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Assam:…निकाले जाएंगे ‘मियां मुसलमान’? CM हिमंता ने अचानक से क्यों लिया ये तगड़ा फैसला, जानें Inside Story

Assam की हिमंता सरकार ने बड़ा फैसला किया कि बिना NRC नंबर आधार कार्ड नहीं बनेंगे. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अचनाक ये फैसला क्यों लिया और इसके मायने क्या हैं.

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Ajay Bhartia
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Assam News

अमस के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Image: News Nation)

Assam Politics: देश में सिर्फ असम एक ऐसा राज्य है, जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) प्रक्रिया कराई गई और NRC लागू है. अब इसी एनआरसी नंबर पर असम की हिमंता सरकार ने बड़ा फैसला किया कि बिना NRC नंबर आधार कार्ड नहीं बनेंगे. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अचनाक ये फैसला क्यों लिया और इसके राजनीतिक मायने क्या है. असम में आधार कार्ड में NRC वाले फैसले की पूरी इनसाइड स्टोरी जानिए.

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हिमंता के फैसलों से चौंका देश!

हिमंता बिस्वा सरमा ने एक और फैसले से देश को चौंका दिया. पहले मुस्लिम समाज में निकाह और तलाक में रजिस्ट्रेशन का फैसला आया. उसके बाद अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही नमाज के लिए दो घंटे की छुट्टी वाला फैसला पलटा और अब आधार कार्ड को लेकर सख्त गाइडलाइन बन गई कि पहले NRC कागज दिखाओ, फिर आधार बनवाओ. असम में घुसपैठ रोकने वाला हिमंता सरकार का यही है वो फरमान, जिसने सियासत में घमासान मचा दिया. आइए आधार कार्ड बनवाने के लिए हिमंता सरकार के नए फैसले का पूरा मजमून समझ लीजिए, जिसकी वजह से एनआरसी एक बार फिर चर्चा में आ गया. 

हिमंता का क्या है नया आदेश?

अगर आधार कार्ड के आवेदक के पास एनआरसी नंबर है, तो ये साफ हो जाएगा कि वो 2014 से पहले राज्य में था. इसीलिए नए आवेदकों को अपना NRC आवेदन रसीद नंबर जमा करना होगा. अगले महीने यानी 1 अक्टूबर से नई प्रक्रिया लागू की जाएगी. इसमें चाय बागान क्षेत्रों को बाहर रखा गया है. साथ ही साथ जिन 9.55 लाख लोगों की बायोमेट्रिक जानकारी NRC प्रक्रिया के दौरान लॉक कर दी गई थी. उन्हें भी छूट मिलेगी.

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हिमंता ने क्यों लिया ये फैसला?

सीएम हिमंता ने इस फैसले को घुसपैठ रोकने का बड़ा कदम बताया. साथ ही साथ ये भी बताया कि आखिर ये फैसला क्यों लेना पड़ा. दरअसल, असम में एनआरसी और घुसपैठ दो ऐसे मुद्दे हैं, जिनका कनेक्शन एक दूसरे से जुड़ा है और इन मुद्दों का लंबा इतिहास रहा है. असम में भारतीय बनाम बाहरी की पहचान के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर NRC कराई गई थी. NRC के जरिए देश में रह रहे गैर-कानूनी तौर पर रह रहे विदेशियों का पता लगाने की कोशिश की जाती है.

आबादी से अधिक बने Aadhaar 

असम सरकार का दावा है कि सरकार के पास आए आधार के आवेदन से पता चला कि असम में मुस्लिम बाहुल्य 4 जिले ऐसे हैं, जहां आबादी से कहीं ज्यादा आधार कार्ड के आवेदन आ गए. इन चार जिलों में बारपेटा में 103.74 फीसदी, धुबरी में 103 फीसदी, मोरीगांव और नागांव दोनों में 101 फीसदी आवेदन हैं.  

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सतर्क हुआ स्थानीय प्रशासन  

आबादी से अधिक आधार कार्ड बनने की जानकारी ने स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ सुरक्षा एजेसियों के कान खड़े कर दिए हैं. आशंका जताई जाने लगी कि कहीं घुसपैठिए पहचान छिपाकर सरकारी दस्तावेज हासिल करने की कोशिश में तो नहीं है, इसलिए आधार कार्ड बनवाने के नियम को सख्त कर किया गया, जिस पर बवाल बढ़ गया. 

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सुर्खियों में 'मिया मुसलमानों' का मुद्दा

बिना NRC नंबर आधार कार्ड नहीं वाले फैसले से एक बार फिर राज्य के करीब 70 लाख मिया मुसलमानों का मुद्दा सुर्खियों में आ गया. बांग्लादेश बॉर्डर से सटे असम में 'मियां मुसलमानों' पर हिमंता अक्सर मुखर रहे है. ब्रह्मपुत्र बेल्ट में बसी मियां मुसलमान वो मुस्लिम आबादी है, जो बंगाली बोलती है और तब के पूर्वी पाकिस्तान से आई थी. इनको अमस में घुसपैठियों के रूप में देखा जाता है. 

'मियां मुसलमानों' को लेकर आरोप लगते हैं कि ये असम में घुसपैठ हुए हैं. इनके जरिए राज्य की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश हो रही है. असम में डेमोग्राफी के मुद्दे पर काफी घमासान बढ़ा रहा है. एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुओं की आबादी घटी है, जबकि मुस्लिम आबादी बढ़ी है. ऐसे में नए फैसले के बाद क्या घुसपैठियों की पहचान सामने आएगी. अगर हां, तो क्या ऐसे ‘मियां मुसलमानों’ को बाहर निकाला जाएगा. 

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