Advertisment

Jallianwala Bag Massacre: गांधीजी ने नरसंहार के दोषी जनरल डायर को माफ कर दिया था... जानें क्यों

डायर और ओ डायर (जलियांवाला बाग हत्याकांड के दौरान पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर) के बारे में बात करते हुए गांधीजी ने कहा, 'हम जलियांवाला हत्याकांड के लिए डायर और ओ डायर को माफ कर सकते हैं, लेकिन हम इसे भूल नहीं सकते.'

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
Gandhi ji

एक बार नहीं कई-कई बार डायर को दी माफी गांधी जी ने.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

जलियांवाला बाग नरसंहार (Jallianwala Bag Massacre) का मुख्य अपराधी ब्रिगेडियर जनरल डायर (General Dyer) भारतीयों के बीच नफरत का पात्र था, लेकिन महात्मा गांधी (Maatma gandhi) ने जनरल डायर को बार-बार माफ (Forgive) किया. यहां तक ​​कि उन्होंने कई भारतीयों को 'डायरवाद' (Dyerism) के खिलाफ चेतावनी भी दी थी. उस समय महात्मा गांधी देश को अहिंसा (Non Violence) और क्षमा का एक अलग रास्ता दिखाने की कोशिश कर रहे थे. महात्मा गांधी ने जलियांवाला बाग नरसंहार के लगभग दो दशक बाद डायर को फिर से माफ कर दिया.

Advertisment

डायर को क्षमा मेरे लिए एक अभ्यास

महात्मा गांधी ने कहा, 'जनरल डायर की सेवा करना और निर्दोष लोगों को गोली मारने में उसका सहयोग करना मेरे लिए पाप होगा, लेकिन यह मेरे लिए क्षमा या प्रेम का एक अभ्यास होगा कि अगर वह किसी शारीरिक रोग से पीड़ित है, तो उसे वापस जीवन में लाया जा सके.' (कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी (सीडब्ल्यूएमजी) खंड 18, पृष्ठ 195, 'रिलिजियस अथॉरिटी फॉर नॉन कॉरेशन', यंग इंडिया, 25 अगस्त 1920). गांधीजी ने यहां तक ​​लिखा, 'डायर ने मात्र कुछ शरीरों को नष्ट किया, लेकिन दूसरों ने तो एक राष्ट्र की आत्मा को मारने की कोशिश की. जनरल डायर पर जो आक्रोश व्यक्त किया गया है, मुझे यकीन है वह काफी हद तक गलत दिशा में है.' (कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी, खंड 18, पृष्ट 46, यंग इंडिया, 14 जुलाई 1920)

यह भी पढ़ेंः Horrific Tragedy: 1.650 राउंड फायरिंग में 500 से अधिक निहत्थे भारतीय मारे गए... जानें डायर की क्रूरता

लकवाग्रस्त डायर से जताई थी सहानुभूति

जब डायर अपने जीवन के अंतिम चरण में लकवाग्रस्त हुआ, तो एक मित्र ने गांधी को जलियांवाला बाग हत्याकांड को उसके खराब स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार ठहराया. इस पर भगवद गीता के कट्टर विश्वासी गांधी की तर्कसंगत प्रतिक्रिया थी. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि जलियांवाला बाग में उसकी नृशंस कार्रवाई से पक्षाघात का कोई संबंध है. क्या आपने ऐसी मान्यताओं के निहितार्थों पर विचार किया है? मेरी पेचिश, एपेंडिसाइटिस और एक बार पक्षाघात का एक हल्का दौरा तो आपको ज्ञात होना ही चाहिए. मुझे बहुत खेद होगा अगर कुछ अच्छे अंग्रेज यह सोचते हैं कि मेरी ये बीमारियां अंग्रेजों के खिलाफ मेरे उग्र विरोध के कारण थीं.' (सीडब्ल्यूएमजी खंड 34, पृष्ठ 229 'ए लेटर', 24 जुलाई 1927)

