गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक (Atiq) अहमद और उसके भाई अशरफ (Ashraf) की शनिवार को प्रयागराज के अस्पताल में गोली मारकर हत्या करने वाले तीन हमलावरों (Assailants) ने भारत में प्रतिबंधित जबर्दस्त सॉफिस्टिकेटेड जिगाना (Ziagana) पिस्टल का इस्तेमाल किया. वास्तव में जिगाना एक सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल है, जो तुर्किए (Turkiye) की आग्नेयास्त्र बनाने वाली कंपनी टीसास बनाती है. उक्त पिस्टल का उत्पादन 2001 में शुरू हुआ था. जिगाना तुर्किए की पहली पिस्टल है, जिसका डिजाइन तुर्किए का मौलिक है. भारत में जिगाना पिस्टल अवैध (Illegal) हैं और इसे रखना प्रतिबंधित (Ban) हैं. इन पिस्टल की कीमत करीब 6 से 7 लाख रुपए है.
क्यों है जिगाना पिस्टल खास
मॉर्डन फायरआर्म्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक तुर्किएं की टीसास ट्रैब्जन आर्म्स इंडस्ट्री कॉर्प्स वास्तव में 2001 से जिगाना श्रेणी की पिस्टल बना रहा है. इस हैंडगन का उपयोग तुर्किए की कई सुरक्षा कंपनियों के साथ-साथ कुछ सैन्य इकाइयों द्वारा किया जाता है. तुर्किए की अधिकांश अन्य हैंडगंस के विपरीत जिगाना यूरोपीय पिस्टल की नकल के बजाय खुद की डिजाइन की हुई है. जिगाना पिस्टल में एक संशोधित ब्राउनिंग-टाइप लॉकिंग सिस्टम होता है. इसकी गिनती एक लॉक्ड ब्रीच शॉर्ट रिकॉइल-ऑपरेटेड हथियार बतौर होता हैं, जिसमें बैरल को एक बड़े लैग के माध्यम से स्लाइड से जोड़ा जाता है. यह बैरल इजेक्शन पोर्ट से जुड़ा होता है. जिगाना का ट्रिगर एक डबल-एक्शन मैकेनिज्म वाला है, जिसमें सैफ्टी कैच बगल में थोड़ा उठा सा रहता है. जिगाना पिस्टल में ऑटोमैटिक फायरिंग पिन ब्लॉक भी है. मूल जिगाना एम16 पिस्टल में फ्रेम पर एक छोटा अंडरबैरल डस्टकवर रहता है, जिसकी 126 मिमी लंबी बैरल होती है. जिगाना टी-पिस्टल में एक भारी और थोड़ी लंबी स्लाइड है. इसका डस्टकवर लंबा होता है और बैरल को 130 एमएम तक बढ़ाया जा सकता है. जिगाना का के-पिस्टल मॉडल वास्तव में जिगाना टी का एक छोटा संस्करण है, जिसमें छोटी स्लाइड और 103 मिमी की बैरल होती है. जिगाना के इन तीनों मॉडल में दो मैगजीन लगती है. यानी इनकी क्षमता 15 राउंड (नियमित) या 17 राउंड (विस्तारित) है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी जिगाना पिस्टल में फिक्स थ्री-डॉट साइट्स होती हैं.
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पाकिस्तान से तस्करी में भारत आती है जिगाना
रिपोर्टों में कहा गया है कि पिस्टल को पाकिस्तान के रास्ते भारत में अवैध रूप से लाया जाता है. तुर्किए के एक रक्षा दैनिक के अनुसार पाकिस्तान के स्थानीय कारखानों में अवैध रूप से जिगाना मॉडल बनते और बेचे जाते हैं. ये हथियार बिल्कुल असली जैसे ही बनाकर बहुत कम कीमत पर बेचे जाते हैं. पाकिस्तान में एक बड़ा बंदूक बाजार और बंदूक उत्पादन स्थल हैं. पाकिस्तान की 'गन वैली' यानी दर्रा आदम खेल इलाके की अनुमानित आबादी 80,000 लोगों के आसपास है, जो एक छोटा और गरीब शहर है. यहां लगभग 2,000 हथियार व्यावसाइयों का घर है. रिपोर्ट के मुताबिक हथियारों के निर्माण में आधी से अधिक आबादी का कब्जा है. दर्रा आदम खेल के हथियार उच्चतम गुणवत्ता के हैं. सबसे बड़ी बात इन्हें असल से अलग करना व्यावहारिक रूप से असंभव है. यहां सब कुछ 20,000 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक की कम कीमत पर मिल जाता है. इनमें ऑटोमैटिक्स और सेमीआटोमैटिक्स, 9 एमएम और बेरेटा और यहां तक कि एंटी-एयरक्राफ्ट गन भी शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ऑस्ट्रिया और लेबनान को शॉटगन और छोटे हथियारों का निर्यात करता है. पाकिस्तान के हथियारों का आयात बिल चीन, अमेरिका और तुर्किए की तुलना में करीब 20 मिलियन डॉलर है. 2021 में पंजाब पुलिस ने 48 विदेशी पिस्तौलें जब्त कर एक हथियार तस्कर को गिरफ्तार किया था, जिसके कथित तौर पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों और अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में स्थित के कट्टरपंथी तत्वों से संबंध थे. बरामद हथियारों और गोला-बारूद में 19 तुर्किए निर्मित जिगाना 9 एमएम पिस्टल भी शामिल थीं.
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जिगाना को इसलिए किया जाता है पसंद
रिपोर्ट के मुताबिक यह सस्ता और भरोसेमंद हथियार है. ट्रुथ अबाउट गंस द्वारा पोस्ट की गई जिगाना पीएक्स-9 की समीक्षा कहती है, 'कीमत के लिए पीएक्स-9 एक बहुत ही सक्षम रक्षात्मक आग्नेयास्त्र है. अपनी और परिजनों की रक्षा के लिहाज से घर पर रखने के लिए भी यह एक किफायती विकल्प है. यह आसानी से संभाली जा सकती है और भरोसेमंद है. इसमें ट्रिटियम फ्रंट साइट के साथ-साथ सहायक रेल भी है. ऐसे समय में जब अच्छी बंदूकें तेजी से महंगी होती जा रही हैं या किसी भी कीमत पर नहीं मिल रही हैं, टीसास की पीएक्स 9 एक बहुत अच्छा विकल्प है.'
HIGHLIGHTS
- भारत में अवैध और प्रतिबंधित जिगाना तस्करी से लाई जाती है
- पाकिस्तान के कारखानों में जिगाना की नकल बनाई जाती है
- मूलतः तुर्किए की जिगाना पाकिस्तान से तस्करी के जरिये आती है