पर्यावरण (Environment) दूषित करने और कुछ जीव-जंतुओं की प्रजातियों के नष्ट करने के साथ ही माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics) अब इंसानों की सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर रहा है. प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण या टुकड़े के इंसानी सेहत के लिए भी बेहद हानिकारक होने के प्रमाण सामने आए हैं. मिनरल वाटर और पैकेटबंद खाद्य पदार्थों के साथ इंसानों के जिस्म में पहुंच रहा माइक्रोप्लास्टिक्स का जहर खून और वायुमार्ग (Respiratory Systems) में भी अपना रास्ता तलाश रहा है.
12 प्रकार के प्लास्टिक की पहचान
साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में हाल ही में छपी एक स्टडी रिपोर्ट में निचले फेफड़े सहित फेफड़े के सभी हिस्सों में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक्स की खोज का दावा किया गया है. स्टडी के दौरान रिसर्चर्स ने 12 प्रकार के प्लास्टिक की पहचान की है. इसमें पॉलीप्रोपाइलीन और पॉलीथीन के साथ ही टेरेफ्थेलेट और राल भी शामिल हैं. आमतौर पर ये प्लास्टिक पैकेजिंग, बोतलों, कपड़ों, रस्सी और सुतली निर्माण में पाए जाते हैं. माइक्रोप्लास्टिक के सबसे खतरनाक स्रोतों में शहर की धूल, कपड़ा और टायर भी शामिल हैं.
कई खतरनाक बीमारियों की बड़ी वजह
रिपोर्ट में बताया गया है कि कि प्लास्टिक के कण लंबे समय से इंसान के फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके चलते इंसानों के खतरनाक बीमारी जैसे कैंसर, अस्थमा का दौरा समेत दूसरी कई समस्याएं होती हैं. एक अन्य स्टडी में खुलासा हुआ है कि कपड़ा कारखानों में मजदूरों और कामगारों में पॉलिएस्टर और नायलॉन फाइबर से निकलने वाले माइक्रोप्लास्टिक कणों की वजह से खांसी, सांस फूलना और फेफड़ों की क्षमता कम होना जैसी समस्याएं पाई गई हैं.
वर्षों तक खत्म नहीं होते माइक्रोप्लास्टिक
नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन ( NOAA) के मुताबिक माइक्रोप्लास्टिक 0.2 इंच (5 मिलीमीटर) से छोटे प्लास्टिक के कण को कहते हैं. देखने में इनका आकार एक तिल के बीज के बराबर हो सकता है. माइक्रोप्लास्टिक के ये छोटे कण बैक्टीरिया और लगातार कार्बनिक प्रदूषकों (POP) के वाहक के रूप में काम करते हैं. जहरीले कार्बनिक यौगिक POP प्लास्टिक की तरह होते हैं. इन्हें खत्म होने में वर्षों लग जाते हैं. इन वजहों से ही माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण के साथ ही इंसान की सेहत का बंटाधार कर रहा है.
फेफड़े के लिए सबसे खतरनाक
इंसान की सेहत के लिए माइक्रोप्लास्टिक के खतरे पर दुनिया के कई विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं में रिसर्च चल रहा है. हेल्थ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक जैसे सूक्ष्म कण फेफड़ों में लंबे समय तक बने रह सकते हैं और उन्हें काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे फेफड़ों में सूजन हो सकती है. इसके अलावा पहले से ही फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे मरीजों की हालत गंभीर हो सकती है. माइक्रोप्लास्टिक के कण गर्भवती महिलाओं में फेफड़ों से दिल, दिमाग और भ्रूण के अन्य अंगों को तेजी से नुकसान पहुंचा सकते हैं.
दुनिया के पारिस्थितिक तंत्र पर खतरा
माइक्रोप्लास्टिक मनुष्यों से लेकर समुद्री जीवों तक के लिए विनाशकारी हो सकता है. यह दुनिया भर के पारिस्थितिक तंत्र को भी प्रभावित कर रहा है. इनमें कीटनाशक और डाइऑक्सिन जैसे केमिकल भी शामिल हैं. यह उच्च सांद्रता में मानव और पशु दोनों की सेहत के लिए खतरनाक हैं. रिसर्चर्स लगभग 20 सालों से माइक्रोप्लास्टिक्स से होने वाले नुकसान को लेकर चिंतित हैं. माइक्रोप्लास्टिक के छोटे कण छह दिनों तक हवा में रह सकते हैं. स्टडी का मानना है कि माइक्रोप्लास्टिक के मामले में यह भी मायने रखता है कि कण कितना बड़ा है. बड़े कण ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं.
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ब्लड सैंपल में मिले माइक्रोप्लास्टिक
एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने 22 गुमनाम स्वस्थ वयस्कों के रक्त के ब्लड सैंपल का विश्लेषण किया. इनमें से 17 लोगों में प्लास्टिक के कण पाए. आधे नमूनों में पीईटी प्लास्टिक (PET Plastic) था. यह आमतौर पर कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में उपयोग किया जाता है. एक तिहाई में पॉलीस्टाइनिन (Polystyrene) पाया गया. इसका उपयोग भोजन और अन्य उत्पादों की पैकेजिंग के लिए किया जाता है. एक चौथाई रक्त के नमूनों में पॉलीइथाइलीन (Polyethylene) था. इससे प्लास्टिक बैग बनाए जाते हैं.
HIGHLIGHTS
- प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण सेहत के लिए बेहद हानिकारक हैं
- स्टडी के दौरान रिसर्चर्स ने 12 प्रकार के प्लास्टिक की पहचान की
- माइक्रोप्लास्टिक 0.2 इंच (5 मिलीमीटर) से छोटे प्लास्टिक के कण