सूबाई राजनीति में प्रभावशाली लिंगायत (Lingayat) समुदाय से कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Elections 2023) के लिए अपने 62 उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चुनाव प्रबंधकों ने अपना दूसरा दांव चल दिया है. बीजेपी नेता और चुनाव विश्लेषक इस मुद्दे को धार दे रहे हैं कि कैसे प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय की 'उपेक्षा' की. इसके विपरीत केसरिया पार्टी (Saffron Party) ने समुदाय का समर्थन हासिल कर उन्हें राजनीतिक महत्व देने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. भाजपा इस सच्चाई को जोर-शोर से उछाल रही है कि कांग्रेस (Congress) ने लकवाग्रस्त वीरेंद्र पाटिल को1990 में हटाने के बाद से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई भी लिंगायत नेता नहीं बैठाया. इसके विपरीत बीजेपी के लिंगायत उम्मीदवारों में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Basavraj Bommai) और पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा (BS Yeddyurappa) के छोटे बेटे बीवाय विजयेंद्र शामिल हैं, जिन्हें समुदाय के सबसे बड़े नेता के रूप में देखा जाता है.
कांग्रेस के वादा ही बन रहा उसके गले की फांस
बसवराज बोम्मई का कहना है कि कांग्रेस ने लोकप्रिय निर्वाचित लिंगायत नेता वीरेंद्र पाटिल को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाकर कर्नाटक के लोगों को धोखा दिया है. पार्टी ने पिछले 30 वर्षों में किसी भी लिंगायत नेता को बतौर सीएम पेश नहीं किया है. अब कांग्रेस महज वोट हासिल करने के लिए लिंगायत समुदाय की बात कर रही है. गौरतलब है कि बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और कुछ अन्य लोगों के टिकट कटने के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर लिंगायत समुदाय की अनदेखी करने का आरोप लगाया था. इस पर बोम्मई ने कहा कि कांग्रेस के ट्रैक रिकॉर्ड ने साबित कर दिया है कि यह लिंगायत विरोधी पार्टी है. भगवा पार्टी कांग्रेस नेताओं के बयानों को उजागर कर रही है कि लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के लिए मुसलमानों को 4 फीसदी कोटा वापस लेने के बीजेपी सरकार के हालिया फैसले को वापस ले लिया जाएगा. यह वास्तव में लिंगायत समुदाय की अनदेखी कर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति है.
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बीजेपी की राजनीति भारी पड़ रही है कांग्रेस को
सिर्फ सीएम बसवराज बोम्मई ही नहीं, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (कर्नाटक प्रभारी) अरुण सिंह भी कांग्रेस पर हमला करने में पीछे नहीं हैं. वह राजनीतिक तर्क देते हुए कहते हैं, 'अगर कांग्रेस लिंगायत समुदाय के बारे में चिंतित है, तो मैं उन्हें इस समुदाय के एक नेता को अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित करने की चुनौती देता हूं.' विजयेंद्र ने कहा कि कर्नाटक के लोग जानते हैं कि लिंगायतों को किसने धोखा दिया. पार्टी के राज्य सचिव ने कहा, 'हमें विश्वास है कि न केवल लिंगायत समुदाय बल्कि सभी वर्गों के लोग भाजपा का समर्थन करेंगे.' गौरतलब है कि बीजेपी को राज्य में पहला बड़ा राजनीतिक अवसर 1994 में मिला, जब उसने येदियुरप्पा को विधायक दल का नेता बनाया. 1999 में एक अन्य लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार को यह पद दिया गया. 2004 में बीजेपी ने विधानसभा में फिर से बीएसवाय को अपना सीएलपी नेता बनाया. 2006 में, बीजेपी ने जेडीएस के साथ अपनी पहली गठबंधन सरकार बनाई और येदियुरप्पा को डिप्टी सीएम बनाया गया. 2008 में बीजेपी ने बीएसवाई के नेतृत्व में सरकार बनाई. 2019 में येदियुरप्पा ने फिर से मुख्यमंत्री का पद संभाला और 2021 में उनके इस्तीफे के बाद एक अन्य लिंगायत नेता बसवराज बोम्मई ने उनकी जगह ली.
HIGHLIGHTS
- कांग्रेस के सीएम रहे वीरेंद्र पाटिल के नाम पर बीजेपी चला रही तरकश के तीखे तीर
- कांग्रेस को लिंगायत सीएम का नाम उजागर करने की केसरिया पार्टी ने दी चुनौती
- बीजेपी के बास बोम्मई, येदियुरप्पा और उनके बेटे के रूप में कई बड़े लिंगायत नेता
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