कोरोना संक्रमण सिर्फ सांस की बीमारी नहीं है. यह बीमारी समग्र मानव शरीर पर प्रभाव डालकर दिल, किडनी, पेट यहां तक कि दिमाग पर भी असर डाल रही है. कोविड (COVID-19) से दिमाग के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर तमाम शोध-अध्ययन और स्वास्थ्य संबंधी आशंकाएं सामने आ चुकी हैं. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि सार्स कोव 2 वायरस के दिमाग पर पड़ने वाले असर और बौद्धिक क्रियाकलापों से जुड़े उनके लक्षणों को समय रहते समझा जाए. इसके बाद ही उचित निदान प्रक्रिया अपनाकर मेडिकल की सुविधा हासिल की जा सकेगी. जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक कोविड दिमाग के स्वास्थ्य (Brain Health) को नुकसान पहुंचाता है. इसकी वजह से भ्रम, बेहोशी, दौरे, स्ट्रोक, सूंघने-टेस्ट करने की क्षमता में कमी, सिरदर्द, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी समेत आचार-व्यवहार में बदलाव आ रहा है. इसके शिकार लोगों में पेरिफेरल नर्व से जुड़े मामले भी सामने आ रहे हैं. इनमें भी प्रमुख है 'गीयह बुरेह सिंड्रोम', जो पेरालिसिस और श्वसन तंत्र के फेल होने की नौबत ला सकता है. फ्रांसीसी मेडिकल शब्द 'गीयह बुरेह' में शरीर की प्रतिरोधक (Immunity) क्षमता ही स्नायु तंत्र पर हमला करना शुरू कर देती है.
दिमाग ही हमें बनाता है संज्ञानात्मक यानी किसी चीज-स्थिति को समझने की क्षमता
यह हम सभी जानते हैं कि दिमाग ही है जो हमें संज्ञानात्मक रूप से सक्षम बनाता है. यानी सूंघ-टेस्ट कर वस्तुओं की पहचान समेत हर किसी तरह का अनुभव हमें दिमाग ही संकेत के रूप में देता है. अब कोरोना संक्रमण इसी क्षमता को प्रभावित कर रहा है. कोरोना लोगों के दिमाग को भी नुकसान पहुंचा रहा है, जिसका सीधा असर उनकी मानसिक अवस्था में देखने में आ रहा है. भ्रम और लंबे समय तक बेहोशी इससे जुड़ी एक अवस्था है. इसकी वजह बनती है दिमाग तक खून के प्रवाह में कमी, जिससे दौरों के साथ-साथ कई मामलों में हैमरेज तक की स्थिति बन रही है. संक्रमण के महीनों बाद दिमागी मसले सिर उठा रहे हैं. बुखार, कफ जैसे अन्य संकेत तो लोग समझते हैं. अन्य लक्षण मसलन सोचने-विचारने, ध्यान केंद्रित करने, याददाश्त में कमी आने के साथ लोगों के शरीर में अजीब तरह की सनसनी और सिरदर्द भी कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी असर दिखा रहा है. दिक्कत यह है कि अधिसंख्य लोग कोविड के इन दुष्प्रभावों से परिचित नहीं है. नतीजतन विस्मृति के साथ इन लक्षणों के साथ जीते रहते हैं. ऐसे में इसका दिमाग के समग्र क्रिया-कलाप पर असर पड़ता है और संबंधित शख्स की रोजमर्रा की जिंदगी बुरी तरह से प्रभावित होती है. अध्ययन के मुताबिक कुछ मरीजों में ओंसोमिया, एंजाइटी, डिप्रेशन के अलावा सुसाइडल ख्याल तक आने लगते हैं. ऐसे में चेतन मन-मस्तिष्क और याददाश्त से जुड़ी छोटी से छोटी समस्या को नजरअंदाज मत करें और तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें.
