Pacific Area में चीन की दखल, क्यों बढ़ी अमेरिका- ऑस्ट्रेलिया की टेंशन

केवल आर्थिक उपस्थिति से आगे बढ़कर चीन ने छोटे राजनयिक कदमों से लेकर व्यापार को दोगुना करने तक प्रशांत महासागर द्वीप राष्ट्रों में पिछले एक दशक के दौरान अपने हितों का विस्तार किया है.

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Keshav Kumar
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चीन प्रशांत क्षेत्र का स्थायी और बड़ा भागीदार बन रहा है( Photo Credit : News Nation)

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प्रशांत क्षेत्र (Pacific Area)  में चीन (China) की मौजूदगी को लेकर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ( US and Australia) को खास तौर पर सावधान रहने की जरूरत है. इस क्षेत्र में चीन अब नए प्रारूप में सामने आकर दुनिया को चौंका रहा है. पहले केवल आर्थिक उपस्थिति से आगे बढ़कर चीन ने छोटे राजनयिक कदमों से लेकर व्यापार को दोगुना करने तक प्रशांत महासागर द्वीप राष्ट्रों में पिछले एक दशक के दौरान अपने हितों का विस्तार किया है. चीन अब इस क्षेत्र का स्थायी और बड़ा भागीदार बनने की स्थिति में खड़ा है. 

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव- चीन का बड़ा कदम

रिपोर्ट्स के मुताबिक ताइवान (Taiwan) को लेकर बढ़ते तनाव और भू-राजनीतिक अस्थिरता वाले दौर में यह चीन का बड़ा कदम है. चीन की प्रशांत क्षेत्र में मौजूदगी की शुरुआत मत्स्य एवं खनन क्षेत्र में निवेश के साथ आर्थिक संबंधों के रूप में हुई थी. यह अब खास तौर से साल 2013 में ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) की घोषणा के बाद अधिक समग्र आर्थिक, सुरक्षा एवं राजनयिक संबंधों के रूप में विकसित हो गई है. चीनी मूल के लोग व्यापारी, मजदूर और राजनीतिक शरणार्थियों के रूप में 200 से अधिक वर्षों से प्रशांत द्वीपों में रह रहे हैं. 

प्रशांत द्वीप देशों ने बढ़ाए चीन के साथ संबंध

जानकारी के मुताबिक चीन ने प्रशांत द्वीप राष्ट्रों में कानून, कृषि एवं पत्रकारिता समेत शिक्षा के क्षेत्रों में भी मौजूदगी बढ़ाई है. साल 1975 से पहले अधिकतर प्रशांत द्वीप देशों ने ताइवान या चीन गणराज्य को मान्यता दी थी. फिजी और समोआ 1975 में चीन के साथ राजनयिक संबंध विकसित करने वाले पहले देश बने. इसके बाद से क्षेत्र के आठ दूसरे देशों पापुआ न्यू गिनी (1976), वानुआतु (1982), माइक्रोनेशिया(1989), कुक द्वीप (1997), टोंगा (1998), नीयू (2007), सोलोमन द्वीप (2019) और किरिबाती (2019) ने ताइवान के बजाय चीन के साथ औपचारिक संबंध स्थापित किए.

चीन के चलते FDI में 175 फीसदी बढ़ोतरी

साल 2014 के बाद से प्रशांत देशों की सरकार के प्रमुखों और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आमने-सामने की 32 बैठकें हुई हैं. फिजी के नाडी में 2014 में शी और आठ प्रशांत द्वीप देशों के नेताओं के बीच हुई बैठक चीन की मौजूदगी के विस्तार की दिशा में अहम कदम थी. शी जिपिंग ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की ‘मैरीटाइम सिल्क रोड' के तहत ‘विकास की चीनी एक्सप्रेस ट्रेन की सवारी' करने के लिए इन देशों के नेताओं को आमंत्रित किया. उनकी यात्रा के बाद के दो वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भी 175 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 

