Asaduddin Owaisi's 'Jai Palestine' Remark Row: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी इस बार फंस गए हैं. भले ही उनके 'जय फिलीस्तीन' वाले विवादित शब्द को संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया हो. मगर विवाद जरूर गहराया हुआ है और अब तो ये मामला राष्ट्रपति भवन तक पहुंच गया है. दो दिग्गज वकीलों ने ओवैसी के खिलाफ शिकायती चिट्टी लिखी है और मांग की है कि उनकी सदस्यता रद्द हो. ऐसे में सवाल है कि क्या पांचवें टर्म की शुरुआत में ओवैसी ने बड़ा सेल्फ गोल कर दिया या फिर जानबूझकर फिलीस्तान कार्ड उन्होंने खेला. क्या है ओवैसी की M पॉलिटिक्स?
ओवैसी की सदस्यता पर लटकी तलवार
असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को संसद में सांसद के रूप में शपथ को 'जय फिलिस्तीन' के नारे से खत्म किया था. उनके इस नारे को सुनकर पूरा देश सन्न रह गया. संसद में जय फिलीस्तीन वाले ओवैसी के नारे पर विवाद इतना बढ़ चुका है कि उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग भी होने लगी है. वंदे मातरम और भारत माता को हिंदुत्व का एजेंडा बताने वाले ओवैसी इस बार फिलीस्तीन प्रेम पर फंस गए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु तक ओवैसी के विवादित नारे का मामला चला गया है. तो क्या वाकई मुस्लिम राजनीति का ग्लोबल चेहरा बनने के चक्कर में ओवैसी इस बार संसद की लक्ष्मण रेखा लांघ गए.
ओवैसी की राष्ट्रपति से शिकायत
संसद में शपथ के दौरान ओवैसी ने जिस तरह जय फिलीस्तीन का दम भरा. उसके खिलाफ राष्ट्रपति के सामने दो-दो याचिकाएं पहुंच गई है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन और विनीत जिंदल ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से ओवैसी के बयान की शिकायत की है.
वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि, 'संसद में जय फिलिस्तीन का नारा लगना ये साबित करता है कि ओवैसी विदेशी शक्तियों से घिरे हुए हैं. उनका फिलिस्तीन के प्रति झुकाव है. मैंने राष्ट्रपति को याचिका देकर संविधान के आर्टिकल 102 के तहत उनको डिसक्वालीफाई करने की मांग की है.
वहीं, वकील विनीत जिंदल ने कहा कि, 'संसद में ओवैसी का जय फिलिस्तीन का नारा लगाना संविधान के आर्टिकल 102 (1) के तहत अपराध है. उनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए.'
ओवैसी को छोड़ने के मूड में नहीं BJP
फिलीस्तीन की जय-जयकार करना ओवैसी को भारी पड़ने लगा है. मगर अपनी सफाई में उन्होंने कहा कि कोई भी असंसदीय शब्द नहीं कहा, लेकिन बीजेपी इस बार ओवैसी को आसानी से छोड़ने के मूड में नहीं दिखती. केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि, 'संसद में शपथ लेते वक्त ओवैसी ने जो 'जय फिलिस्तीन' का नारा लगाया है, वो बिल्कुल गलत है. उन्होंने संविधान के खिलाफ काम किया है.'
ओवैसी पर बीजेपी का पलटवार
जंगल की आग की तरह ओवैसी के फिलीस्तीन प्रेम का मामला भी फैल गया है. ओवैसी इसे मानवाधिकार का एंगल बता रहे हैं. इस पर बीजेपी पलटवार कर रही है कि फिर चीन के जुल्मों के शिकार उइगर पर क्यों नहीं बोलते. पाकिस्तान और बांग्लादेश में सताए जा रहे अल्पसंख्यकों का दर्द क्यों नहीं बांटते और क्यों CAA के विरोध में झंडा उठा रहते हैं और सबसे सवाल ये भी कि जब ओवैसी को जय फिलीस्तीन में कुछ भी गलत नहीं लगता तो फिर भारत माता की जय बोलना उन्हें क्यों कबूल नहीं. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि, 'विदेशी गुणगान करने वाली ये कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण है. निंदनीय है और इस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. '
ओवैसी की M पॉलिटिक्स
किसी भी कानून या फैसले को हिंदू मुस्लिम एंगल देने में ओवैसी का कोई तोड़ नहीं है. वन मैन आर्मी के नाम से मशहूर ओवैसी का सबसे बड़ा हथियार ही मुस्लिम कार्ड है, लेकिन इस बार फिलीस्तीन प्रेम के इजहार के लिए उन्होंने जिस मंच को चुना. उसे मौलवी मौलाना भी सही नहीं मानते है. मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी बरेलवी ने कहा, 'वो एक ईश्यू क्रिएट करना चाहते हैं, जज्बाती और भड़ाकाऊ वाली बातें वो करना चाहते हैं ताकि हिंदुस्तान का मुसलमान उनके दिमाग के इर्द-गिर्द घूमता रहे.'
रिकॉर्ड से हटाया गया नारा
हैदराबाद से पांचवी बार जीतकर आए ओवैसी मंगलवार को शपथ ले रहे थे. शपथ की आखिरी लाइन तक पहुंचते-पहुंचते ओवैसी ने जय फिलीस्तीन का नारा बुलंद कर दिया. तब लोकसभा में खूब हंगामा हुआ. NDA सांसदों ने मोर्चा खोला तो इंडिया गठबंधन के सदस्य भी भौचक्के रह गए, जिसके बाद चेयर पर बैठे राधा मोहन सिंह ने उसे रिकॉर्ड से निकालने का आदेश दे दिया. तब जाकर सदन में शांति बहाल हुई थी.
Source : News Nation Bureau