देश भर में 21 जुलाई को राष्ट्रीय जंक फूड दिवस या नेशनल जंक फूड डे (National Junk Food Day 2022) मनाया जाता है. जंक फूड यानी बर्गर, रोल्स और पिज्जा. आम तौर पर तले-भुने भोजन को जंक फूड कहा जाता है. इसे फास्ट फूड ( Fast Food) भी कहा जाता है. इन दिनों देश और दुनिया में जंक फूड का काफी प्रचलन हो गया है. खाने में स्वादिष्ट जंक फूड को लेकर नुकसान की ही ज्यादा चर्चा की जाती है. वहीं इसके पक्ष में दलील देते हुए लोग भागदौड़ भरी जीवनशैली के लिए इसे मददगार बताते हैं.
नेशनल जंक फूड डे को बिना किसी अपराधबोध के अपने पसंदीदा जंक फूड खाने की अनुमति वाला एक दिन मानकर लोग इसका स्वाद लेते हैं. आइए, जानते हैं कि जंक फूड लोगों की सेहत के लिए कैसे नुकसानदेह है. इसके अलावा इससे जुड़ी क्या-क्या दिक्कतें सामने आती है और स्वास्थ्य और जीवनशैली के जानकार इसके लेकर क्या हिदायतें देते हैं.
जंक फूड शब्द की शुरुआत
जंक फूड शब्द 1951 में बनाया गया था. इसकी पहली आधिकारिक परिभाषा साल 1972 में सामने आई. यह परिभाषा अमेरिकी पोषण वैज्ञानिक माइकल एफ जैकबसन ने दिया था. जंक फूड शब्द के इस्तेमाल का उद्देश्य ज्यादा कैलोरी और कम पोषक तत्वों वाले खाद्य पदार्थो की तरफ लोगों का ध्यान खींचना था.
हेल्थ एक्सपर्ट्स की राय
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक जंक फूड ऑयली और प्रोसेस्ड फूड होने के कारण लोगों की सेहत को कई तरह से प्रभावित करता है. जंक फूड में बहुत अधिक कैलोरी, नमक, चीनी और वसा होती है. इससे कई शारीरिक दिक्कतें खासकर मोटापा, उच्च रक्तचाप, कब्जियत और डायबिटीज वगैरह भी हो सकती हैं. इसलिए इसका सेवन एक सीमित मात्रा में ही करना चाहिए. दावा यह भी किया जाता है कि कुछ नियम और सावधानी के साथ इसका इस्तेमाल किया जाए तो इसके भी कई लाभ हो सकते हैं.
जंक या फास्ट फूड का पक्ष
जंक फूड या फास्ट फूड के पक्ष में खड़े लोगों का मानना है कि वक्त की कमी और मिलने या बनाने में आसानी से इसका चलन बढ़ रहा है. इसके अलावा इन फूड आयटम्स को खाने में भी कम समय लगता है. इसे चलते-फिरते भी खाया जा सकता है. आसपास में या कम जगह पर भी इसकी दुकानें दिख जाती हैं. सफाई से बनाए जाने पर नुकसान की आशंका भी कम हो सकती है. वहीं सबसे बड़ी दलील इसके स्वाद को लेकर दी जाती है.
इस्तेमाल के लिए हिदायतें
कुछ लोगों का दावा है कि ध्यान रखा जाए तो जंक फूड फायदा भी कर सकता है. खाद्य पदार्थ के चयन और बनाने के तरीके में थोड़ा फेरबदल करके जंक या फास्ट फूड को भी स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक बनाया जा सकता है. जैसे हम बिना मायोनीज के ग्रिल्ड सैंडविच खा सकते हैं. सॉस का प्रयोग कम से कम कर सकते हैं. तेल के मामले में रिफाइंड ऑइल का प्रयोग करें. लीनर मिट्स और सब्जियों से तैयार चीजों को अधिक खा सकते हैं. इसके अलावा ऐसे फूड्स खाने के साथ सोडा और ड्रिंक्स पीने से बच सकते हैं.
