Analaksya Stealth Tech: भारत ने एक कमाल की खोज की है. अब भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स उड़ते ही ‘गायब’ हो जाएंगे. दुश्मन किसी भी तरह से भारतीय फाइटर जेट्स, मिसाइलों और रॉकेट्स को ट्रेस नहीं कर पाएगा. इस नई खोज को ‘अनलक्ष्य’ नाम दिया गया है, जो एक खास तरह का कपड़े जैसा मटेरियल होगा. आइए जानते हैं कि ये अनलक्ष्य क्या है, जिससे असंभव काम कैसे संभव हो पाएगा.
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एयरफोर्स ने की तारीफ
इंडियन एयरफोर्स के अधिकारियों को जब इस खोज के बारे में पता चला तो वे भी हैरान रह गए. ‘अनलक्ष्य’ लॉन्चिंग कार्यक्रम में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित, एयर मार्शल राजेश कुमार और लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन सहित प्रमुख रक्षा अधिकारियों ने भाग लिया. ये अधिकारी से इस नई खोज के बारे में जानकर उसकी तारीफ करने से खुद को रोक नहीं पाए. आइए जानते हैं कि ये खोज किसने की है.
किसने की है अनलक्ष्य की खोज
‘अनलक्ष्य’ की खोज आईआईटी कानपुर के रिसर्चर्स और स्टूडेंट्स ने की है. इसके लिए इंडियन एयरफोर्स ने आईआईटी कानपुर की भूरी-भारी तारीफ की. इस टेक्नोलॉजी को बड़े पैमाने पर भारतीय वायुसेना की ओर से इस्तेमाल करने की प्लानिंग कर रही है. अब चलिए जानते हैं कि ये अनलक्ष्य क्या है और इसकी खोज कितनी बड़ी उपलब्धि है.
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क्या है अनलक्ष्य (What is Analaksya)
आईआईआई कानपुर ने अपनी खोज को अनलक्ष्य मेटामटेरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम (MSCS) नाम दिया है. यह एक स्टील्थ टेक्नोलॉजी है, जिससे भारतीय विमान, फाइटर जेट्स और मिसाइलों अदृश्य हो पाएंगे. इस टेक्नोलॉजी की खोज से भारत की सैन्य ताकत कई गुना बढ़ेगी. कहा जा सकता है कि ये तकनीकि चीन और पाकिस्तान के लिए शामत लाएगी.
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कैसे करता है काम
अनलक्ष्य कपड़ा-आधारित (Textile Based) ब्रॉडबैंड मेटामटेरियल माइक्रोवेव अवशोषक है. इसकी सबसे अनोखी खासियत ये है कि ये रडार (Radar Waves) को अवशोषित (Absorb) कर लेता है, जिससे इसे दुश्मन के रडार पकड़ नहीं पाएंगे. इस तरह भारत के लिए अबतक असंभव ये काम अब संभव हो पाएगा. यह टेक्नोलॉजी न केवल स्टील्थ तकनीक में एक छलांग है, बल्कि शिक्षा, उद्योग और सैन्य मोर्च के लिए बड़ी कारगार साबित होगी.
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कितनी बड़ी ये उपलब्धि
भारत के लिए इस टेक्नोलॉजी की खोज बहुत बड़ी उपलब्धि है. यह देश की सुरक्षा बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाएगी. युद्ध के समय विमान, जेट्स और मिसाइलें दुश्मन के रडार की पकड़ में आए बिना अटैक कर पाएंगे. डिफेंस सेक्टर और नेशनल सिक्योरिटी के मोर्चे पर ये खोज भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी. इससे युद्ध में दुश्मन के खिलाफ रणनीतिक बढ़त मिल पाएगी. ये कहना गलत नहीं होगा कि ये खोज भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी.