चिलीवासी रविवार को नए संविधान की स्वीकारने या खारिज करने के लिए हो रहे जनमत संग्रह में हिस्सा लेने जा रहे हैं. अगर बीते साल दिसंबर में चिली के सबसे युवा राष्ट्रपति बने गेब्रियल बोरिक (Gabriel Boric) का नया संविधान लागू होता है, तो दशकों पहले सैन्य तानाशाह ऑगस्टो पिनोशे के कार्यकाल में तैयार किया संविधान इतिहास में दर्ज हो जाएगा. गेब्रियल बोरिक के नये संविधान का मसौदा सामाजिक अधिकार, पर्यावरण (Environment) और लैंगिक समानता पर केंद्रित है, जो ऑगस्टो पिनोशे (Augusto Pinochet) के मुक्त व्यापार समेत निजी अधिकारों को केंद्रित रख तैयार किए संविधान से बिल्कुल उलट है. ऑगस्टो पिनोशे के संविधान ने चिली को विकास के रास्ते पर तो अग्रसर किया, लेकिन जबर्दस्त असमानताएं भी साथ लेकर आया. इन असमानताओं की वजह से 2019 में कई महीनों तक चिली (Chile) में हिंसक प्रदर्शन हुए. वामपंथी झुकाव वाले पूर्व छात्र नेता और बीते साल दिसंबर में चिली के सबसे युवा राष्ट्रपति बने गेब्रियल बोरिक पद संभालने के बाद से चिली में राजनीतिक और आर्थिक सुधारों का संकल्प जता चुके हैं. संविधान (Constitution) का नया मसौदा 154 सदस्यीय संविधान निकाय ने तैयार किया है. इस तरह देखें तो चिली के इतिहास में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से संविधान का मसौदा तैयार किया गया.
चिली का नया संविधानः क्या है इसका महत्व ?
चिली दुनिया में तांबे का शीर्ष उत्पादक देश है. बैटरी बनाने के काम आने वाली धातु लीथियम के उत्पादन में उसे दूसरा स्थान हासिल है. ऐसे में अगर नए संविधान का मसौदा स्वीकार कर लिया जाता है, तो पर्यावरण की सुरक्षा के लिहाज से कड़े नियमों का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा. नए संविधान के मसौदे में कड़े पर्यावरण संरक्षण कानून ने खनन क्षेत्र में कुछ चिंताएं पैदा की हैं. इसको लेकर बाजार और निवेशकों में भी भारी बेचैनी है. यद्यपि नए संविधान पर होने जा रहे जनमत संग्रह के परिणाम जो भी आए, अनिश्चतता के बादल कम होने का नाम नहीं लेंगे. इंवेस्टमेंट बैंकर जेपी मोर्गन ने इसको लेकर एक प्रतिक्रिया दी है... 'यदि संविधान का नया मसौदा खारिज भी हो जाता है, तो भी संस्थागत अनिश्चतताएं बनी रहेंगी.'
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सर्वेक्षण क्या कहते हैं...
नए संविधान के मसौदे को लेकर हालिया सर्वेक्षण अप्रैल के बाद कराया गया. इसके परिणाम बताते हैं कि नए मसौदे को खारिज करने का मन अधिकांश चिलीवासी बना चुके हैं. पिछले महीने इसको लेकर हुए सर्वेक्षण में नए मसौदे को अस्वीकार करने वाले लोगों को 10 प्वाइंट की बढ़त हासिल रही थी. फिर भी माना जा रहा है कि इसी स्वीकारने या खारिज करने को लेकर चिलीवासियों में भारी अनिश्चतता है.
