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अमेरिका कैदियों की अदला-बदली में रूस को विक्टर बॉत सौंपने को तैयार... कौन है ये

हथियारों की आपूर्ति कर दुनिया के किसी भी कोने में हिंसा को बढ़ावा देने वाला विक्टर बॉत हथियारों की तस्करी की दुनिया में लंबे समय से छाया हुआ नाम है. 2012 में विक्टर बॉर्त को अमेरिका में 25 साल की सजा सुनाई गई.

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Nihar Saxena
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Viktor Bout

मौत के सौदागर के नाम लोकप्रिय है हथियारों का सौदागर विक्टर बॉत.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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डब्ल्यूएलबीए स्टार ब्रिटनी ग्रिनर (Brittney Griner) और पूर्व अमेरिकी मेरीन पॉल व्हेलम ( Paul Whelam) की रिहाई के बदले अमेरिका का जो बाइडन (Joe Biden) प्रशासन रूस से कैदियों की अदला-बदली की एक डील करने जा रहा है. अमेरिका का कहना है कि ग्रिनर और व्हेलम को रूस (Russia) ने गलत तरीके से फर्जी आरोपों में बंदी बना रखा है. कैदियों की अदला-बदली की इस डील के बदले अमेरिका, रूस को क्या देगा इसे लेकर कोई बात पुष्ट रूप से सामने नहीं आई है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस डील के जानकारों का दावा है कि अमेरिका इसके बदले रूसी हथियार डीलर विक्टर बॉत (Victor Bout) को मॉस्को के हवाले कर देगा. 'मर्चेंट ऑफ डेथ' के नाम से लोकप्रिय विक्टर अमेरिका (America) में 25 साल की जेल की सजा काट रहा है. 

कौन है विक्टर बॉत
हथियारों की आपूर्ति कर दुनिया के किसी भी कोने में हिंसा को बढ़ावा देने वाला विक्टर बॉत हथियारों की तस्करी की दुनिया में लंबे समय से छाया हुआ नाम है. 2008 में गिरफ्तारी से पहले विक्टर अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इराक, सुडान, एंगोलो, कांगो, लाइबेरिया, फिलिपींस, रवांडा और सियरा लियोन में हथियारों की आपूर्ति कर रहा था. घातक हथियारों की तस्करी से जुड़े उसके कारनामों ने ही उसे मौत का व्यापारी यानी 'मर्चेंट ऑफ डेथ' का उपनाम दिलाया. विक्टर बॉत की लोकप्रियता का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि उससे प्रेरित होकर हॉलीवुड में एक फिल्म भी बनी 'लॉर्ड ऑफ वॉर', जिसमें केंद्रीय भूमिका निकोलस केज ने निभाई थी. 

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सोवियत एयर फोर्स को भी दी सेवाएं
विक्टर बॉत ने सोवियत एयर फोर्स को भी अपनी सेवाएं दी हैं. माना जाता है कि उसने इस दौरान खुफिया जानकारियां भी जुटाईं. बॉत के पास पुराने लेकिन बेहद मजबूत माने जाने वाले एंटोनोव, इल्युशिन और येकोलेव कार्गो प्लेन हैं, जो उसने सोवियत संघ के विघटन के बाद हासिल किए. हालांकि कुछ का कहना है कि इन कार्गो प्लेन का उसका नया स्टार्ट-अप रूसी सैन्य खुफिया सेवा 'ग्रु' के सहयोग से शुरू हुआ. इन कार्गो प्लेन के जरिये माल ढुलाई का काम जल्द ही दुनिया के बेहद खतरनाक हिंसक क्षेत्रों में शुमार कन्फ्लिक्ट जोंस में हथियार पहुंचाने के जरिये में तब्दील हो गया. दुनिया उसके इन कारनामों से अमेरिका पर 9/11 के आतंकी हमलों तक बेखबर रही. इसके बाद उसके कारनामे सामने आए और उसे मर्चेंट ऑफ डेथ के उपनाम से नवाजा गया. कहा जाता है कि दुनिया के लिए गुमनाम इस रूसी फैंटम के पास विंटेज सोवियत कार्गो की दुनिया में सबसे बड़ी फ्लीट थी. इसके जरिए वह अफ्रीका, एशिया से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक हथियारों की आपूर्ति करता था. यही नहीं, उसे दुनिया के किलिंग जोन में शुमार देशों में भी तानाशाहों और वॉरलॉर्ड्स से मिलते-जुलते देखा गया. उनसे मुलाकात कर वह रूस, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका और यूएई के अपने शानदार सुरक्षित घरों में वापस लौट आता था.

