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15 अगस्त को लेकर बांग्लादेश ने किया ऐसा ऐलान, हिल गई पूरी दुनिया! क्या पूर्वी पाकिस्तान बनने की राह पर देश?

Bangladesh Crisis: अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति कहे जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के उपलक्ष्य में 15 अगस्त की सार्वजनिक छुट्टी को रद्द कर दिया. क्या बांग्लादेश फिर से पूर्वी पाकिस्तान बनने की राह पर है?

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Ajay Bhartia
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Bangladesh Crisis

क्या पूर्वी पाकिस्तान बनने की राह पर बांग्लादेश (Image: News Nation)

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Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार की कमान संभाल चुके हैं. वो तमाम जरूरी फैसले ले रहे हैं. अब अंतरिम सरकार ने 15 अगस्त को लेकर ऐसा ऐलान किया है, जिसे जानकर पूरी दुनिया हिल गई! अंतरिम सरकार ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति कहे जाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के उपलक्ष्य में 15 अगस्त की सार्वजनिक छुट्टी को रद्द कर दिया. बता दें कि 15 अगस्त को बांग्लादेश में शोक दिवस के रूप में मनाया जाता था. बढ़ती हिंसा और अशांति से सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या बांग्लादेश फिर से पूर्वी पाकिस्तान बनने की राह पर है? 

तोड़ी जा रहीं मुजीबुर्रहमान की मूर्तियां 

बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश की आजादी के नायक के रूप में जाता है. बांग्लादेश के गठन में उनके अहम योगदान के चलते उनको राष्ट्रपति कहा गया. अब बांग्लादेश में उनके नाम और पहचान को मिटाने की कोशिश की जा रही है. उनकी मूर्तियों को तोड़ा जा रहा है.

हालात ऐसे बन गए कि जो बांग्लादेश अपने राष्ट्रपिता की कुर्बानियों का सम्मान करता था, अब वहां उनकी यादों को रौंदा जा रहा है. उनके संघर्ष को मिटाया जा रहा है. इतिहास की किताब से 15 अगस्त के पन्ने फाड़े जा रहे हैं.

अंतरिम सरकार ने 15 अगस्त की अहमियत खत्म कर दी, जिस दिन शेख मुजीबुर्रहमान का शहीदी दिवस मनाया जाता था. उस दिन राष्ट्रीय शोक दिवस मनाने का चलन बंद कर दिया गया. 15 अगस्त को मिलने वाली सरकारी छुट्टी रद्द कर दी गई है.

15 अगस्त को मुजीबुर्रहमान की हुई थी हत्या

जिस देश की आजादी के लिए बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था. उसी देश की फौज ने 15 अगस्त 1975 को उनकी दर्दनाक तरीके से हत्या कर दी थी. दरअसल, ये वो दिन था, जब भारत में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था तो वहीं पड़ोसी देश बांग्लादेश में ये तारीख उस इंसान की मौत तय कर गई, जिसने बांग्लादेश की आजादी की पटकथा तैयार की थी. 

15 अगस्त को बांग्लादेशी फौज की जूनियर अफसरों की एक टुकड़ी ने मुजीबुर्रहमान के घर पर हमला कर दिया. ये सैनिक टैंकों से लैस थे और कुछ ही घंटों के अंदर मुजीबुर्रहमान के घर गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई देने लगी. तख्तापलट के इरादे से हमला करने वाले इन फौजियों ने मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार का बेरहमी से कत्ल कर दिया. इस हमले में मुजीबुर्रहमान समेत परिवार के 16 सदस्यों की मौत हुई.

शव को गुपचुप दफनाने की गई कोशिश 

जब सेना ने मुजीबुर्रहमान की हत्या की तब फौजियों को विद्रोह की चिंता सता रही थी, इसलिए उनके शव को गुपचुप तरीके से दफनाने की कोशिश की गई. कहा जाता है कि जब मुजीबुर्रहमान का शव उनके घर लाया गया तो इलाके के लोगों ने जनाजे में शामिल होने की मांग रखी, लेकिन फौजियों ने ऐसा करने से मना कर दिया. तब एक काजी ने कहा जब तक शेख के पार्थिव शरीर को नहलाया नहीं जाएगा. तब तक उन्हें दफन नहीं किया जा सकता. इसी दौरान कुछ लोगों ने मुजीबुर्रहमान के आखिरी दर्शन किए. 