दक्षिण चीन सागर के बाद प्रशांत क्षेत्र में भी साजिश

चीनी विदेश मंत्री वांग यी का मई 2022 का सात प्रशांत द्वीप देशों का दौरा ‘‘यात्रा कूटनीति'' का नवीनतम उदाहरण है. इससे साफ पता चलता है कि कैसे चीन की मौजूदगी महज आर्थिक संबंधों तक सीमित नहीं है. वांग यी ने दौरे के बाद इन देशों के साथ 52 द्विपक्षीय आर्थिक और सुरक्षा सौदे किए. इससे क्षेत्रीय साझेदार के रूप में बीजिंग की  स्थिति मजबूत हुई. इससे साफ दिख रहा है कि दक्षिण चीन सागर पर कब्‍जे की फिराक में लगा चीन अब प्रशांत महासागर में ऑस्‍ट्रेलिया के पास अपनी पकड़ को बहुत मजबूत कर रहा है.

आर्थिक मदद से कब्जा जमा रहा ड्रैगन

चीन ने 1950 और 2012 के बीच ओशिनिया को लगभग 1.8 अरब डॉलर की मदद दी. वर्ष 2011 से 2018 तक के नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, चीन प्रशांत क्षेत्र में सहायता देने के मामले में ऑस्ट्रेलिया के बाद दूसरे स्थान पर है. इसके अलावा, 2000 से 2012 के बीच चीन और प्रशांत क्षेत्र में उसके राजनयिक साझेदारों के बीच व्यापार 24 करोड़ 80 करोड़ डॉलर से बढ़कर 1.77 अरब डॉलर हो गया है. इसके जरिए क्‍वाड देशों के इंडो-पैसफिक फ्रेमवर्क फॉर प्रास्पेरिटी और अमेरिका, ऑस्‍ट्रेलिया  के व्‍यापक प्रतिबद्धता के ऐलान को जवाब देने की चीन की कोशिश है.

10 द्वीप ने बढ़ाई US-Australia की टेंशन

चीन ने प्रशांत क्षेत्र में बीते एक दशक में दो नए राजनयिक साझेदार जोड़े हैं. उन 10 में से आठ देशों में (कुक द्वीप और नीयू अपवाद हैं) दूतावास भी स्थापित किए हैं. प्रशांत देशों में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे पारंपरिक साझेदार चीनी मौजूदगी को सीमित करने के लिए अपनी नीतियों पर दोबारा विचार कर रहे हैं. सोलोमन द्वीप समेत प्रशांत महासागर के 10 छोटे-छोटे द्वीपों के साथ चीन सुरक्षा समझौता कर रहा है. इससे ऑस्‍ट्रेलिया और अमेरिका दोनों टेंशन में आ गया है.

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चीन की सिक्योरिटी डील लीक होने से खुलासा

चीन के इस लीक सुरक्षा समझौते से खुलासा हुआ है कि उसने प्रशांत महासागर और इस पूरे इलाके के लिए बड़ी प्लानिंग की है. अमेरिका और ऑस्‍ट्रेलिया को इस बात की चिंता हो रही है कि चीन उनकी सीमा से कुछ सौ मील की दूरी पर स्थित इन देशों में सैन्‍य अड्डा बना सकता है. प्रशांत क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जानकारों का मानना है कि चीन पूरे प्रशांत महासागर में अपना दबदबा बनाना चाहता है. चीन अब इन 10 देशों में पुलिस को ट्रेनिंग देने के लिए तैयारी भी कर रहा है.

 

HIGHLIGHTS

  • प्रशांत क्षेत्र में चीन को लेकर अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया की टेंशन बढ़ी
  • चीन ने प्रशांत क्षेत्र में एक दशक में दो नए राजनयिक साझेदार जोड़े
  • प्रशांत क्षेत्र के 10 छोटे-छोटे द्वीपों के साथ चीन का सुरक्षा समझौता
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