ऐसे होगा जनमत संग्रह का मतदान
नए संविधान के मसौदे पर रविवार को होने वाले जनमत संग्रह में 15 मिलियन यानी डेढ़ करोड़ चिलीवासी और नागरिकता प्राप्त लोग पक्ष-विपक्ष में मतदान करेंगे. जनमत संग्रह में भाग लेना सभी के लिए जरूरी है. इसके लिए चिली में लगभग 3 हजार मतदान केंद्र बनाए गए हैं. वोटिंग की प्रक्रिया सुबह 8 बजे शुरू होगी और शाम 6 बजे तक चलेगी. अगर मतदाता लाइन में लगे हैं, तो उन्हें समय सीमा के बाद भी वोट डालने का मौका मिलेगा. मतदान पूरा होने के कुछ घंटों बाद ही परिणाम सामने होंगे.
आगे क्या होगा...
अगर संविधान के नए मसौदे को मंजूर कर लिया जाता है, तो सत्तारूढ़ गठबंधन ने संविधान के कुछ प्रावधानों में सुधार और स्पष्टीकरण के लिए पहले से एक समझौते पर दस्तखत किए हुए हैं. संविधान के नए मसौदे में 57 अस्थायी अनुच्छेद हैं, जो विद्यमान संविधान से अलग अनुच्छेदों को लागू करने के लिए दिशा-निर्देश देने का काम करेंगे. यदि संविधान का नया मसौदा जनमत संग्रह में खारिज होता है तो भी राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक नई संवैधानिक प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे. यह संवैधानिक प्रक्रिया 2020 में जनमत संग्रह के परिणामों के अनुपालन में निहित है, जिसमें 80 फीसदी चिलीवासियों ने पिनोशे शासन के दौरान तैयार संविधान को दरकिनार कर नए संविधान के पक्ष में मतदान किया था. हालांकि कुछ राजनीतिक गुटों का मानना है कि विद्यमान संविधान में संशोधन से भी काम चल सकता है, जिसके लिए हाल ही में समायोजन के लिए रजामंदी दी गई थी.
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नए संविधान के मसौदे में यह है खास
राजनीतिक और कानून व्यवस्था
- राष्ट्रपति ही सरकार का मुखिया बना रहेगा, लेकिन उन कानूनों को पेश करने की शक्ति को साझा करेगा जिनमें विधायकों के साथ सार्वजनिक खर्च शामिल रहेंगे. यह बदलाव वर्तमान राष्ट्रपति के अधिकारों के लिहाज से विशिष्ट है.
- चिली के राष्ट्रपति को लगातार एक और बार ही चुना जा सकेगा. अभी तक चिली के राष्ट्रपति को लगातार बार-बार चुना जा सकता था.
- चिली का सदन फिलवक्त द्विसदनीय निकाय, जिसकी बराबर शक्तियां हैं. नए संविधान के लागू होने के बाद इसकी असीमित शक्तियां हो जाएंगी. वर्तमान चैंबर ऑफ डेप्युटी अपने विधायी कार्यों को बनाए रखेंगे, जबकि सीनेट को चैंबर ऑफ रीजन में तब्दील कर दिया जाएगा, जिसकी सीमित शक्तियां होंगी. हालांकि यह क्षेत्रीय जरूरतों के लिहाज से कानून पर ध्यान देगा.
- लोकप्रिय कानूनी पहल और नागरिक परामर्श जैसे प्रत्यक्ष लोकतंत्र तंत्र नियमित हो जाएंगे.
- प्रत्यक्ष लोकतांत्रिक तंत्र मसलन लोकप्रिय कानूनी पहल और उसके लिए नागरिकों से विचार-विमर्श एक स्थायी व्यवस्था होगी.
- चैबर ऑफ डेप्युटी को किसी कानून में संशोधन या निरस्त करने के लिए सामान्य बहुमत की जरूरत पड़ेगी, जबकि पहले इसके लिए दो-तिहाई का आंकड़ा जरूरी थी. केंद्रीय बैंक जैसी स्वायत्त संस्थाओं में बदलाव के लिए सुपर मैजॉरिटी जरूरी रहेगी.