सुरक्षा अलर्ट की अनदेखी की गई

जानकारों की माने तो भारत समेत दुनिया की तमाम बड़ी खुफिया एजेंसियों ने शेख मुजीबुर्रहमान की जान पर खतरे को लेकर अलर्ट किया था, लेकिन मुजीबुर्रहमान ने इन चेतावनियों की अनदेखी की. इस तख्तापलट में मुजीबुर्रहमान की सिर्फ दो बेटियां शेख हसीना और शेख रेहाना जिंदा बची थी. ये दोनों तब जर्मनी में पढ़ाई कर रही थी.

इस नृशंस हत्याकांड के लंबे अरसे तक शेख हसीना को बांग्लागेश में आने की इजाजत नहीं थी. लेकिन जब शेख हसीना लौटीं तब उन्होंने एक बार फिर उसी अवामी लीग की कमान संभाली, जिसे उनके पिता मुजीबुर्रहमान ने खड़ा किया था.

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इस वक्त का जुल्म कहिए कि जिन शेख मुजीबुर रहमान ने बांग्लादेश की आजादी के लिए अपनी जिंदगी तक को दांव पर लगा दिया था. उन्हें दो बार मौत मिली, पहली बार 15 अगस्त 1975 को और दूसरी बार आज. जब उनकी निशानियों और उनकी यादों को भुलाकर उनका अपमान किया जा रहा है. दुनिया के इतिहास में बांग्लादेश शायद ऐसा पहला मुल्क है जिसने अपने महानायक, अपने राष्ट्रपिता, अपने बंगबंधु की 15 अगस्त वाली शहादत को भूल गया.

पूर्वी PAK बनने की राह पर बांग्लादेश?

स्वतंत्र देश बनने से पहले बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा था, जिसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम जाना जाता था. पूर्वी पाकिस्तान कहने भर के लिए पाकिस्तान का हिस्सा था. ना तो पूर्वी पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर मदद दी जाती थी और ना उनकी तरक्की पर तवज्जो और मुजीबुर्रहमान इसी दोहरे बर्ताव का विरोध करते थे. आगे चलकर ही यही वजह बांग्लादेश के बनने का कारण बनीं. मुजीबुर्रहमान की बेटी और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश की आर्थिक तरक्की को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया.

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हसीना सरकार में बांग्लादेश की टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज् को वैश्विक पहचान मिली. दुनियाभर में चीन के बाद बांग्लादेश कपड़ों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा, लेकिन भड़की हिंसा सब चौपट कर दिया है. आने वाले दिनों में बांग्लादेश के सामने जीपीडी को बढ़ाने, बेरोजगारी और महंगाई जैसे संकट सामने खड़े होंगे. पाकिस्तान के इशारों पर नाचने वाला जमात-ए-इस्लामी अपने कट्टरपंथी मसूंबों को पूरा करने पर लगा हुआ है. हिंदूओं समेत कई अल्पसंख्यकों का नरसंहार किया जा रहा है. बांग्लादेश में तख्तापलट को 9 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी भी वहां हिंसा थम नहीं रही है.

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कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि 1971 में पाकिस्तान जो नहीं कर पाया था, वो अब करने में सफल हो गया है. वह ये कि बांग्लादेश पर 'कंट्रोल' और फिर से उसे पूर्वी पाकिस्तान में बदल देना. जमात-ए-इस्लामी उसके इन मंसूबों को पूरा करता हुआ दिख रहा है. बार-बार सैन्य तख्तापलट, अल्पसंख्यकों की हत्याएं और हिंसक वारदातें ये सब अक्सर पाकिस्तान में देखा जाता है, लेकिन अब ये बांग्लादेश में देखने को मिल रहा है. वहीं पाकिस्तान की तरह ही अब बांग्लादेश की इकॉनमी बेपटरी हो गई है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बांग्लादेश फिर से पूर्वी पाकिस्तान बनने की राह पर है.

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