न छोड़ें शारीरिक व्यायाम
जंक फूड खाने से परहेज करने वाले लोगों को आम तौर पर लगता है कि बहुत ज्यादा कैलोरीज और बहुत ज्यादा मात्रा में फैट (वसा) से उनकी सेहत पर बुरा नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए विशेषज्ञों ने बताया है कि जंक फूड या फास्ट फूड में पनीर, मायोनीज, विशेष प्रकार की चटनी, सोडा वगैरह खाते हों तो साथ में या अलग से फल, सलाद, सब्जी, साबुत अनाज आदि का सेवन भी करते रहना चाहिए. इससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होगी और संतुलन बना रहेगा. इसके अलावा व्यायाम, योग और दौड़ना या पैदल चलना जारी रखना भी चाहिए.
जंक या फास्ट फूड के नुकसान
दरअसल सच्चाई तो यही है के जंक या फास्ट फूड कई तरह से हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. इसका अनियंत्रित सेवन करने से ब्रेन के फंक्शन्स प्रभावित होते हैं. इससे याद्दाश्त कमजोर होने का रिस्क बढ़ सकता है. जंक फूड खाने से श्वसन तंत्र पर भी असर पड़ता है. इसकी वजह से अस्थमा, शार्टनेस ऑफ ब्रीद जैसी समस्याएं हो सकती हैं. जंक फूड खाने से त्वचा बाल और नाखून भी प्रभावित होते हैं. शरीर पर एग्जिमा, खुजली, स्कैल्प की समस्याएं देखने को मिल सकती हैं. जंक फूड का असर डाइजेस्टिव और कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर भी पड़ता है.
गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सावधानी
जंक फूड में काफी मात्रा में ट्रांस फैट, शुगर और अनहेल्दी तत्व होते हैं जिसके कारण मोटापे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. गर्भावस्था में गलत खानपान से आने वाले बच्चे को आजीवन मोटापे, हाई कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर का खतरा हो सकता है. गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान डोनट्स, माफिन, कुकीज, चिप्स और मिठाई जैसे प्रोसेस्ड जंक फूड खाए जाए तो उनके होने वाले बच्चों में कोलेस्ट्रॉल और रक्त में वसा का स्तर ज्यादा पाया जाता है. वहीं कई बार जंक फूड के सेवन और मोटापा से महिलाओं में हार्मोन की कमी हो जाती है जिससे वे बांझपन की शिकार हो सकते हैं.
लग सकती है जंक फूड की लत
रिपोर्ट्स के मुताबिक जंक फूड की बुरी लत किसी को लग जाए तो इसे छुड़ाना मुश्किल हो जाता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जंक फूड में नमक, चीनी, कार्ब्स और वसा की मात्रा अधिक होती है. साथ ही प्रिजर्वेटिव के अलावा कुछ ऐसी चीजें शामिल होती हैं, जिसके चलते बार-बार खाने की इच्छा होती है. इस इच्छा को जितना ज्यादा पूरा करते हैं, क्रेविंग उतनी ज्यादा बढ़ जाती है. इसे खाने के आदी होने की यह वजह है. नशे की तरह ही मस्तिष्क पर जंक फूड खाने का भी असर पड़ने लगता है. ज्यादा जंक फूड खाने वालों में तनाव, गुस्सा और चिढ़चिढ़ाहट भी काफी बढ़ जाती है.
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कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का डर
जंक फूड पर किए गए कुछ रिसर्च के मुताबिक इसे ज्यादा मात्रा में खाने से पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है. इससे पेट में कोलोन कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है. वहीं कुछ स्टडीज जंक फूड के अधिक सेवन से प्रोस्टेट कैंसर होने की आशंका की बात भी सामने आयी है. जंक फूड से होने वाला मोटापा टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क भी बढ़ा देता है. इसलिए जिन लोगों की फैमिली हिस्ट्री में डायबिटीज रही है, उनको जंक फूड के मामले में ज्यादा अलर्ट होने की जरूरत है.
HIGHLIGHTS
- इन दिनों देश और दुनिया में जंक फूड का काफी प्रचलन हो गया है
- जंक फूड की पहली आधिकारिक परिभाषा 1972 में सामने आई थी
- दावा है कि ध्यान रखा जाए तो जंक फूड फायदा भी कर सकता है