ऑगस्टो पिनोशे (Augusto Pinochet) की सैन्य तानाशाही के खात्मे के बाद चिली वासी सितंबर में नए संविधान को लेकर मतदान में हिस्सा लेंगे. अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ संभावना जता रहे हैं कि चिली का नया संविधान देश में आमूल-चूल बदलाव की बयार लेकर आएगा. नए संविधान का मसौदा सामाजिक अधिकारों, पर्यावरण और लैंगिक समानता पर प्रमुख रूप से केंद्रित है. यह 1980 के दशक में ऑगस्टो पिनोशे के कार्यकाल में लिखे गए संविधान (Constitution) से बिल्कुल अलग है. पिनोशे ने उस वक्त मुक्त व्यापार समेत निजी अधिकारों को ध्यान में रख संविधान का मसौदा लिखवाया था. हालांकि वामपंथी झुकाव वाले पूर्व छात्र नेता और बीते साल दिसंबर में चिली के सबसे युवा राष्ट्रपति बने गेब्रियल बोरिक (Gabriel Boric) के लिए नए संविधान से निपटना पहाड़ साबित हो सकता है. इस नए संविधान के मसौदे के पक्ष-विपक्ष में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं. बोरिक राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से चिली में राजनीतिक और आर्थिक सुधारों का संकल्प जता चुके हैं. संविधान का नया मसौदा 154 सदस्यीय संविधान निकाय ने तैयार किया है. इस तरह देखें तो चिली के इतिहास में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से संविधान का मसौदा तैयार किया गया. नए संविधान की प्रक्रिया 2019 में दुनिया के शीर्ष कॉपर उत्पादक देश में गैर-बराबरी को लेकर व्यापक धरना-प्रदर्शन शुरू हुए. इससे लातिन अमेरिकी (Latin America) देशों में स्थायित्व के लिए प्रसिद्ध चिली की छवि को गहरा धक्का लगा. ऐसे में यह जानना रोचक रहेगा कि प्रस्तावित 388 अनुच्छेद वाले नए संविधान में क्या बदलाव किए गए हैं.
राजनीतिक और कानून व्यवस्था
- राष्ट्रपति ही सरकार का मुखिया बना रहेगा, लेकिन उन कानूनों को पेश करने की शक्ति को साझा करेगा जिनमें विधायकों के साथ सार्वजनिक खर्च शामिल रहेंगे. यह बदलाव वर्तमान राष्ट्रपति के अधिकारों के लिहाज से विशिष्ट है.
- चिली के राष्ट्रपति को लगातार एक और बार ही चुना जा सकेगा. अभी तक चिली के राष्ट्रपति को लगातार बार-बार चुना जा सकता था.
- चिली का सदन फिलवक्त द्विसदनीय निकाय, जिसकी बराबर शक्तियां हैं. नए संविधान के लागू होने के बाद इसकी असीमित शक्तियां हो जाएंगी. वर्तमान चैंबर ऑफ डेप्युटी अपने विधायी कार्यों को बनाए रखेंगे, जबकि सीनेट को चैंबर ऑफ रीजन में तब्दील कर दिया जाएगा, जिसकी सीमित शक्तियां होंगी. हालांकि यह क्षेत्रीय जरूरतों के लिहाज से कानून पर ध्यान देगा.
- लोकप्रिय कानूनी पहल और नागरिक परामर्श जैसे प्रत्यक्ष लोकतंत्र तंत्र नियमित हो जाएंगे.
- प्रत्यक्ष लोकतांत्रिक तंत्र मसलन लोकप्रिय कानूनी पहल और उसके लिए नागरिकों से विचार-विमर्श एक स्थायी व्यवस्था होगी.
- चैबर ऑफ डेप्युटी को किसी कानून में संशोधन या निरस्त करने के लिए सामान्य बहुमत की जरूरत पड़ेगी, जबकि पहले इसके लिए दो-तिहाई का आंकड़ा जरूरी थी. केंद्रीय बैंक जैसी स्वायत्त संस्थाओं में बदलाव के लिए सुपर मैजॉरिटी जरूरी रहेगी.
