दक्षिण चीन सागर या फिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक विस्तरवादी नीतियों के खिलाफ अब छोटे देश भी अपनी आवाज उठाने लगे हैं या ड्रैगन के खिलाफ ताकतवर वैश्विक गठबंधन का हिस्सा बन रहे हैं. ताईवान (Taiwan) ने तो बीते दिनों अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) का स्वागत कर ड्रैगन की आंख में आंख डालकर चुनौती ही दे डाली. भले ही इसकी प्रतिक्रियास्वरूप बीजिंग की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) सेना ने ताईवान स्ट्रेट में युद्ध सरीखे युद्धाभ्यास का प्रदर्शन किया हो, लेकिन चंद दिनों बाद अमेरिकी सांसदों के दल का स्वागत कर ताईवान ने जता दिया कि वह शी जिनपिंग (Xi JInping) की ताकत के आगे झुकने वाला नहीं. इस कड़ी में अब इंडोनिशिया (Indonesia) ने ड्रैगन को आंखे दिखाने का काम किया. अमेरिका (America) के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास कर उसने जता दिया कि वह ड्रैगन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ वैश्विक गठबंधन का हिस्सा बनने की ओर एक कदम बढ़ा चुका है. इस कदम से बीजिंग प्रशासन को समझ आ गया है कि सामरिक लिहाज से हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण इंडोनेशिया को अब वह नजरअंदाज नहीं कर सकता है.
14 देशों ने युद्धाभ्यास में लिया भाग
इस वार्षिक युद्धाभ्यास का नाम था गरुड़ शील्ड, जिसमें 14 देशों ने भाग लिया. यह युद्धाभ्यास वास्तव में अमेरिका-इंडोनेशिया की सैन्य साझेदारी की आधारशिला है, जिसे इसी महीने अंजाम दिया गया. एक तरह से इंडोनेशियाई सेना और अमेरिकी सेना के संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का विस्तार रही सुपर गरुड़ शील्ड ड्रिल. इसे हिंद प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास करार दिया जा रहा है. बेहद मजबूत और विविधता भरे 2022 के सुपर गरुड़ शील्ड युद्धाभ्यास में कई बातें पहली बार सामने आईं. मसलन तीन देशों क्रमशः अमेरिका, जापान और इंडोनेशिया ने पहली बार संयुक्त दल बतौर हवाई छलांग लगाई. इस बहुराष्ट्रीय सैन्यभ्यास की योजना, संचालन, परस्पर सैन्य तकनीक आदान-प्रदान और गतिविधियों ने भाग लेने वाले सभी देशों की सुरक्षा क्षमताओं का बढ़ाने का काम तो किया ही है. साथ ही यह सैन्यभ्यास इस बात की भी प्रतीक है इसमें शामिल होने वाले सभी देश स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के पैरोकार हैं.
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बीजिंग को दिया गया हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर साफ संदेश
इस सैन्यभ्यास में 14 देशों के 4 हजार जवान संयुक्त रूप से शामिल हुए. ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और जापान की ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स ने पहली बार भाग लिया. इनके अलावा कनाडा, फ्रांस, भारत, मलेशिया, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, पापुआ न्यू गिनी, तिमूर लेस्ते और ब्रिटेन भी इस युद्धाभ्यास का हिस्सा बना. अमेरिकी सेना के प्रशांत क्षेत्र के जनरल चार्ल्स फ्लिन ने युद्धाभ्यास को लेकर बेबाक अंदाज में कहा, 'जब हम इस तरह साथ-साथ होते हैं, तो कहीं ज्यादा शक्तिशाली होते हैं. बहुराष्ट्रीय फोर्स के रूप में गरुड़ शील्ड वास्तव में टीम वर्क, एकरूपता और समूह के रूप में एकता का परिचायक है. इसके जरिये हम यह संदेश देने में कामयाब रहे हैं कि हम सभी स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र चाहते हैं, जो नियम-कायदों से संचालित हो.'
चीन के स्वामित्व के दावे के बावजूद जकार्ता बना रहा सेज़
ग्लोबल स्ट्रेट व्यूज ने अपने विश्लेषण में कहा है कि इस युद्धाभ्यास के जरिये इंडोनेशिया ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामक चीन के अनियंत्रित विस्तार के विरोध में बढ़त हासिल कर ली है. ड्रैगन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी आक्रामक विस्तारवादी नीति के तहत बेहद छोटे और मध्यम देशों को खत्म करता जा रहा है. गौरतलब यह है कि चीन-इंडोनेशिया के बीच सामान्यतः सकारात्मक रिश्ते हैं, लेकिन दक्षिण चीन सागर में नतूना द्वीप पर चीन के दखल ने जकार्ता को चिंता में डाल दिया. गौरतलब है कि चीन दक्षिण चीन सागर के समग्र क्षेत्र पर अपना दावा करता है. क्षेत्रीय सामरिक विशेषज्ञों की मानें तो नतूना द्वीप पर चीन ने दखल देकर इंडोनेशिया संग परस्पर संबंधों को कड़वाहट में तब्दील कर दिया है. अब नतूना रीजेंसी को विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र बनाने के जकार्ता के फैसले ने ड्रैगन की त्योरियां और चढ़ाने का काम किया है.
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चीन-इंडोनेशिया में तनाव बढ़ना है तय
भले ही चीन को जकार्ता का यह फैसला रास नहीं आया हो, लेकिन इंडोनेशिया नतूना रीजेंसी को सेज़ में तब्दील कर क्षेत्रीय पर्यटन, मछली के शिकार, ऊर्जा और सुरक्षा पहलुओं के लिहाज से बेहतरीन विकल्प बनाने की सोच रहा है. नतूना रीजेंसी के विभाग के अनुरोध पर इंडोनेशिया सरकार के लिए काम करने वाले एक समूह ने प्रस्तावित सेज़ को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है. इसके साथ ही इंडोनेशिया के राष्ट्रपति विडोडो जोको ने नतूना समुद्री क्षेत्र को अलग-अलग सेक्टर में बांटने वाले आदेश पर दस्तखत भी कर दिए हैं. सामरिक विशेषज्ञों की मानें तो नतूना द्वीप पर सेज के निर्माण से चीन-इंडोनेशिया के बीच तनाव बढ़ना तय है. यानी ताईवान के बाद अब इंडोनेशिया भी ड्रैगन की फुफकार के ताप को झेलने के लिए तैयार है. इस कड़ी में गरुड़ शील्ड युद्धाभ्यास का महत्व अपने आप बढ़ जाता है.
HIGHLIGHTS
- दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक विस्तारवादी नीति के खिलाफ आया इंडोनेशिया
- नतूना द्वीप पर चीन के दावे को नजरअंदाज कर जकार्ता बना रहा विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र
- अमेरिका नीत 14 देशों के युद्धाभ्यास में शामिल हो जकार्ता ने दिखाया ड्रैगन को आईना