Manish Sisodia News: 17 महीनों के बाद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) नेता मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल से बाहर आ गए. तिहाड़ जेल के दरवाजे पर आप नेताओं कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ा. उन्हें शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कथित शराब घोटाले में CBI-ED दोनों ही मामले में जमानत दे दी. अब लोगों के बीच में मनीष सिसोदिया को फिर से दिल्ली का उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा हो रही है. अब अहम सवाल ये है कि क्या अब फिर से मनीष सिसोदिया डिप्टी सीएम बन सकते हैं. अगर नहीं, तो इसमें क्या कानूनी दावपेंच हैं.
क्यों हुई थी सिसोदिया की गिरफ्तारी
पिछले साल 26 फरवरी को शराब घोटाले में सिसोदिया को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने अरेस्ट किया था. इसके कुछ दिनों बाद ही मनीष सिसोदिया ने उपमुख्यमंत्री के पद और दिल्ली कैबिनेट में अपनी जगह से इस्तीफा दे दिया था. लीकर पॉलिसी में अनियमितताओं के मामले में ये पहला बड़ा शिकंजा था. इसी शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए जैसे ही एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) की एंट्री हुई. वैसे ही उसने भी मनीष सिसोदिया पर शिंकजा कस दिया था.
ईडी ने कथित शराब नीति घोटाले में अपनी जांच तेज की. उसने दिल्ली में छापेमारियां की और मामले से जुड़े जरूरी साक्ष्य जुटाए. इसके बाद ईडी ने भी 9 मार्च 2023 को मनीष सिसोदिया को अरेस्ट कर लिया था. तब से ही सिसोदिया तिहाड़ में बंद थे. मनीष सिसोदिया का जेल जाना केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि सिसोदिया कैबिनेट की जिम्मेदारियों को छोड़ने से पहले शिक्षा, वित्त, योजना, भूमि और भवन, सतर्कता सेवाएं सहित 18 महत्वपूर्ण विभागों को संभाल रहे थे.
सिसोदिया की रिहाई पर सियासत
इसलिए तो शुक्रवार को जब मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल से रिहा हुए तो सिसोदिया के घर से लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं तक खुशी की लहर दौड़ गई. AAP नेताओं ने सिसोदिया की रिहाई की खुशी में मिठाईयां बांटीं और जमकर पटाखे फोड़े. AAP नेताओं केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर जमकर निशाना साधा. हुंकार भरी गई कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सीबीआई और ईडी की पोल खुल गई, लेकिन बीजेपी कहती है कि जमानत मिलना, क्लीन चिट मिलना नहीं है.
सिसोदिया की रिहाई, AAP को संजीवनी
मनीष सिसोदिया को जमानत मिलना AAP के लिए संजीवनी से कम नहीं है, क्योंकि पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी इस कथित शराब घोटाले में जेल में हैं. सिसोदिया को केजरीवाल का सबसे विश्वस्त माना जाता है. उनको सरकारी कामकाज का अनभुव भी है. केजरीवाल के जेल में होने से एक मजबूत नेतृत्व की कमी खल रही है. सिसोदिया की रिहाई इसकी भरपाई कर सकती है और इससे पार्टी कैडर और नेतृत्व को फिर से मजबूती मिलेगी.
क्या सरकार में भी होगी वापसी?
सिसोदिया का अगला प्लान क्या होगा, इस पर तमाम अटकलें हैं. मगर फैसला आते ही सोशल मीडिया से लेकर आप नेताओं के बयानों तक सिसोदिया और उनके शिक्षा मॉडल की चर्चा होने लगी. दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा, ‘मनीष सिसोदिया शिक्षा क्रांति के जनक हैं. हम लोग मिलकर दिल्ली को आगे ले जाएंगे.’ पार्टी में नंबर दो की भूमिका में रहे सिसोदिया की सत्ता में वापसी की अकटलें तेज हो गई हैं.
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क्या फिर बन सकते हैं डिप्टी CM?
दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून किसी के चुनाव लड़ने को लेकर रोक लगाता है. हालांकि यह कानून तभी लागू होता है, जब किसी व्यक्ति को किसी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई हो. ऐसे में मनीष सिसोदिया सिर्फ आरोपी हैं, उनके खिलाफ कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है, और ना ही उन्हें सजा सुनाई गई है. ऐसे में वो डिप्टी सीएम बन सकते हैं और चुनाव भी लड़ सकते हैं. हालांकि, इसमें बड़ा पेच ये है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में हैं.
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केजरीवाल के जेल जाने का मतलब है कि वे मनीष सिसोदिया की नियुक्ति की सिफारिश करने के लिए आवश्यक डॉक्मेंट्स पर साइन नहीं कर सकते. दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, जिसमें कैबिनेट मंत्री की नियुक्ति की प्रक्रिया में मुख्यमंत्री की सिफारिश उपराज्यपाल के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को भेजी जाती है, और राष्ट्रपति की सहमति के बाद ही कोई नया मंत्री शपथ ले सकता है. ऐसे में साफ है कि केजरीवाल के जेल से बाहर आने तक सिसोदिया दिल्ली के डिप्टी सीएम नहीं बन सकते हैं.
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