सामाजिक स्थिति
- प्रस्तावित नया संविधान सामाजिक अधिकारों के व्यापक दायरे की गारंटी देता है, जो कि 2019 के हिंसक विरोध-प्रदर्शन की प्रमुख मांग थी. इसमें आवास, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, काम और भोजन तक पहुंच के मुद्दे शामिल हैं.
पर्यावरण
- विद्यमान संविधान में पर्यावरण के लिए महज एक अनुच्छेद है, जबकि नये संविधान के मसौदे में इस पर पूरा एक चैप्टर शामिल है. नये संविधान के तहत 'प्रकृति के अधिकार' समेत 'जानवर खास सुरक्षा से जुड़े विषय' जैसी बातों को समाहित किया गया है.
- जलवायु परिवर्तन से लड़ना सरकार का कर्तव्य होगा. इसके साथ ही जैव विविधता, देशी प्रजातियों और प्राकृतिक स्थानों की सुरक्षा भी उसका अधिकार क्षेत्र होगा.
- वेटलैंड का भी संरक्षण दिया जाएगा. हालांकि नये संविधान में ग्लेशियर्स के संरक्षण पर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है. हालांकि ग्लेशियर्स को किसी भी तरह के खनन से बाहर रखा गया है. गौरतलब है कि चिली दुनिया का सबसे बड़ा कॉपर उत्पादक देश है और लीथियम के शीर्ष उत्पादकों में से एक है.
- नए संविधान के मसौदे में पानी को गैर विनियोज्य के रूप में निरूपित किया गया है, जबकि पिनोशे के संविधान में पानी पर निजी अधिकार हुआ करता था.
लैंगिक समानता
- राज्य के सरकारी विभागों, निजी कंपनियों समेत अन्य संस्थाओं में लैंगिक समानता जरूरी होगी.
- सरकार को लैंगिक हिंसा कम करने और लैंगिक हिंसा के दोषियों को दंडित करने के उपाय हर हाल में अपनाने होंगे.
- नये मसौदे में हर शख्स को यौन क्रियाओं समेत प्रजनन अधिकार का हकदार माना गया है. इसमें गर्भ धारण करने से रोकने के उपाय अपनाने तक शामिल हैं. हालांकि गर्भपात को भविष्य में बनने वाले कानून पर छोड़ दिया गया है. फिलवक्त चिली में गर्भपात लीगल है. बशर्ते गर्भ धारण की वजह बलात्कार हो, अव्यवहार्य गर्भधारण या जब मां का जिदंगी खतरे में हो.
जनजातीय अधिकार
- सरकार को जनजातीय समूहो से जुड़ी परंपराओं का सम्मान करना होगा और उनकी सुरक्षा की गारंटी देनी होगी. इसके साथ ही उनके आत्म निर्णय़ से लेकर सामूहिक और निजी अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करना होगा.
- संविधान के नए मसौदे में जनजातीय समूहों की जमीन, सीमाओं और संसाधनों के अधिकार पर खासा जोर दिया गया है. इसके साथ प्रतिनिधि निकायों में उनके सीटों के आरक्षित करने की बात भी है. यह भी सुनिश्चित किया गया है कि उनके अधिकारों पर प्रभाव डालने वाले मसलों पर उनसे विचार-विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.
- नया संविधान में जनजातीय समूहों के लिए समानांतर न्याय प्रणाली की स्थापना की बात की गई है, लेकिन चिली के सर्वोच्च न्यायालय का आदेश ही अंतिम माना जाएगा.
HIGHLIGHTS
- चिली के सबसे युवा राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक ने नये संविधान का मसौदा जनता के समक्ष रखा
- जनता इसका अध्ययन कर सितंबर में इसके पक्ष-विपक्ष में करेंगी मतदान यानी लोकतांत्रिक कानून
- तानाशाह ऑग्सटो पिनोशे के दौर के संविधान से बिल्कुल अलग है चिली का नया संविधान