Assam Politics: असम में हिमंता मॉडल को लेकर सियासत में जबरदस्त संग्राम छिड़ा है. इंडिया गठबंधन ही नहीं कई मुस्लिम संगठन हिमंता सरकार के नमाज वाले फैसले पर सवाल उठा रहे हैं. इस पर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की सफाई भी आई है कि नमाज के लिए छुट्टी खत्म करने का फैसला सभी लोगों की सहमति से हुआ. सफाई पर सफाई के बाद भी सीएम हिमंता पर हिंदुत्व एजेंडा (CM Himanta Hidutva Agenda) चलाने का तमगा लग रहा है. ऐसे में सवाल है कि आखिर कांग्रेस बैकड्रॉप से निकले हिमंता की कितनी बदल गई पॉलिटिक्स, क्यों उन्हें हिंदुत्व का बड़ा खिलाड़ी कहा जाने लगा.
विपक्ष के निशाने पर सीएम हिमंता
सीएम हिमंता के धाकड़ फैसलों (CM Himanta Decisions) और बयानों ने मुस्लिम सियासत में तहलका मचा रखा है, जिससे असम हिंदु मुस्लिम राजनीति (Hindu-Muslim Politics) का सबसे बड़ा अखाड़ा बन गया है. विपक्ष के साथ-साथ मौलवी मौलाना प्रहार कर रहे हैं कि असम के मुख्यमंंत्री एंटी मुसलमान एजेंडा चला रहा है और पॉलराइजेशन की पॉलिटिक्स में मोदी-योगी से भी आगे निकल गए हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता अपने फायरब्रांड हिमंता की पीठ थपथपा रहे हैं.
हिमंता ने लिए ये दो धाकड़ फैसले
असम में करीब 75 लाख मिया मुसलमानों पर सीना ठोककर दहाड़ने वाले हिमंता ने दो दिन के दो बड़े फैसले लिए जिनका वास्ता सीधे-सीधे मुस्लिम समाज से जुड़ा है. ये ऐसे फैसले हैं, जिनसे असम में यूनिफॉर्म सिविल कोड की आहट सुनाई दी और चर्चा पूरे देश में छिड़ गई. पहला फैसला मुस्लिम समाज में शादी-तलाक जैसे मसले से जुड़ा है. विधानसभा में पारित विधेयक के मुताबिक असम में मुस्लिमों शादी के लिए सरकारी पंजीकरण जरूरी है.
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इसके 24 घंटे बाद दूसरा फैसला आया, जिसके तहत विधानसभा में नमाज के लिए दो घंटे की छुट्टी वाले नियम को खत्म कर दिया गया. ब्रेक की प्रथा साल 1937 से असम में चली आ रही थी. यानी असम में निकाह तलाक में न तो काजी की मर्जी चलेगी और न ही नमाज के लिए दो घंटे की छुट्टी मिलेगी. 40 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले असम ये ऐसे फैसले हैं, जिन पर हाथ डालने की हिम्मत अभी तक कोई भी हुकूमत नहीं कर पाई थी लेकिन ताल ठोककर हिमंता सरकार ने इसे मुकम्मल अंजाम तक पहुंचा दिया.
'सबने मिलकर लिया फैसला'
ऐसे में मुस्लिम सेंट्रिक सियासत कहां खामोश रहने वाली. फैसलों को मजहबी एंगल से जोड़कर विपक्ष ने मोर्चा खोल रखा है. सीएम हिमंता पर अभी भी विपक्ष का हल्ला बोल जारी है. ऐसे में असम से मिशन झारखंड के लिए पहुंचे सीएम हिमंंता ने इस पर सफाई भी दी और विपक्ष को सुनाया भी. नजाम ब्रेक खत्म करने के फैसले पर उन्होंने कहा, ‘सबने मिलकर फैसला किया. मेरे अकेले का नहीं है.’
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मियां मुसलमान पर हिमंता का रूख
हिमंता जिस लाइन लेंथ के साथ हिंदुत्व की पिच पर दिखाई दे रहे हैं. उसके चलते वो लगातार सुर्खियों में रहते हैं. देश के चर्चित फायरब्रांड चेहरों में से एक हिमंता बिस्व सरमा ने असम के मिया मुसलमानों पर भी अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया था. आपको बता दें कि मिया मुसलमान वो आबादी है, जो बंगाली बोलती है और पूर्वी पाकिस्तान से आई. आरोप लग रहा है कि असम में डेमोग्राफी बदलने में सबसे बड़ा फैक्टर मिया मुसलमानों का ही है, जिनके खिलाफ हिमंता कुछ यूं ताल ठोकते रहे हैं.
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'मियां मुसलमान भूमि नहीं बनने देंगे'
मियां मुसलमानों के मसले पर उन्होंने साफ-साफ कहा कि, ‘वे असम को मियां मुसलमानों की भूमि नहीं बनने देंगे.’ विधानसभा से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रम तक हिंदुत्व के पोस्टर ब्यॉय बने हिमंता खुलकर ताल ठोकते हैं. हिंदुत्व के मुद्दे पर हुंकार भरते हैं. यही वजह है कि बीजेपी की चुनाव मशीनरी से लेकर कैंपेन तक हिमंता भी खूब डिमांडिंग रहते हैं. पीएम मोदी, अमित शाह, योगी जैसे धुरंधरों के साथ-साथ हिमंता भी बीजेपी के कैंपेन के लिए सबसे ज्यादा डिमांड में रहते हैं और विपक्ष के भी सबसे ज्यादा निशाने पर भी.
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