Explained: केंद्र की मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी में जुटी है. ये कदम है वक्फ बोर्ड के अधिकारिों में बदलाव का. जी हां संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार की ओर से ये अहम फैसला लिया जा सकता है. इसको लेकर केंद्र सरकार की ओर से सत्र में एक विधेयक यानी बिल पेश किया गया है. गुरुवार 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में यह बिल पेश किया गया है. बता दें कि वक्फ बोर्ड के अधिकारों को लेकर बीते लंबे वक्त से विवाद की स्थिति बनी हुई है.
ऐसे में केंद्र सरकार अब इसी सप्ताह वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन की तैयारी कर रही है. इसके तहत कई प्रस्तावों की मंजूरी दी जा सकती है. इन सबके बीच आइए जानते हैं कि वक्फ बोर्ड के पास कितनी जमीन है? क्या है इस बोर्ड के पास अधिकार कब से हुई थी शुरुआत जैसे सवालों के जवाब.
कहां से आया वक्फ बोर्ड शब्द
वक्फ की बात करें तो यह अरबी भाषा से लिया गया शब्द है. इसका मतलब होता है भगवान यानी खुदा के नाम पर किसी वस्तु या परोपरकार के लिए दान किया गया धन. खास बात यह है कि इस वक्फ के दायरे में न सिर्फ चल बल्कि अचल दोनों ही तरह की संपत्तियों को शामिल किया जाता है. यही नहीं इसमें कोई मुस्लिम समुदाय का शख्स धन, मकान, जमीन या फिर कोई भी कीमती वस्तु वक्फ को दान कर सकता है.
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कौन करता है रख-रखाव
वक्फ को दान में मिलने वाली जमीन, धन, मकान या फिर अन्य चीजों की देख रेख के लिए उनका खास प्रबंधन है. यह प्रबंधन राष्ट्र से लेकर स्थानीय दोनों स्तर पर होता है. वक्फ निकाय इन सभी दान चीजों का ध्यान रखता है.
कैसे शुरू हुए वक्फ बोर्ड के अधिकार
बात 1954 की है जब तात्कालिन केंद्र सरकार ने वक्फ बिल पारित किया था. इसके बाद 1964 में केंद्रीय वक्फ काउंसिल बनी. दरअसल 1954 में जवाहरलाल नेहरू की सरकार थी. उन्होंने एक्ट को पास कराने में अहम भूमिका निभाई.
क्या था वक्फ एक्ट का मकसद
नेहरू सरकार ने जब 1954 में इस एक्ट को सदन में पारित किया तो उस समय इसका मकसद था वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना. इसके साथ ही जरूरी प्रावधान भी करना. इस एक्ट के तहत वक्फ की संपत्ति पर दावे से लेकर उसके रख-रखाव तक को लेकर प्रावधान किए गए.
10 साल बाद हुए संशोधन
वक्फ एक्ट पारित होने के 10 साल बाद इसमें संशोधन किया गया. 1964 में एक अल्पसंख्यक मंत्रालय के तहत सेंट्रल वक्फ परिषद का गठन किया गया. इसमें बोर्डों के कामकाज के मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देने के काम करती है. इसके 30 वर्ष बाद 1995 में एक बार फिर एक्ट में बदलाव किए गए. इसके तहत हर प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेशों में भी वक्फ बोर्ड बनाने की मंजूरी दे दी गई. यानी 1995 में नरसिम्हाराव की सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों में बड़ा इजाफा किया.
इसके बाद 2013 में फिर हुआ संशोधन
इसके बाद एक बार फिर यूपीए सरकार में वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन किया गया. तात्कालिन मनमोहन सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में ये संशोधन किया और कहा कि देश पर पहला हक वक्फ बोर्ड का है.
2023 में निरस्त करने के लिए पेश हुआ बिल
वक्फ बोर्ड की लगातार बढ़ती ताकत को लेकर विवाद भी गहराता गया. इसको निरस्त करने के लिए वर्ष 2023 में 8 दिसंबर को वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 को निरस्त करने या फिर निजी सदस्य विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया. इस बिल को उत्तर प्रदेश से बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पेश किया.
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बिल पर बढ़ा विवाद
यादव के बिल पेश करने के साथ ही इसको लेकर विवाद शुरू हो गया. बिल को लेकर मतदान भी कराया गया. इस दौरान बिल पेश करने के समर्थन में राज्यसभा में कुल 53 वोट पड़े जबकि इसके विरोध में सिर्फ 32 ही वोट हुए. इस मौके पर बीजेपी के सांसद ने कहा भी था कि वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 समाज में द्वेष और नफरत बढ़ाने का काम कर रहा है.
वक्फ बोर्ड के पास कुल कितनी संपत्ति
बता दें कि देश में भारतीय रेलवे और कैथोलिक चर्च चके बाद अगर किसी के पास सबसे ज्यादा जमीन है तो वह है वक्फ बोर्ड. आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो वक्फ बोर्ड के पास एक दो नहीं बल्कि 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन वर्तमान समय में है. खास बात यह है कि 2009 में यह जमीन सिर्फ 4 लाख एकड़ थी. लेकिन 14 साल के अंदर जमीन दोगुना से ज्यादा हो गई है. इन जमीनों में ज्यादातर हिस्सा मस्जिद, मदरसा या फिर कब्रगाह के नाम पर है. बता दें कि वर्ष 2022 में जब वक्फ बोर्ड की जमीन का आंकलन किया गया था तो यह 865644 एकड़ थी. यह सभी अचल संपत्तियां हैं.
अंग्रेजों ने भी किया था विरोध
खास बात यह है कि वक्फ बोर्ड या एक्ट को लेकर अंग्रेजों ने भी विरोध किया था. बल्कि अंग्रेजों ने वक्फ बोर्ड को ही अवैध बताया था. अंग्रेजों के शासनकाल में वक्फ की संपत्ति पर कब्जे को लेकर लंबा विवाद चला था. लंदन के प्रिवी काउंसिल तक इस मुद्दे की आंच पहुंची थी. इस विवाद को लेकर ब्रिटेन में चार जजों की एक बेंच भी बैठी और इसको लेकर अपना अहम फैसला सुनाया था. इस दरौन जजों की बेंच ने वक्फ बोर्ड को अवैध बताया था. हालांकि आजादी के बाद ब्रिटिश सरकार की सलाह को भारत सरकार ने नहीं माना.
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एक्ट में क्या बदलाव कर सकती है सरकार
वक्फ एक्ट में बदलाव की तैयारी केंद्र सरकार कर रही है. इसी मानसून सत्र में इसको लेकर अहम फैसला लिया जा सकता है. केंद्र सरकार की ओर से इसमें जो बदलाव किया जा सकता उसके तहत केंद्र वक्फ बोर्ड की ओर से किए गए संपत्ति के दावों की वेरिफिकेशन जरूरी कर सकती है. यही नहीं इसके साथ ही बोर्ड की विवादित संपत्तियों को लेकर भी वेरिफिकेशन को अनिवार्य किया जा सकता है.