता है. और इस संकट से दुनिया का पारा एक बार फिर से क्यों चढ़ने के आसार क्यों जताए जा रहे हैं.
एक जगह कई धार्मिक आस्थाओं का केंद्र
पहले बात अल-अक्सा मस्जिद की. यह पूर्वी यरुशलम में स्थित है. इस मस्जिद और इसके आसपास के कुछ एकड़ इलाके को मुसलमानों में ही नहीं, बल्कि यहूदियों और ईसाइयों में भी सबसे पवित्र माना जाता है. मुसलमान इसे अल-हराम अल शरीफ़ कहते हैं. उनका मानना है कि इस्लाम के आखिरी पैगंबर मोहम्मद ने जन्नत तक का सफर यहीं से किया था और अल-अक्सा में ही नमाज अदा की थी. इसका पहली बार निर्माण 8वीं सदी में हुआ था. अल-अक्सा मस्जिद के ठीक सामने सुनहरे गुंबद वाली इस्लामी इमारत है, जिसे डोम ऑफ द रॉक कहा जाता है. यहूदियों में टेंपल माउंट को सबसे पवित्र जगह माना जाता है. वे मानते हैं कि यहीं पर दो प्राचीन टेंपल हैं. इसमें पहला टेंपल किंग सोलोमन ने करीब एक हजार ईसा पूर्व बनवाया था, जिसे बाद में बेबीलोनियन लोगों ने तोड़ दिया. उसके लगभग 500 साल बाद यहूदियों ने फिर से यहां टेंपल बनवाया. वह करीब 600 साल तक सलामत रहा, फिर रोमन साम्राज्य में इसे तोड़ दिया गया. कहते हैं कि मंदिर का एक हिस्सा बच गया, जिसे वेलिंग वॉल या वेस्टर्न वॉल कहते हैं. इस पवित्र जगह के अंदर ही द होली ऑफ़ द होलीज़ नाम की जगह है, जिसके बारे में यहूदियों का विश्वास है कि यही वो जगह है जहां का दुनिया निर्माण हुआ. इसी इलाके में ईसाईयों का एक पवित्र चर्च भी है, जिसके बारे में वह मानते हैं कि ईसा मसीह को यहीं सूली पर चढ़ाया गया था. जिस जगह उनका पुनर्जन्म हुआ था, वो भी यहीं पर जगह है.
यह भी पढ़ेंः Imran Khan का दुख! भारत की तरह रूस से सस्ता तेल मिलता... गर ऐसा न हुआ होता
पुराना यरुशलम विश्व विरासत स्थल और यहूदी-मुस्लिम टकराव का कारण भी
यूनेस्को ने यरुशलम के पुराने शहर को विश्व विरासत स्थल घोषित कर रखा है. इस जगह पर कब्जे को लेकर भी एक कहानी है. 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन की जमीन को दो हिस्सों में बांट दिया था. इस तरह 1948 में इजरायल बना, लेकिन इजरायल यरुशलम को अपनी राजधानी बनाना चाहता था क्योंकि टेंपल माउंट वहीं पर था. अरब देशों ने इसका विरोध किया. मामला बिगड़ते देख संयुक्त राष्ट्र ने इस इलाके में इंटरनेशनल कंट्रोल की बात कहते हुए नई व्यवस्था बना दी. अब इजरायल तो संतुष्ट हो गया लेकिन अरब मुल्क खफा हो गए. युद्ध हो गया. 1967 में इजरायल ने जॉर्डन से यरुशलम के पुराने शहर समेत पूर्वी इलाके का कब्जा ले लिया. इजरायल ने बाद में संयुक्त यरुशलम को अपनी राजधानी बनाने का ऐलान किया, लेकिन यह योजना कभी सिरे नहीं चढ़ पाई. 1994 में इजरायल और जॉर्डन के बीच संधि हुई और अल-अक्सा मस्जिद और डोम ऑफ द रॉक के इलाके का प्रबंधन जॉर्डन द्वारा नियंत्रित इस्लामी ट्रस्ट वक्फ के सुपुर्द कर दिया गया. इजरायली सुरक्षाबल यहां अपनी मौजूदगी रखते हैं. मुसलमानों को यहां नमाज पढ़ने की छूट है. यहूदी और ईसाइयों को यहां पर आने की तो इजाजत है, लेकिन प्रेयर करने की छूट नहीं है. यहूदी सिर्फ वेस्टर्न वॉल के पास प्रार्थना कर सकते हैं.