संयुक्त राष्ट्र के साथ भी किया काम
विक्टर बॉत पर 2005 में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि वह टैंक, हेलीकॉप्टर और टनों हथियार दुनिया के किसी भी कोने में पहुंचाने में सक्षम था. बॉत सशस्त्र विद्रोहियों समेत उनसे निपटने में लगी सरकार यानी दोनों पक्षों को हथियारों की आपूर्ति करता था और दूसरे पक्ष को पता भी नहीं चलता था. रोचक बात यह है कि बॉत ने अपने नेटवर्क का इस्तेमाल कर सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों को भी पहुंचाया. डीआर कांगो को विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत रसद मुहैया कराई. इससे पता चलता है कि वह विद्रोहियों समेत वैश्विक संगठनों के साथ कंधे से कंधा मिला काम को अंजाम देने में सक्षम था. बॉत पर मनी लांड्रिंग का भी बड़ा आरोप है. कहते हैं उसने तालिबान से लेकर अल-कायदा को धन से लेकर हथियारों की आपूर्ति की. विक्टर बॉक के ग्राहकों की सूची में लीबिया के मुअम्मर गद्दाफी का नाम भी शामिल था. 

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कैसे पकड़ा गया विक्टर बॉत
2006 में अमेरिकी सरकार ने बॉत की संपत्ति फ्रीज कर दी. बॉत की 30 कंपनियों के बड़े नेटवर्क में से दर्जन भर शेल कंपनियां अमेरिका में सक्रिय थीं. इन्हें सीज कर अमेरिकी प्रशासन ने उसके लेन-देन पर रोक लगाई. हालांकि अगले दो सालों तक विक्टर बॉत को गिरफ्तार नहीं किया गया. यूरोप की खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी ने विक्टर बॉत की गिरफ्तारी से पहले द गार्डियन अखबार को बताया था कि हम विक्टर बॉत के बारे में जानकर भी अनजान बने रहे. हालांकि 2008 में स्थितियां बदल गईं. अमेरिकी ड्रग इन्फोर्समेंट एजेंसी के एजेंटों ने थाईलैंड में एक जाल बिछाया. इस जाल के तहत एजेंसी के एजेंट्स कोलंबिया के फार्क विद्रोहियों के रूप में बॉत से मिले और हथियारों की बात की, जिस पर वहआपूर्ति करने को राजी भी हो गया. अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने टिप्पणी की थी... 'यह सौदा एक खास समझ के साथ हुया था. बॉत को मालूम था कि उन हथियारों का इस्तेमाल कोलंबिया में अमेरिकी हेलीकॉप्टर्स पर किया जाएगा'. कोलंबिया की द रिवोल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेस या फार्क आतंकी संगठन के रूप में दर्ज था. मार्च 2008 में गिरफ्तारी के बाद नवंबर 2010 में विक्टर बॉत को अमेरिका प्रत्यर्पित कर दिया गया. 2012 में विक्टर बॉर्त को 25 साल की सजा सुनाई गई. बॉत पर फार्क विद्रोहियों को सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों समेत 20 हजार एके-47 राइफल्स समेत करोड़ों डॉलर के हथियार बेचने का आरोप था, जिनका इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ होना था. 

रूस क्यों चाहता है विक्टर बॉत की वापसी
दोषी ठहराए जाने के बावजूद बॉत लगातार निर्दोष बता खुद को नियम-कानूनों को मानने वाला व्यवसायी ही करार देता आया है. रूस विक्टर बॉत को मानवाधिकार मसले के रूप में पेश कर सिद्ध करना चाहता है कि पश्चिमी देश निर्दोष रूसी नागरिकों का उत्पीड़न कर रहे हैं. बीते साल विक्टर बॉत को समर्थन देते संकेत के रूप में मॉस्को के सिविक चैंबर बिल्डिंग में उसकी जेल में बनाई पेंटिंग्स की चार दिवसीय प्रदर्शनी लगाई गई थी. इन पेंटिंग्स का चयन विक्टर बॉत की पत्नी ने किया था. 

HIGHLIGHTS

  • मर्चेंट ऑफ डेथ के नाम से लोकप्रिय विक्टर बॉत अमेरिका में की जेल में है बंद
  • अमेरिका के खिलाफ साजिश रचने के इल्जाम में हुई है 25 साल जेल की सजा
  • तालिबान, अल-कायदा समेत तमाम विद्रोही गुटों को हथियारों की आपूर्ति की बॉत ने
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