Assembly Election 2023: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. यही कारण है कि, राजनीतिक दलों की ओर से रणनीतियों को अमली जामा पहनाया जा रहा है. एक तरफ सत्ता पक्ष तो दूसरी तरफ विपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी जमीन को मजबूत करने में जुटे हैं. इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने पांच में से तीन राज्यों में अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए खास रणनीतिक पर काम शुरू किया है. इस बार मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने मुख्यमंत्रियों के चेहरे से पर्दा नहीं हटाया है. पार्टी ने जीत के लिए एक बार फिर ब्रांड मोदी पर ही भरोसा जताया है. आइए जानते हैं कि इन तीन राज्यों में बीजेपी का क्या है प्लान.
हिंदी पट्टी के राज्यों में बीजेपी की खास रणनीति
भारतीय जनता पार्टी ने पांच में से तीन हिंदी पट्टी वाले राज्यों में अपना चुनावी रणनीति को खास तरह की धार दी है. इस बार चुनाव से पहले पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री चेहरे से पर्दा नहीं उठाया जा रहा है. इसके पीछे की वजह भी साफ है. दरअसल मध्य प्रदेश में मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि कुछ ठीक नहीं है. बीते 2018 के चुनाव में भी शिवराज कांग्रेस नेता कमलनाथ के हाथों हार का सामना कर चुके हैं, हालांकि बाद में ज्योतिरादित्य के पाला बदलने का फायदा उन्हें मिला और दोबारा सरकार बनाने में सफल रहे.
लिहाजा इस बार बीजेपी ने शिवराज को उम्मीदवारों के नाम की दो सूचियों में जगह तक नहीं दी है. इसी तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को लेकर माहौल कुछ खास नहीं है. वसुंधरा राजे सिंधिया बीते चुनाव में अशोक गहलोत से बुरी तरह हारीं थीं. जबकि छत्तीसगढ़ में भी रमन सिंह का लंबा कार्यकाल भूपेश बघेल की जीत के आगे ढह गया.
बीजेपी किसके भरोसे बढ़ेगी आगे
भारतीय जनता पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती हिंदी पट्टी को अपने नाम करना है. तीन राज्य बीजेपी के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में ऑक्सीजन का काम कर सकते हैं. खासतौर पर मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी लोकसभा की कुल 54 सीट पार्टी के लिए बड़ा फायदा पहुंचा सकती है.
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ब्रांड मोदी पर ही आगे बढ़ेगी बीजेपी
बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में एक बार फिर अपनी जमीन हासिल करने के लिए दोबारा ब्रांड मोदी पर ही भरोसा जताया है. इतिहास और आंकड़े गवाह है कि जब भी ब्रांड मोदी हरकत में आए तब-तब बीजेपी को बड़ा और मजबूत फायदा हुआ है. फिर चाहे वो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव हों, गुजरात का रण हो या फिर अन्य राज्यों में तूफानी प्रचार.
जनता पीएम मोदी के अब तक को दोनों कार्यकालों से भी संतुष्ट है. देश में 60 फीसदी से ज्यादा लोग एक बार फिर पीएम मोदी को ही प्रधानमंत्री के रूप में भी देखना चाहते हैं. ऐसे में पार्टी ने भी हिंदी पट्टी वाले राज्यों को कब्जे में करने के लिए ब्रांड मोदी का सहारा लिया है. हालांकि अब तक पीएम मोदी की रैलियों और सभाओं को लेकर आधिकारिक आंकड़े सामने नहीं आए हैं, लेकिन जानकारों की मानें तो इसकी शुरुआत हो चुकी है और इस चुनाव के दौरान पीएम मोदी मैराथन रैलियों के जरिए तीनों राज्यों में बीजेपी को मजबूत आधार दे सकते हैं.
2014 से ही ब्रांड मोदी से फतह
दरअसल वर्ष 2014 में जैसे ही नरेंद्र मोदी पहली बार केंद्र में सरकार बनाकर प्रधानमंत्री बने , तब से ही बीजेपी ने मोदी रथ पर सवार होकर कई जीत हासिल की हैं. इनमें 2017 के यूपी चुनाव, इसी वर्ष हुए गुजरात के विधानसभा चुनाव में भी बिना की सीएम चेहरे के ये चुनाव लड़े गए हैं ब्रांड मोदी के सहारे जीते भी गए. माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी इस बार पीएम मोदी ही जनता के बीच पार्टी के लिए वोट मांगेंगे.
एमपी और राजस्थान में यूपी से भी उतरेगी ब्रिगेड
एमपी और राजस्थान में पीएम मोदी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के चर्चित चेहरे भी चुनाव की कमान संभालने का काम करेंगे. इनमें खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम प्रमुख रूप से शामिल है. वैसे बीजेपी ने राजस्थान को 7 जोन में बांटा है. अलग-अलग जोन में पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है. बीकानेर, जयपुर, श्रीगंगानगर, हनुमान गढ़, अलवर, दौसा और झुंझुनू प्रमुख रूप से जोन में तब्दील किए गए हैं.
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सात सांसदों के पास एमपी का जिम्मा
इसी तरह मध्य प्रदेश में भी इस बार बीजेपी ने नया प्रयोग करते हुए सांत सांसदों की फौज उतार दी है. अब तक की दो सूचियों में नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय जैसे दिग्गज नाम और चेहरे दिखाई दे रहे हैं. 1 अक्टूबर को अमित शाह भोपाल का दौरा करेंगे. इस दौरान वो तीसरी सूची को अंतिम रूप दे सकते हैं. जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के टिकट पर फैसला होगा. उन्हें शिवपुरी से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है.
HIGHLIGHTS
- हिंदी पट्टी वाले राज्यों के लिए बीजेपी ने बनाई खास रणनीति
- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नहीं होंगे सीएम फेस
- जीत के लिए ब्रांड मोदी के सहारे की आगे बढ़ेगी बीजेपी