What is Belly Landing: तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में शुक्रवार शाम को बड़ा विमान हादसा होने से टल गया. एअर इंडिया के एक विमान का हाइड्रोलिक फेल हो गया, जिसकी वजह से वो लैंड नहीं कर पा रहा था. विमान में 140 लोग सवार थे, मामले की जानकारी मिलते ही उनकी सांसें हवा में ही अटक गईं. ऐसे में पायलट ने सूज-बूझ दिखाई और बैली लैंडिंग कर विमान को सही सलामत जमीन पर उतारा. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये बैली लैंडिंग क्या होती है, जिसके चलते 140 लोगों की जान बच पाई.
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मिली जानकारी के मुताबिक, एयर इंडिया का विमान 140 लोगों को लेकर त्रिची के शारजाह (Trichy Flight) जा रही थी. इस दौरान पायलट को पता चला कि विमान का हाइड्र्रोलिक फेल हो गया है, जिसके चलते विमान के सैफ लैंडिंग हो पाना मुश्किल था, क्योंकि अगर विमान को ऐसे में लैंड किया जाता है, तो उसमें आग लगने का खतरा बना रहता है. यह एक इमरजेंसी वाली सिचुएशन होती है.
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क्या होती है लेबी लैंडिंग?
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इसी इमरजेंसी वाली स्थिति से निपटने के लिए बेली लैंडिंग की जाती है. पायलट को इसके लिए विमान के फ्यूल को खत्म करना होता है.
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पायलट के पास दो विकल्प होते हैं या तो फ्यूल को हवा में ही डंप कर दे या फिर फ्यूल खत्म होने तक विमान को उड़ाता रहे.
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जब विमान का फ्यूल खत्म हो जाता है, तब पायलट विमान की लैंडिंग विमान के पेट (बेली) को रनवे पर घिसकर उतारता है.
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बेली लैंडिंग में पायलट अंडरकारेज (लैंडिंग गियर को पूरी तरह या आंशिक रूप से खोले बिना ही जमीन पर विमान को उतारा है, इसलिए इसे ‘गियर-अप लैंडिंग’ भी कहा जाता है.
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जब विमान के इंजन फेल होने, इंजन में आग लगने या फिर लैंडिंग गियर में गड़बड़ी होने पर पायलट के पास बेली लैंडिंग की एक ऑप्शन बचता है.
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एयर इंडिया के पायलट ने भी विमान के हाइड्रोलिक सिस्टम फेल होने पर बेली लैंडिंग के विकल्प को चुना. चूंकि विमान रिहायशी इलाके के ऊपर उड़ रहा था, इसलिए उसने फ्यूल डंप करने का विकल्प नहीं चुना बल्कि हवा में ही विमान से चक्कर लगता रहा. सही स्थिति को देख उसने आखिरकार विमान की बेली लैंडिंग करवाई. इस तरह विमान में सवार 140 यात्रियों की जान बच पाई.
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