डायर से मिलने की आकांक्षा थी गांधीजी की

महात्मा गांधी ने जलियांवाला बाग नरसंहार के लगभग दो दशक बाद डायर को फिर से माफ कर दिया. उन्होंने लिखा, 'दिवंगत जनरल डायर से ज्यादा क्रूर या खून का प्यासा कौन हो सकता है? फिर भी जलियांवाला बाग कांग्रेस जांच समिति ने मेरी सलाह पर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कहने से इंनकार कर दिया था. मेरे दिल में उसके खिलाफ दुर्भावना का कोई निशान नहीं था. मैं उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलना और उनके दिल तक पहुंचना भी पसंद करता, लेकिन वह केवल एक आकांक्षा बनकर रह गई.' (सीडब्ल्यूएमजी, खंड 68, पृष्ठ 83, 'टॉक टू खुदाई खिदमतगार', 1 नवंबर 1938)

यह भी पढ़ेंः Karnataka Election: किन 2 समुदायों पर टिका है प्रदेश का सियासी गणित, हर दल के लिए क्यों जरूरी

माफ करना और भूलने में अंतर

गांधीजी ने डायर को माफ कर दिया था, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि नफरत की अनुपस्थिति का मतलब दोषियों की स्क्रीनिंग नहीं है और न ही होना चाहिए. (सीडब्ल्यूएमजी वॉल्यूम 30, पृष्ठ 442, 'टू एसएलआर यंग इंडिया', 13 मई 1926). 'यद्यपि हम दूसरों के अपराधों को भूलने और क्षमा करने की बात करते हैं, लेकिन कुछ बातों को भूलना पाप होगा.' डायर और ओ डायर (जलियांवाला बाग हत्याकांड के दौरान पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर) के बारे में बात करते हुए गांधीजी ने कहा, 'हम जलियांवाला हत्याकांड के लिए डायर और ओ डायर को माफ कर सकते हैं, लेकिन हम इसे भूल नहीं सकते.' (सीडब्ल्यूएमजी, खंड 45, पृष्ठ 132 'स्पीच टू कांग्रेस लीडर्स, इलाहाबाद', 31 जनवरी 1921)

गांधी और डायरवाद

विडंबना यह है कि यह गांधीजी ही थे जिन्होंने क्रूर बल और हिंसक दमन का वर्णन करने के लिए 'डायरवाद' (डायरिज्म) शब्द गढ़ा. इस प्रकार जनरल डायर को उस संदर्भ में सबसे अधिक संदर्भित नाम बना दिया. उन्होंने भारत में विद्यमान अस्पृश्यता को 'हिंदू धर्म का डायरिज्म' बताया. उन्होंने गौ रक्षा के नाम पर हत्या के साथ जनरल डायर की क्रूरता के कृत्य की तुलना भी की. एक पत्र के जवाब में गांधी ने लिखा, 'जनरल डायर खुद निश्चित रूप से मानता था कि अगर वह ऐसा नहीं करता, तो अंग्रेज पुरुषों और महिलाओं की जान को खतरा था. हम इसे क्रूरता और बदले की कार्रवाई कहते हैं, लेकिन जनरल डायर के अपने दृष्टिकोण से वह उचित था. कई हिंदू ईमानदारी से मानते हैं कि एक ऐसे व्यक्ति को मारना उचित है, जो एक गाय को मारना चाहता है. वह अपने बचाव के लिए शास्त्रों का हवाला देगा और कई अन्य हिंदू उसकी कार्रवाई को सही ठहराएंगे. हालांकि जो अजनबी गाय की पवित्रता को स्वीकार नहीं करते हैं, वे इसे एक जानवर खातिर एक इंसान को मारने का बेतुका तर्क मानेंगे.' (सीडब्ल्यूएमजी खंड 33, पृष्ठ 358, 'लेटर टू देवेश्वर सिद्धांतलंकार', 22 मई 1927)

HIGHLIGHTS

Advertisment
  • महात्मा गांधी ने जलियांवाला बाग नरसंहार के दोषी डायर को कई बार माफी दी
  • कहा- नरसंहार के लिए डायर को माफ कर सकते हैं, लेकिन इसे भूल नहीं सकते
  • गांधीजी ने ही क्रूर बल और हिंसक दमन के लिए 'डायरवाद' (डायरिज्म) शब्द गढ़ा
Non Violence Mahatma Gandhi अहिंसा Forgive डायरवाद Dyresim जनरल डायर Jallianwala Bagh Massacre jallianwala bagh महात्मा गांधी General Dyer जलियांवाला नरसंहार
Advertisment
Advertisment