Artificial Rain: गुरुग्राम में आज यानी गुरुवार को उस वक्त लोग हैरान रह गए, जब बिना बादल ही झमाझम बारिश होने लगी. उनके मन में एक ही सवाल था कि आखिर ये कैसे मुमकीन हो पाया. ऐसा होने को ‘आर्टिफिशियल रेन’ या ‘क्लाउड सीडिंग’ कहा जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि ‘कृत्रिम वर्षा’ क्या होती है और इसके करवाने में कितना खर्चा आता है. हालांकि, गुरुग्राम में हुई ‘नकली बारिश’ स्प्रिंकलर का इस्तेमाल करके की गई थी.
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आर्टिफिशियल रेन पहले चीन, UAE, रूस जैसे देशों में देखी जाती थी. कुछ सालों से भारत में भी इसका देखा जा रहा है. कारण, शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण है. आर्टिफिशियल रेन को वायु प्रदूषण से निपटने के कारगर तरीके के रूप में देखा जाता है. हालांकि अभी तक इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं.
#WATCH | Haryana: "Artificial rain" conducted using sprinklers from high rise building in DLF Primus Society, Sector 82 Gurugram to control air pollution. pic.twitter.com/ptWlqwVask
— ANI (@ANI) November 7, 2024
गुरुग्राम के सेक्टर 82 की प्राइमस सोसाइटी में नकली बारिश को किया गया है. ये बारिश स्प्रिंकलर के जरिए से की गई थी. इसके अलावा एक अन्य प्रक्रिया भी है, जिसमें कुछ कैमिकल्स की मदद से ‘नकली बारिश’ की जाती है.
कैसे होती है आर्टिफिशियल रेन?
आर्टिफिशियल रेन यानी कृत्रिम बारिश की एक वैज्ञानिक प्रक्रीया है, जिसमें आसमान में एक तय ऊंचाई पर सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और साधारण नमक को बादलों में छोड़ते हैं. ये काम विमान, बैलून या रॉकेट से किया जा सकता है. इस प्रक्रिया को ही क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) का कहा जाता है.
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इससे बादलों का पानी जीरो डिग्री सेल्सियस तक ठंडा हो जाता है जिससे हवा में मौजूद पानी के कण जम जाते हैं. कण इस तरह से बनते हैं जैसे वो कुदरती बर्फ हों. इसके बाद बारिश होती है. एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर दिल्ली में कृत्रिम बारिश करवाई जाती है, तो उस पर करीब 10 से 15 लाख रुपये का खर्च आएगा.
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