Advertisment

जिंदगी की डोर काट रहा है चीनी मांझा, खतरनाक शौक में बदल रही पतंगबाजी

पतंगबाजी का यह शौक आज इसलिए घातक हो गया है क्योंकि पतंगबाज चीनी मांझा (Chinese manjha) का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह मांझा न सिर्फ पतंग बल्कि लोगों की जिंदगी भी डोर भी काट रहा है.

author-image
Vijay Shankar
एडिट
New Update
Chinese Majha

Chinese Majha ( Photo Credit : File)

Advertisment

पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) मनाया जा रहा है. देश आजादी के त्योहार को मनाने के लिए कमर कस चुका है. आप भी शायद अपने तरीके से भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहे होंगे. रक्षा बंधन और स्वतंत्रता दिवस के आते ही दिल्ली का पूरा बाजार पतंगों से पट चुका है. ऐसे में आप भी पतंग उड़ाने की पूरी तैयारी कर चुके होंगे. ये आप भी जानते हैं कि कैसे दिल्लीवालों में पतंग उड़ाने का जुनूनी शौक है. दिल्ली में कैसे रक्षा बंधन और स्वतंत्रता दिवस (Independence day) के मौके पर पूरा आसमान विभिन्न आकारों की रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है, ये किसी भी छिपी नहीं है. पतंगबाजी का यह शौक आज इसलिए खतरनाक होता जा रहा है क्योंकि पतंगबाज चीनी मांझा (Chinese manjha) का इस्तेमाल कर रहे हैं और यह मांझा न सिर्फ पतंग बल्कि लोगों की जिंदगी भी डोर भी काट रहा है.

दिल्ली में रविवार को चीनी मांझे की चपेट में आने से अभिनव नाम का एक लड़का बुरी तरह घायल हो गया, जिसके बाद उसे आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया. यह लड़का अभी भी अस्पताल में भर्ती है जहां उनकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है. ऐसा नहीं है इस तरह की यह पहली घटना है. कई सालों से इस तरह की दर्दनाक घटनाएं हो चुकी है. पिछले महीने भी 25 जुलाई को दिल्ली में बाइक पर सवार एक व्यक्ति चीनी मांझा से उस समय घायल हो गया जब वह फ्लाईओवर से गुजर रहा था. बाइक चलाते समय मांझा उसके गले में लिपट गया. मांझा की चपेट में आने से उसके गले में करीब 2 इंच गहरा घाव हो गया. घायल युवक को फौरन अस्पताल ले गए, लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. इस मामले में इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया. चाइनीज मांझा से हुआ यह पहला हादसा नहीं है. पिछले कुछ सालों में कई ऐसे हादसे हुए हैं जो चर्चा में भी रहे हैं. इन हादसों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और घायल भी हुए हैं. चाइनीज मांझा न सिर्फ इंसानों के लिए बल्कि पशु-पक्षियों के लिए भी बहुत खतरनाक है और हर साल सैकड़ों पक्षी इसमें फंसकर अपनी जान गंवा देते हैं. दिल्ली पुलिस के अनुसार, चीनी मांझा से जुड़े मामलों में अब तक 256 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत 31 जुलाई तक 137 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

ये भी पढ़ें : खालिस्तान आंदोलन को हवा देने में जुटा कैनेडियन ड्रग माफिया, चिंता में भारत

पतंगबाजी का सबसे पुराना प्रमाण चीन में मिलता है

आज भारत समेत दुनिया के कई देशों में पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, लेकिन पतंगबाजी का सबसे पुराना प्रमाण चीन में मिलता है. हान राजवंश के शासनकाल में पतंगों का सैन्य उपयोग भी होता था. वहां के सैन्य कमांडरों ने दुश्मन सेना की स्थिति और दूरी का पता लगाने के लिए पतंगों का भी इस्तेमाल किया. कहा जाता है कि पतंगबाजी भी चीन के रास्ते भारत पहुंची है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंगबाजी को सांस्कृतिक गतिविधि बताते हुए पतंगबाजी पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका को भी खारिज कर दिया है. "दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि पतंगबाजी एक सांस्कृतिक गतिविधि है और इसे रोका नहीं जा सकता.  इसके बजाय प्रशासन को चीनी सिंथेटिक मांझा पर प्रतिबंध को ठीक से लागू करना होगा."

चीनी मांझा इतना खतरनाक क्यों है?

अब आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह मांझा इतना खतरनाक क्यों है और एक पतला धागा लोगों की जान कैसे ले सकता है? इसका कारण यह है कि पतंगबाजी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सामान्य मांझा कपास का बना होता है, लेकिन चीनी मांझा नायलॉन और अन्य सिंथेटिक सामग्री से बना होता है. यह मांजा कांच, लोहे के पाउडर और कई अन्य रसायनों के साथ लेपित है. इस वजह से मांझा और भी तीखा और जानलेवा हो जाता है. चाइनीज मांझा साधारण मांझा की जगह स्ट्रेचेबल होता है यानी टूटने की बजाय खिंचता रहता है. इतना ही नहीं चीनी मांझा में धातु के चूर्ण के प्रयोग से यह विद्युत का सुचालक होता है, अर्थात इसमें से करंट प्रवाहित हो सकता है और इसलिए बिजली के झटके का खतरा रहता है, लेकिन इसके खतरों से वाकिफ होने के बावजूद आज बाजार में इसकी काफी मांग है, क्योंकि जब लोग पतंग उड़ाते हैं तो चाहते हैं कि उनकी पतंग न कट जाए और वे दूसरों की ज्यादा से ज्यादा पतंगें काट सकें.

जब NGT ने मांझा पर लगा दी थी रोक

साल 2017 में NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली में इस मांझा पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. दिल्ली पर्यावरण विभाग के तहत 10 जनवरी 2017 को एक अधिसूचना जारी की गई थी, जिसके अनुसार दिल्ली में पतंगबाजी के लिए नायलॉन, प्लास्टिक और किसी भी तरह की सिंथेटिक सामग्री पर पूर्ण प्रतिबंध है. इसके अलावा कांच, धातु या अन्य नुकीली चीजों से बने धागों पर भी पतंग उड़ाने पर रोक लगा दी गई है. नियम के मुताबिक, सूती धागे से बने धागों से पतंग उड़ाई जा सकती है, लेकिन इनमें भी किसी न किसी तरह का धागा होता है, तेज वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इन नियमों का उल्लंघन कड़ी सजा के साथ दंडनीय है. अगर कोई ऐसा करते पाया जाता है तो उसे 5 साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है. 

नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां

इतने सख्त नियम होने के बावजूद आज राष्ट्रीय राजधानी में चीनी मांझा का कारोबार फलफूल रहा है. व्यवसायी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं और इन घातक मांझा को लोगों को बेच रहे हैं, और खरीदने वालों की कोई कमी नहीं है. मांझा के व्यापारी पुलिस को चकमा देने के लिए हाईटेक तरीके अपना रहे हैं और इसके लिए फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह मांजा इतना खतरनाक होता है कि अगर तेज रफ्तार से चलने वाला व्यक्ति इसकी चपेट में आ जाए तो यह न केवल त्वचा या नसों को बल्कि उसकी मांसपेशियों को भी काटकर हड्डियों तक पहुंच सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि प्रतिबंध के बावजूद चीनी मांझे के पीड़ितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. 

INDIA independence-day चीन amrit-mahotsav china NGT raksha bandhan रक्षा बंधन Chinese Manjha Manjha Kite Flying Manjha ban patang kite चीनी मांझा पतंगबाजी अमृत महोत्सव एनजीटी पतंग
Advertisment
Advertisment