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Delhi MCD: AAP का एमसीडी पर कब्जा, BJP से कहीं और बड़े टकराव की शुरुआत न बन जाए... समझें

MCD Election में भारी भरकम जीत से आप को दिल्ली पर अपना नियंत्रण मजबूत करने का मौका मिलेगा. साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 के लिए केजरीवाल भी नई रणनीति बनाने में सक्षम होंगे.

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Nihar Saxena
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दिल्ली एमसीडी चुनाव में जीत अरविंद केजरीवाल के लिए लाएगी चुनौतियां भी.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (AAP) पहली बार 2014 में दिल्ली सत्ता में आई थी. तब से आप अब तक 2015 और 2020 विधानसभा चुनावों में दो शानदार जीत हासिल कर चुकी है. अगर स्पष्ट जनादेश से बनी सरकार की बात करें, तो इसका मतलब सुचारू और प्रभावी शासन से भी होता है, लेकिन लेफ्टिनेंट गवर्नर (LG) और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच तनावपूर्ण संबंधों ने राष्ट्रीय राजधानी (Delhi) को भारत के अन्य महानगरों में पिछली कतार पर ला खड़ा किया है. राजभवन में रहने वाले नजीब जंग से लेकर अनिल बैजल और फिर हालिया विनय कुमार सक्सेना के बावजूद स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है. एलजी कार्यालय ने आप सरकार की योजनाओं को कई बार अस्वीकार किया, यहां तक ​​कि आप के शीर्ष नेताओं को निशाना बना सरकार की नीतियों की जांच के भी आदेश दिए और मोहल्ला क्लीनिक-स्कूलों पर सवाल भी उठाया. दूसरी ओर आप नेताओं ने एलजी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, धरना दिया, नौकरशाहों को आप सरकार के नुमाइदों की बात नहीं मानने को प्रोत्साहित करने का दोषी ठहराया है. ऐसे तमाम मसलों और राजभवन पर आरोपों के बीच सीएम केजरीवाल एलजी के साथ कई समन्वय बैठकों में शामिल नहीं हुए.

दिल्ली आखिर है किसकी... सारे विवादों के केंद्र में
इस सत्ता संघर्ष और विवादों के केंद्र में एक पहलू रहा है और वह यह कि वास्तविक दिल्ली सरकार किसकी है? दिल्ली की अदालत ने इस पर एलजी के पक्ष में फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार की सलाह मानने के लिए बाध्य हैं. पिछले साल संसद ने इस बहस को सुलझाते हुए एक विधेयक पारित कर दिया, जो एलजी को दिल्ली सरकार का समग्र प्रमुख बनाने का रास्ता साफ करता था.  इस संदर्भ में दिल्ली नगर निगम (Delhi MCD Election) के कड़े मुकाबले वाले चुनावों में आप की जीत महत्वपूर्ण है. दिल्ली और पंजाब के दो मुख्यमंत्रियों के बाद राष्ट्रीय राजधानी में भी पार्टी का एक मेयर होगा. हालांकि यह भी तय है कि एलजी के साथ संघर्ष जारी रहेगा. आंशिक रूप से इस वजह से कि दिल्ली पर प्रशासनिक और राजनीतिक नियंत्रण के अलग-अलग पेंच हैं. उत्तर प्रदेश और हरियाणा की तरह पूर्ण राज्य न होने से दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार के साथ एलजी भी हैं. पुलिस और भूमि अधिकारी एलजी के माध्यम से केंद्र को रिपोर्ट करते हैं, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ आप की एमसीडी चुनाव के रूप में पहली जीत अरविंद केजरीवाल को दिल्ली पर अपना नियंत्रण मजबूत करने का मौका देगी. 

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एमसीडी, दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र
अपशिष्ट जल प्रबंधन और बस सेवाओं के अलावा दिल्ली सरकार बिजली-पानी की आपूर्ति और यमुना के पुनरुद्धार के लिए जिम्मेदार है. इसके हिस्से स्कूलों, अस्पतालों, पार्कों, गलियों और नालियों का रखरखाव भी है. चूंकि नई दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए कई सेवाओं को चलाने में केंद्र की भी भूमिका है. उदाहरण के लिए केंद्र सरकार एम्स, सफदरजंग जैसे अस्पताल चलाती है; राजमार्गों का निर्माण और रखरखाव करती है और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के माध्यम से अन्य सेवाओं के साथ-साथ शहर का मास्टर प्लान बनाती है, बड़े पार्कों का रखरखाव करते हुए आवास योजनाएं लाती है. यह दिल्ली के हवाई अड्डे, मेट्रो और रेलवे स्टेशनों के अलावा पुलिस और जमीन के नियंत्रण से अलग है. दूसरी ओर ऐसा बहुत कुछ है जो एमसीडी के अंतर्गत भी आता है. दिल्ली सरकार का प्राथमिक काम ठोस अपशिष्ट प्रबंधन है और इस कड़ी में कचरे के तीन पहाड़ एक बड़ी विफलता के प्रतीक भी हैं. इसके अलावा दिल्ली एमसीडी छोटे स्कूलों, अस्पतालों, पार्कों, गलियों और नालियों के रख-रखाव के लिए भी जिम्मेदार है. दिल्ली निगम भवनों का सुरक्षा ऑडिट करता है और स्ट्रीटलाइट्स, पार्किंग स्थल, श्मशान घाट, कब्रिस्तान, मृत्यु/जन्म प्रमाण, व्यवसाय के लाइसेंस, बाजार के रखरखाव, रोग नियंत्रण और झुग्गी झोपड़ी के विकास के लिए भी जिम्मेदार है. एमसीडी का काम बंदरों और आवारा कुत्तों के खतरे को जांचना भी है.