सालों पुराना है हिंसक संघर्ष
तो अब विवाद क्या है? क्या इजरायल वापस इस पर अपना अधिकार जमाना चाहता है? इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू कह चुके हैं कि वह इलाके में कायम यथास्थिति को बदलना नहीं चाहते. लेकिन कुछ इजरायली धार्मिक संगठन हैं, जो लगातार अपनी पवित्र जगह पर प्रेयर करने के अधिकार की मांग करते रहते हैं. समय-समय पर इजरायली और फलस्तीनियों के बीच हिंसक झड़पें भी होती रहती हैं. ऐसे ही तनाव के बीच 9 मई 2021 को इज़रायली सुरक्षाबल अल-अक्सा मस्जिद परिसर में घुस आए थे. ग्रेनेड फेंके गए थे. जवाब में हमास ने इजरायली शहरों पर रॉकेट से हमले कर दिए थे. इजरायल ने गाज़ा पट्टी पर हवाई बमबारी कर दी थी. दोनों देशों के बीच भयानक जंग छिड़ गई थी. 11 दिनों तक चली जंग 269 लोगों की मौत हो गई जिनमें 67 बच्चे भी थे.
यह भी पढ़ेंः 'Ghulam' हो चुके पूरी तरह 'Azad', अब राहुल पर जड़ा 'अवांछित कारोबारियों' से संबंधों का आरोप
फिर बन रहे जंग के आसार
अब एक बार फिर दोनों देश जंग के मुहाने पर खड़े नजर आ रहे हैं. बुधवार को यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद धमाकों, गोलीबारी और चीखपुकार से दहलने लगी. सोशल मीडिया पर वायरल कुछ वीडियो में दिख रहा है कि इजरायली पुलिस के जवान फलस्तीनियों को पीट रहे हैं. इजराइली पुलिस का दावा है कि पटाखे, डंडे और पत्थरों से लैस फलस्तीनी प्रदर्शनकारियों ने खुद को मस्जिद के अंदर कैद कर लिया था. उन्हें निकालने के लिए ये कार्रवाई करनी पड़ी. इस कार्रवाई में कम से कम 12 फलस्तीनी घायल हो गए. अल अक्सा में हुई कार्रवाई की प्रतिक्रिया भी हुई. गाजा पट्टी से दनादन इजरायल की तरफ रॉकेट दागे गए. आरोप है कि ये रॉकेट हमास की तरफ से छोड़े गए. हालांकि हमास ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है. इजरायल ने भी इसके जवाब में गाजा पट्टी पर बमबारी कर दी. इजरायली हवाई जहाजों से बमों की बरसात जारी है. फिर से जंग गहराने की आशंका को देखते हुए कुछ अरब देशों ने बीच-बचाव की कोशिशें शुरू कर दी हैं. कतर के अधिकारियों ने बताया है कि खाड़ी देश इजरायल और फलस्तीन के बीच तनाव घटाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. अब देखना होगा ये प्रयास कितने कारगर साबित होते हैं या फिर एक बार फिर से दुनिया की सबसे पवित्र मानी जाने वाली इस जगह से शुरू हुआ विवाद इन देशों के बीच जंग का अखाड़ा बन जाएगा.
- नवीन कुमार की रिपोर्ट
HIGHLIGHTS
- अल अक्सा मस्जिद में इजरायली बलों की कार्रवाई से भड़की भावनाएं
- एक बार फिर अरब देशों और इजराइल के बीच युद्ध की आशंका बढ़ी
- चुनिंदा देश तनाव खत्म कर शांति बहाली के लिए हुए तेजी से सक्रिय