BRICS Currency Vs Dollar: भारत समेत ब्रिक्स में शामिल 10 देश बड़ा खेल करने वाले हैं. हालिया ब्रिक्स समिट में रूस ने ब्रिक्स देशों को अपना खुद का इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम और करेंसी बनाने का प्रस्ताव दिया था. ब्रिक्स देश इस दिशा में आगे भी बढ़ रहे हैं. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे अपनी करेंसी डॉलर और बाजार के लिए बड़े खतरे के रूप में देख रहे हैं, इसलिए उन्होंने ब्रिक्स देशों को धमकी दे डाली है. ऐसे में सवाल हैं कि आखिर अमेरिका प्रस्तावित ब्रिक्स करेंसी से क्यों परेशान है. साथ ही भारत और अमेरिका संबंध आज अपने सबसे अच्छे दौर में हैं. तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैसे इस स्थिति को संभालेंगे.
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ब्रिक्स देशों को ट्रंप की धमकी
यूएस इलेक्टेड प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी देते हुए कहा कि अगर ब्रिक्स देशों ने अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने की कोशिश की तो उनको इसका करारा जवाब मिलेगा. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को सामान बेचने के लिए ब्रिक्स देशों को डॉलर का ही इस्तेमाल करना होगा. अगर ब्रिक्स देशों ने किसी दूसरी करेंसी को अपनाने की कोशिश की तो उनको 100% टैरिफ झेलना पड़ेगा. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर अमेरिका प्रस्तावित ब्रिक्स करेंसी से इतना क्यों परेशान है.
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ब्रिक्स करेंसी: क्यों परेशान है US?
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मौजूदा समय में ज्यादातर देशों के बीच व्यापार डॉलर में ही होता है, इसलिए ग्लोबल मार्केट में डॉलर प्रभुत्व हावी रहता है. दुनिया का 58% विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर में है. ज्यादातर देशों के बीच तेल व्यापार डॉलर में ही होता है.
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ये सभी लेनदेने अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली SWIFT से नियंत्रित होते हैं, जिस पर अमेरिका का कंट्रोल है. यही वो ताकत है जिससे अमेरिका अन्य देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है. अमेरिका इसी पावर का इस्तेमाल अन्य देश पर राजनीतिक दबाव प्रेशर बनाने के लिए करता है.
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ब्रिक्स देशों ने क्या किया
रूस, चीन और ईरान जैसे अन्य देश अमेरिकी प्रतिबंधों से अछूते नहीं है. ब्रिक्स देशों ने SWIFT की तरह ही अपना खुद का इंटरनेशनल पेमेंट सिस्टम बनाने का प्रस्ताव रखा है. अगर ब्रिक्स देश इस दिशा में सफल हो जाते हैं, तो ये अमेरिका के लिए बड़ा झटका होगा. इससे अमेरिकी बाजार पर भी गंभीर असर पड़ेगा. यही वजह है कि ट्रंप इसे डॉलर के लिए चुनौती के तौर पर देख रहे हैं.
PM मोदी कैसे संभालेंगे स्थिति?
मौजूदा स्थिति में भारत के रूस और अमेरिका दोनों के साथ ही अच्छे संबंध है. उसका दोनों देशों के साथ व्यापार लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस स्थिति को कैसे संभालेंगे. बता दें कि ब्रिक्स में अभी ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.