Election Results Haryana 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के वोटों की काउंटिंग जारी है. अभी तक गिनती में बीजेपी ऐतिहासिक हैट्रिक की ओर बढ़ रही है. पार्टी अभी तक 40 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रही है. वहीं रूझानों से कांग्रेस हैरान है, क्योंकि उसे पूरी उम्मीद की थी कि वो सत्ता में आएगी. रूझानों की ये स्थिति एग्जिट पोल में जताए गए पूर्वानुमानों के उलट दिख रही है, क्योंकि उनमें कांग्रेस के सत्ता में आने की भविष्यवाणी की गई थी. ऐसे में आइए जानते हैं कि हरियाणा के नतीजे किस पार्टी के जातीय समीकरणों पर मुहर लगाते हुए दिख रहे हैं.
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हैट्रिक की ओर बीजेपी
अगर बीजेपी हरियाणा में लगातार तीसरी बार ऐतिहासिक जीत दर्ज करती है, तो यह उसके आजमाए हुए चुनावी गणित - ‘सभी गैर-जाट वोटों को एकजुट करना’ की पुष्टि होगी. कांग्रेस ने इसके उलट चुनाव के लिए जाट समुदाय के इर्द-गिर्द अपने जातीय समीकरण साधे थे. इसकी बड़ी वजह है कि हरियाणा में जाट वोटों का अच्छा खासा प्रभाव है और कांग्रेस उनके समर्थन पर बहुत अधिक निर्भर मानी जाती है. इसका असर कांग्रेस का प्रत्याशियों को टिकट बांटने में भी दिखा था.
हरियाणा में जाट वोटों का प्रभाव
जैसा की आप जानते ही हैं कि हरियाणा में विधानसभा सीटों की कुल संख्या 90 है. इनमें से 40 विधानसभा क्षेत्रों में जाटों की मजबूत उपस्थिति है. 1966 में जब पंजाब से अलग होकर हरियाणा अलग राज्य बना था, तब से जाट समुदाय के मुख्यमंत्री ने 33 साल तक राज्य पर शासन किया है. हरियाणा के पहले भगवत दयाल शर्मा और दूसरे मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह गैर-जाट थे, लेकिन गैर जाट मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल भजन लाल को छोड़कर छोटा ही रहा. भाजन लाल के नाम हरियाणा के सबसे लंबे समय तक सीएम होने का रिकॉर्ड है.
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बीजेपी 2014 में हरियाणा की सत्ता में आई. पार्टी ने जबरदस्त जीत दर्ज करते हुए जाट समुदाय के कद्दावर नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दशक भर के शासन को खत्म कर दिया. तब बीजेपी ने पंजाबी खत्री मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया था. हालांकि, 2019 के नतीजे बीजेपी के लिए उतने मुफीद नहीं रहे, जितनी पार्टी नेताओं ने उम्मीद लगाई थी और बीजेपी बहुमत से दूर रही है. हालांकि पार्टी जाट नेता दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के समर्थन से सत्ता बरकरार रखने में सफल रही.
इस बार की क्या है स्थिति?
2024 के विधानसभा चुनावों से पहले जाट कई कारणों से बीजेपी से नाराज थे, जिनमें सबसे प्रमुख किसान आंदोलन और पहलवानों का विरोध था. तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के बाद आज भी किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों के लिए विरोधरत हैं. कांग्रेस ने इन मुद्दों को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया था. वहीं, पहलवानों के विरोध प्रदर्शन में जाट समुदाय से आने वालीं विनेश फोगोट और साक्षी मलिक ने बड़ी भूमिका निभाई थी.
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पार्टियों के जातीय समीकरण
किसी भी चुनाव में जीत पार्टियों के जातीय समीकरणों पर भी निर्भर करती है. हरियाणा में जाटों के प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस 28 जाटों को चुनावी रण में उतारा है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह तय करने में अहम भूमिका निभाई कि पार्टी किसे टिकट देगी और किसे नहीं. इस बार के चुनाव अभियान की अगुवाई भी उन्होंने ही की, लेकिन रणनीति का जादू चलता नहीं दिख रहा है. वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस के उलट गैर जाटों को एकजुट करने में फोकस किया. बीजेपी ने 16 जाट उम्मीदवारों को टिकट दिया है. सीएम सैनी ओबीसी समुदाय से हैं. वह बीजेपी के सीएम चेहरे भी हैं. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मोहन लाल बडोली ब्राह्मण नेता हैं. जाट वोटों के लिए दूसरी दावेदार जेजेपी इस चुनाव में हार की ओर बढ़ती दिख रही है.
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