इस तरह कर सकती है आप छवि में इजाफा
इस एमसीडी चुनाव में आप ने सरकार की मुफ्त उपहार योजनाओं के लाभार्थियों विशेष रूप से गरीबों पर ध्यान केंद्रित किया. साथ ही एमसीडी चुनाव में बढ़त बनाने के लिए भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर उसके पास पहले से थी. हालांकि गुजरात चुनाव की वजह से केजरीवाल आप के केंद्रीय चेहरा बन कर एमसीडी चुनाव में देर से आए, जो स्थानीय स्तर पर किसी बड़े चेहरे से महरूम बीजेपी के लिए थोड़ा अप्रत्याशित कदम था. अब आप एमसीडी की जीत का कई तरह से इस्तेमाल करना चाहेगी. यदि कई छीटों से सने और हमेशा नकदी की तंगी वाली एमसीडी बेहतर प्रदर्शन करती है, तो यह शहर में लाखों लोगों के जीवन को प्रत्यक्ष और सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी. झाड़ू (आप का चुनाव चिन्ह) ने एमसीडी में भाजपा को साफ कर दिया चुनावी नारे बतौर तो ठीक हैं, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती भ्रष्टाचार पर नकेल कस शहर को हर दिन बढ़ रहे जहरीले कचरों के पहाड़ से मुक्त करना होगा. एक बेहतर शहर बनने से आप की प्रशासनिक साख में इजाफा ही होगा. 

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एमसीडी में केंद्र के तैनात किए दो आईएएस
आप अपने 'कट्टर ईमानदार' के दावे को स्थापित करने के लिए दिल्ली एमसीडी के जनादेश का उपयोग कर सकती है. हालांकि इस दावे को आप सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन को कथित भ्रष्टाचार के मामलों में जेल जाने और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ शराब घोटाले की जांच के बाद थोड़ा झटका लगा है. फिर भी मनीष सिसोदिया के दिल्ली की डबल-इंजन सरकार का अधिक से अधिक प्रभार संभालने की संभावना है. इस तरह अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव 2024 के लिए नई रणनीति पर खुलेपन से काम कर सकेंगे. एमसीडी चुनावों में कांग्रेस के हाशिए पर जाने से केजरीवाल के इस दावे को बल ही मिला है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अब समाप्त हो गई है और आप ही पीएम मोदी का एकमात्र विकल्प है. हालांकि यह सब इतना आसान नहीं होने वाला. कम से कम दिल्ली पर नियंत्रण मजबूत करने की कोशिश के आप के प्रयासों को कई मोर्चों पर चुनौती मिलेगी.  एलजी के साथ दिल्ली पर एकाधिकार का संघर्ष जो जारी ही है, अब एमसीडी भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार के साथ एक और अखाड़ा बन सकता है. केंद्र सरकार को दिल्ली के नागरिक मामलों में नौकरशाही के कामकाज पर हस्तक्षेप का अधिकार है. यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि केंद्र ने एमसीडी के लिए विशेष अधिकारी और आयुक्त के रूप में दो आईएएस अधिकारियों की तैनाती हाल ही में की है.

एमसीडी में आप के काम पर रहेगी बीजेपी के सतत निगाह
यहां यह भी आप को नहीं भूलना होगा कि एमसीडी चुनाव में हार के बावजूद दिल्ली के सभी सांसद बीजेपी के हैं. बड़ा जनसमर्थन रखने वाले बीजेपी के ये सांसद एमसीडी में आप के लिए मजबूत विपक्ष साबित होने वाले हैं. आप को यह भी नहीं भूलना होगा कि उसके तीन मंत्रियों मनीष सिसोदिया, कैलाश गहलोत और सत्येंद्र जैन के विभानसभा क्षेत्र में बीजेपी आपना पार्षद का निर्वाचन करने में सफल रही है. पैसा किसी भी टकराव के मूल में होता है, तो दिल्ली में भी राजनीतिक और प्रशासनिक टकराव का नया रास्ता प्रशस्त कर सकता है. एमसीडी को आर्थिक अनुदान सहित केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों से करों में हिस्सा मिलता है. इसके अलावा एमसीडी संपत्तिकर, प्रोफेशनल टैक्स के साथ सड़क टोल वसूलती है. विज्ञापन  राजस्व का एक और स्रोत हैं, लेकिन वित्तीय कुप्रबंधन से सफाई कर्मचारियों और डॉक्टरों के वेतन-भत्तों के भुगतान में देरी ने लगातार हड़ताल कराई, जिससे स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हुआ है. एमसीडी घाटे में चल रही है, जिसका वेतन-पेंशन खर्च लगभग 9,000 करोड़ रुपये है. आर्थिक अनुदान को लेकर भाजपा और आप के बीच कई राजनीतिक टकराव हुए, जबकि इसका पीड़ित दिल्ली शहर  रहा है. बीजेपी  दिल्ली विधानसभा में 24 साल से सत्ता से बाहर है. ऐसे में बीजेपी केजरीवाल और उनकी पार्टी पर पलटवार करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी. आगे क्या होता है इसे पूरी दिल्ली देखेगी.

HIGHLIGHTS

  • 24 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर बीजेपी एमसीडी हार के बाद होगी और मुखर
  • दिल्ली के सभी सांसद केसरिया पार्टी के होने से एमसीडी में आप को कड़ी चुनौती
  • एलजी समेत नौकरशाह बीजेपी नीत केंद्र सरकार के अधीन होने से भी बड़ा अंतर
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