सामाजिक स्थिति
- प्रस्तावित नया संविधान सामाजिक अधिकारों के व्यापक दायरे की गारंटी देता है, जो कि 2019 के हिंसक विरोध-प्रदर्शन की प्रमुख मांग थी. इसमें आवास, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य, काम और भोजन तक पहुंच के मुद्दे शामिल हैं.
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पर्यावरण
- विद्यमान संविधान में पर्यावरण के लिए महज एक अनुच्छेद है, जबकि नये संविधान के मसौदे में इस पर पूरा एक चैप्टर शामिल है. नये संविधान के तहत 'प्रकृति के अधिकार' समेत 'जानवर खास सुरक्षा से जुड़े विषय' जैसी बातों को समाहित किया गया है.
- जलवायु परिवर्तन से लड़ना सरकार का कर्तव्य होगा. इसके साथ ही जैव विविधता, देशी प्रजातियों और प्राकृतिक स्थानों की सुरक्षा भी उसका अधिकार क्षेत्र होगा.
- वेटलैंड का भी संरक्षण दिया जाएगा. हालांकि नये संविधान में ग्लेशियर्स के संरक्षण पर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा गया है. हालांकि ग्लेशियर्स को किसी भी तरह के खनन से बाहर रखा गया है. गौरतलब है कि चिली दुनिया का सबसे बड़ा कॉपर उत्पादक देश है और लीथियम के शीर्ष उत्पादकों में से एक है.
- नए संविधान के मसौदे में पानी को गैर विनियोज्य के रूप में निरूपित किया गया है, जबकि पिनोशे के संविधान में पानी पर निजी अधिकार हुआ करता था.
लैंगिक समानता
- राज्य के सरकारी विभागों, निजी कंपनियों समेत अन्य संस्थाओं में लैंगिक समानता जरूरी होगी.
- सरकार को लैंगिक हिंसा कम करने और लैंगिक हिंसा के दोषियों को दंडित करने के उपाय हर हाल में अपनाने होंगे.
- नये मसौदे में हर शख्स को यौन क्रियाओं समेत प्रजनन अधिकार का हकदार माना गया है. इसमें गर्भ धारण करने से रोकने के उपाय अपनाने तक शामिल हैं. हालांकि गर्भपात को भविष्य में बनने वाले कानून पर छोड़ दिया गया है. फिलवक्त चिली में गर्भपात लीगल है. बशर्ते गर्भ धारण की वजह बलात्कार हो, अव्यवहार्य गर्भधारण या जब मां का जिदंगी खतरे में हो.
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जनजातीय अधिकार
- सरकार को जनजातीय समूहो से जुड़ी परंपराओं का सम्मान करना होगा और उनकी सुरक्षा की गारंटी देनी होगी. इसके साथ ही उनके आत्म निर्णय़ से लेकर सामूहिक और निजी अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करना होगा.
- संविधान के नए मसौदे में जनजातीय समूहों की जमीन, सीमाओं और संसाधनों के अधिकार पर खासा जोर दिया गया है. इसके साथ प्रतिनिधि निकायों में उनके सीटों के आरक्षित करने की बात भी है. यह भी सुनिश्चित किया गया है कि उनके अधिकारों पर प्रभाव डालने वाले मसलों पर उनसे विचार-विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.
- नया संविधान में जनजातीय समूहों के लिए समानांतर न्याय प्रणाली की स्थापना की बात की गई है, लेकिन चिली के सर्वोच्च न्यायालय का आदेश ही अंतिम माना जाएगा.
HIGHLIGHTS
- नये संविधान का मसौदा सामाजिक अधिकार, पर्यावरण और लैंगिक समानता पर केंद्रित है
- यह ऑगस्टो पिनोशे के मुक्त व्यापार समेत निजी अधिकार केंद्रित संविधान से बिल्कुल उलट
- बीते साल दिसंबर में चिली के सबसे युवा राष्ट्रपति बने गेब्रियल बोरिक सुधार के प्रबल पक्षधर