उत्तर-पूर्व में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के क्रम में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ईटानगर में अरुणाचल प्रदेश के पहले ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे डोन्यी पोलो का उद्घाटन किया. ग्रीनफील्ड हवाईअड्डा वह होता है जो एक नई अविकसित साइट पर सिरे से बनाया जाता है. हवाई अड्डे का नाम अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में सूर्य 'डोन्यी' और चंद्रमा 'पोलो' के प्रति सदियों पुरानी श्रद्धा के अनुरूप रखा गया है. विश्वास जताया जा रहा है कि 640 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित हवाईअड्डा कनेक्टिविटी में सुधार करेगा और क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू (Pema Khandu) ने होलोंगी में डोन्यी पोलो हवाई अड्डे पर 'द ग्रेट हॉर्नबिल गेट' को वास्तुशिल्प का चमत्कार करार दिया है. इस गेट को पूर्वी सियांग जिले के वास्तुकार अरोटी पानयांग ने डिजाइन किया है. पीक ऑवर्स के दौरान डोन्यी पोलो हवाई अड्डा एक घंटे में 300 यात्रियों को समायोजित कर सकता है, जिसके लिए इसमें आठ चेक-इन काउंटर हैं. हवाई अड्डे को एयरबस-320 के लिहाज डिज़ाइन किया गया है. यह अरुणाचल प्रदेश की राज्य की राजधानी ईटानगर से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बताया गया है कि यह बोइंग 747 जैसे बड़े विमान को भी समायोजित कर सकता है.
अरुणाचल प्रदेश का चौथा ऑपरेशनल हवाई अड्डा
इस हवाई अड्डे की परिकल्पना 2005 में की गई थी, जिसे जनवरी 2019 में प्रारंभिक स्वीकृति मिली. इस साल सितंबर में इसका काम समाप्त हो गया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य में प्रचलित प्रमुख आदिवासी रवायतों में से एक के नाम पर इसका नाम डोन्यी पोलो हवाई अड्डा रखने का फैसला किया. इस हवाई अड्डे से राज्य की लैंडलॉक स्थिति बदलने की उम्मीद है. अरुणाचल प्रदेश की सीमा उत्तर और उत्तर पूर्व में चीन, पूर्व में म्यांमार को और पश्चिम में भूटान से मिलती है. डोन्यी पोलो से पहले राज्य में तीन हवाई अड्डे थे क्रमशः पूर्वी सियांग जिले में पासीघाट, लोहित जिले में तेजू और लोअर सुबनसिरी जिले में जीरो, जो पिछले महीने बंद हो गया था. भारत का उत्तर पूर्वी हिस्सा देश के बाकी हिस्सों से एक संकीर्ण गलियारे से जुड़ा हुआ है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में चिकन नेक कहा जाता है. अरुणाचल प्रदेश तो और भी उत्तर में स्थित है, जहां शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी एक बड़े विभाजक के रूप में काम करती है. विभाजन के बाद आवागमन की प्राकृतिक रेखाएं टूट गईं और पूर्वोत्तर क्षेत्र लैंड लॉक हो गया.
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'लुक ईस्ट' और 'एक्ट ईस्ट' नीतियों से बदल रहा है पूर्वोत्तर
आजादी के बाद इस क्षेत्र ने दशकों तक राजनीतिक संघर्ष, सशस्त्र संघर्ष और उग्रवाद झेला है. बाद की सरकारों ने विद्रोही समूहों के साथ संधियों पर हस्ताक्षर कर या उनके नेताओं का चुनाव करके इस क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता लाने का प्रयास किया. ऐतिहासिक रूप से देखें तो इस क्षेत्र को हमेशा सुरक्षा के चश्मे से देखा गया है और विकास कभी भी प्राथमिकता नहीं रहा है. हालांकि मोदी सरकार के आने के बाद 'लुक ईस्ट' और 'एक्ट ईस्ट' नीतियों ने नई दिल्ली में नीति निर्माताओं का नजरिया बदलने का काम किया. जाहिर है किसी भी क्षेत्र के विकास और उसे समृद्ध बनाने में राजनीतिक प्रतिबद्धता जिम्मेदार मानी जाती है. इस लिहाज से देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आठ साल के कार्यकाल में 50 से अधिक बार उत्तर पूर्व का दौरा किया है, जो कि अन्य सभी प्रधानमंत्रियों की तुलना के समग्र दौरों की संख्या से कहीं अधिक है.
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डोन्यी पोलो हवाई अड्डा एक नजर में
- हवाई अड्डे को 640 रुपये करोड़ से अधिक की लागत से 690 एकड़ से अधिक क्षेत्र में विकसित किया गया है. इसका रनवे 2,300 मीटर लंबा है और सभी मौसम में संचालन के लिए अनुकूल है.
- हवाई अड्डे का नाम अरुणाचल प्रदेश की परंपराओं और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और राज्य में सूर्य (डोन्यी) और चंद्रमा (पोलो) के प्रति सदियों पुरानी श्रद्धा को दर्शाता है.
- हवाई अड्डा का टर्मिनल एक अत्याधुनिक इमारत है, जो एनर्जी एफिशियेंसी, रिन्यूवेबल एनर्जी और रिसाइक्लिंग ऑफ रिसोर्सेस को बढ़ावा देती है. होलोंगी में टर्मिनल का निर्माण लगभग 955 करोड़ रुपये की लागत से 4,100 वर्ग मीटर के क्षेत्र में किया गया है.
- डोन्यी पोलो हवाई अड्डा अरुणाचल प्रदेश में चौथा ऑपरेशनल हवाई अड्डा है. पीएम मोदी ने उद्घाटन के दौरान बताया कि पूर्वोत्तर में 2014 से सात हवाई अड्डे बनाए गए हैं.
HIGHLIGHTS
- ग्रीन फील्ड यानी अविकसित साइट पर तैयार किया गया डोन्यी पोलो
- अरुणाचल प्रदेश का चौथा ऑपरेशनल एयरपोर्ट होगा डोन्यी पोलो
- 2014 से पूर्वोत्तर के राज्यों में सात नए एयरपोर्टों का हुआ निर्माण