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क्या कच्चे तेल के दामों में 'आग' लगने वाली है?

इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग का असर आने वाले दिनों में दुनियाभर पर देखने को मिल सकता है. क्योंकि इस युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आने की संभावना जताई जा रही है. अगर ऐसा होता है तो फिर लोगों पर महंगाई की मार पड़ेगी.

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Suhel Khan
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Crude Oil

Crude Oil ( Photo Credit : Social Media)

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इज़रायल पर हमास ने हमला कर दिया. इजरायल ने भी जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है. जंग में और भी देशों की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं. लेकिन इस जंग का दुनिया पर आर्थिक असर क्या होगा? क्या कच्चे तेल के दाम बढ़ जाएंगे. क्या महंगाई बढ़ जाएगी? आज हम यही जानने की कोशिश करते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों में उछाल दर्ज किया गया है. आने वाले दिनों में कच्चे तेल में और उछाल आ सकता है.

फिलहाल इस खबर को तैयार करते वक्त ब्रेंट क्रूड की कीमत 86.69 डॉलर प्रति बैरल हैं. इससे पहले कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही थी. लेकिन 6 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला किया. इस वजह से मिडिल ईस्ट में टेंशन बढ़ती दिखने लगी साथ ही क्रूड की कीमतों पर असर भी दिखने लगा. अगर ईरान का इस जंग में इनवॉल्वमेंट बढ़ेगा तो कच्चे तेल की कीमतों पर और असर पड़ना तय है. ईरान ओपेक का सदस्य है और ऑयल प्रोडेक्शन के मामले में दुनिया में सातवें नंबर पर है.

बता दें कि दुनिया में तेल उत्पादन की कमान ओपेक देशों के हाथ में है. जिसमें अल्जीरिया, अंगोला, कांगो, इक्वे-टोरियल गिनी, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेजुएला शामिल हैं. कतर ने 1 जनवरी, 2019 को इसकी सदस्यता छोड़ दी थी. ओपेक+ देशों में 13 ओपेक सदस्य देशों के साथ अज़रबैजान, बहरीन, ब्रुनेई, कज़ाखस्तान, मलेशिया, मेक्सिको, ओमान, रूस, दक्षिण सूडान और सूडान शामिल हैं.

दुनिया में जितना भी कच्चा तेल है, उसका करीब आधा हिस्सा इन्हीं देशों के पास है. महामारी के दौरान जब तेल की मांग में कमी आई तो तेल की कीमतें घटने लगीं. तेल की कीमतों में कमी यानी इन देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर और कमाई में कमी. इसलिए इन देशों ने फैसला किया था कि ये उत्पादन कम करेंगे ताकि मांग ज्यादा रहे और दाम भी ऊंचे रहें. हालांकि इस फैसले को दुनिया के अधिकतर देश मनमानी के तौर पर देखते हैं.

ओपेक देशों का युद्ध पर क्या रुख रहेगा?

अब इस तथ्य को समझिए कि ईरान ओपेक का हिस्सा है. अगर इजरायल, ईरान पर हमला करता है तो क्या होगा? ये एक बड़ा सवाल है. क्या ओपेक और ओपेक प्लस देश अपने उत्पादन में कमी करेंगे? ईरान क्या अपने जलमार्गों को बंद कर देगा? सऊदी अरब अपने उत्पादन में कटौती करेगा? फिहाल सवाल कई हैं लेकिन जवाब अभी कोई नहीं है. हालांकि विशेषज्ञों के हवाले से कई मीडिया रिपोर्ट सामने आई हैं. इन रिपोर्ट्स के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ जाएंगे. ट्रांसपोर्टेशन महंगा हो जाएगा.

अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर महंगाई बढ़ सकती है. खतरा केवल महंगाई का नहीं है बल्कि दुनिया में अगर जियो-पॉलिटिकल टेंशन बढ़ती है तो दुनिया भर के बाजारों में अस्थिरता बढ़ेगी, महंगाई के साथ साथ मंदी का खतरा भी बढ़ेगा. यानि इन्फ्लेशन और स्टैगफ्लैशन दोनों का खतरा एक साथ होगा. कच्चे तेल की कीमतें अगर बढ़ती हैं और तेल कंपनियां जनता पर इसका भार नहीं डालती हैं तो कंपनियों को नुकसान होगा. अगर सरकार कंपनियों की मदद करती है, सब्सिडी आदि देती है तो राजकोषीय घाटे की आशंका हो सकती है.

70 के दशक में बढ़े थे तेल के दाम

ऐसा पहले भी हो चुका है, साल 1973 में अरब देशों ने इजरायल पर हमला कर दिया था. जिसमें अमेरिका खुलकर इजरायल के साथ आ गया था. इससे नाराज होकर ओपेक देशों ने तेल का उत्पादन घटा दिया था. 1974 तक दुनिया में तेल की किल्लत हो गई. तब कच्चे तेल के दाम 5 डॉलर प्रति बैरल से 25 डॉलर प्रति बैरल का दाम पहुंच गए. दुनिया भर में महंगाई बढ़ गई. आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ गई. हालांकि इस बार अरब देशों ने अभी तक जंग में खुलकर हिस्सा नहीं लिया है.

एक तथ्य ये भी है कि दुनिया के देश अब अपने पास तेल का एक रिजर्व भी रखते हैं. हालांकि इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि अगर जंग लंबी चलती है तो अगले साल यानी 2024 में इसका असर नजर आएगा. दूसरा तथ्य ये कि ईरान की एंट्री युद्ध में होने के बाद दृश्य बदल जाएगा. अगर अमेरिका ईरान पर प्रतिबंध लगाता है तो भी दुनिया में तेल के दाम बढ़ सकते हैं. हालांकि इसका फायदा रूस को हो सकता है.

भारत का इजरायल और फिलीस्तीन के साथ कितना व्यापार होता है?

भारत और इजरायल के बीच करीब 10 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है. भारत ने इजरायल को 7.89 अरब डॉलर का सामान भेजा तो वहीं इजरायल से भारत को 2.13 अरब डॉलर का सामान आया. भारत से इजरायल को मोती और कीमती रत्न, ऑटोमोटिव डीजल, केमिकल उत्पाद, मशीनरी और इलेक्ट्रिकल उत्पाद, प्लास्टिक, टेक्सटाइल और अपैरल उत्पाद, बेस मेटल और ट्रांसपोर्ट के सामान के साथ-साथ कृषि उत्पाद भी भेजे जाते हैं.

वहीं इजरायल से भी रत्न, केमिकल, मशीनरी, पेट्रोलियम और डिफेंस मशीनरी आदि भारत आती है. इसके अलावा भारत से फिलिस्तीन को सालाना करीब 46 मिलियन डॉलर का सामान भेजा जाता है और वहां से करीब डेढ़ लाख डॉलर का सामान भारत आता है. भारत से वहां मार्बल, ग्रेनाइट, बासमती चावल, वैक्सीन बनाने के लिए रॉ मटीरियल, कॉफी, काजू, चीनी आदि भेजे जाते हैं और वहां से वर्जिन ऑलिव ऑयल और खजूर आदि भारत आते हैं.

रिपोर्ट- वरुण कुमार

Source : News Nation Bureau

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