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कोविड से साइकोसिस
'नेचर' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 45 साल की एक महिला में कोरोना संक्रमण के बाद साइकोसिस के लक्षण सामने आए. महिला को अपने घर में शेर-चीते समेत बंदर तक दिखाई पड़ते थे. वह परिस्थितियों से गुमराह होने लगी. साथ ही उसका व्यवहार दूसरों के प्रति आक्रामक हो गया. यही नहीं, वह इस फेर में मान बैठी कि उसका पति बहरूपिया है, जो स्वांग भरने के साथ-साथ पाखंड में भी निपुण है. इस महिला की जो उम्र है, सामान्यतः उससे एक दशक छोटी उम्र को साइकोसिस बीमारी होती है. यही नहीं, इस महिला का कभी कोई मानसिक बीमारी का इतिहास भी नहीं रहा था. इसके अलावा कोविड-19 संक्रमण से उबर चुके एक शख्स के दिमाग की कोशिकाओं में जलन और सूजन की समस्या देखने में आई. एक और शख्स में माइलिन का संतुलन बिगड़ा देखा गया. ये सब मामले ब्रेन हेल्थ को लेकर किए गए अध्ययन में पहली बार सामने आए.
'ब्रेन फॉग' भी एक सच्चाई है
गौरतलब है कि हम कभी-कभी गुस्से में किसी से कह देते हैं दिमाग पर धुंध छाई हुई है क्या... सच है कोरोना संक्रमण से उबर चुके कुछ लोगों में ब्रेन फॉग का असर भी देखा गया. यानी भ्रम, भूल जाना, फोकस नहीं रख पाना, मानसिक अस्पष्टता, तनाव और अनियमित नींद. बहुतों को नहीं मालूम होगा कि कोविड ने कई लोगों के दिमाग पर धुंध जमाने का काम किया और उनकी जिंदगी सामान्य नहीं रह गई.
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लोग जी रहे इन स्थितियों के साथ
दुनिया में जिस तरह से कोरोना संक्रमण फैला है, उसमें बहुत लोग ऐसे हैं जो दिमागी अवस्था में आ चुके बदलाव के साथ रह रहे हैं. उन्हें पता ही नहीं है कि कोविड-19 संक्रमण उनके दिमाग के स्वास्थ्य को प्रभावित कर चुका है. इससे जुड़े लक्षणों और संकेतों को वह समझ नहीं पाते. दूसरे मानसिक स्वास्थ्य को लेकर वैश्विक पैमाने पर जागरूकता का नितांत अभाव है, जिसकी वजह से कोरोना के बाद उसके दिमाग पर पड़े दुष्प्रभाव का इतनी बड़ी जनसंख्या के बावजूद पता नहीं चल सका.
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जीवनशैली से जुड़ी आदतें करेंगी मदद
चिकित्सकीय उपचार के अलावा जीवनशैली से जुड़ी ऐसी कई आदतें हैं, जो कोविड से जुड़ी दिमागी समस्याओं से निजात पाने में मदद कर सकती हैं. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से जुड़े विशेषज्ञ कोविड संक्रमण के बाद दिमागी स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए एरोबिक्स एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं. शुरुआत के कुछ दिनों में महज दो से तीन मिनट की एरोबिक्स एक्सरसाइज की जा सकती है. हालांकि यह भी सच है कि दिमागी स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कोई निश्चित डोज नहीं है. ऐसे में सामान्यतः हफ्ते के पांच दिन हर रोज आधे घंटे की एक्सरसाइज की जानी चाहिए. विशेषज्ञ अच्छी नींद, सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के साथ-साथ संगीत, पढ़ने-लिखने की सलाह भी देते हैं जिससे दिमाग का स्वास्थ्य बेहतर रहता है. ध्यान रखें कोविड संक्रमण से ठीक होने के बाद भी सावधानी बरतने में ही भलाई है.
HIGHLIGHTS
- कोरोना संक्रमण लोगों की ब्रेन हेल्थ पर भी डाल रहा दुष्प्रभाव
- अधिसंख्य लोग संकेत नहीं समझने के कारण जी रहे इनके साथ
- जीवनशैली से जुड़ी आदतों में बदलाव ला रख सकते हैं दिमाग स्वस्थ