Explainer: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव इस वर्ष के अंत तक होना है. लिहाजा राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कसी हुई है. फिर चाहे वह सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष हर तरफ से जोर लगाया जा रहा है. लेकिन महाराष्ट्र में राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो कभी भी सियासत की दशा और दिशा बदलने का माद्दा रखते हैं. उनकी कूटनीति को समझना हर किसी के बस की बात नहीं है. जिस तरह बीते कुछ वक्त में उनकी पार्टी और सिम्बल के जाने से उन्होंने संयम बनाए रखा उससे साफ है कि वह अपनी दिमाग में कहीं न कहीं सही समय का इंतजार कर रहे थे. चुनाव एक ऐसा वक्त होता है किसी भी पार्टी और नेता के लिए महत्वपूर्ण होता है. सत्ता तक ले जाने का ये बड़ा जरिया है ऐसे सभी दलों और नेताओं की कोशिश होती है कि उनके छिपे हुए पत्ते इसी वक्त पर सामने आएं. कुछ ऐसा ही शरद पवार भी कर रहे हैं.
हाल में शरद पवार और छगन भुजबल के बीच एक अहम मुलाकात हुई है. इस मुलाकात की चर्चाएं भी महाराष्ट्र समेत देश के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. शरद पवार ने पहले तो छगन भुजबल को काफी देर तक इंतजार करवाया और इसके बाद दोनों के बीच एक सीक्रेट मुलाकात हुई.
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क्यों हो रही शरद और छगन की मुलाकात की चर्चा
अब आपको बता दें कि इस मुलाकात को लेकर चर्चाएं क्यों को जोरों पर हैं. दरअसल कुछ वक्त पहले जब अजित पवार ने चाचा शरद पवार से बगावत की तो छगन भुजबल भी उनके साथ हो लिए और असली एनसीपी जो अजित के पास है उसमें शामिल हो गए. लेकिन वक्त के साथ उन्हें जिस पद और सम्मान की जरूरत थी वो उन्हें नहीं मिला. लोकसभा चुनाव में एनडीए की सरकार आने के बाद न तो उन्हें कोई मंत्री पद दिया गया और न ही अजित पवार ने उन्हें राज्यसभा भेजा. जाहिर ने छगन भुजबल महाराष्ट्र के वरिष्ठ और कद्दावर नेताओं में आंके जाते हैं. ऐसे में एनसीपी के इस तरह के कदम से वह खुश और संतुष्ट दोनों ही नहीं थे.
शरद पवार ने चला मास्टर स्ट्रोक
माना जा रहा है कि छगन की नाराजी के बीच शरद पवार ने भी एक मास्टर स्ट्रोक चला है. उन्होंने एक बार फिर एनसीपी के बड़े नेताओं को जोड़ने की कोशिश शुरू कर दी है. यानी छगन भुजबल की वापसी हो सकती है और इसके साथ ही कुछ अन्य नेता भी अजित पवार का साथ छोड़कर दोबार शरद गुट से मिल सकते हैं.
सूत्रों की मानें तो छगन भुजबल और शरद पवार के बीच इसी को लेकर एक अहम बातचीत हुई है. चुनाव से पहले दोनों की बीच बातचीत को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन दोनों ही ओर से नेता इस पर बयान देने से बच रहे हैं. खुद शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले से भी जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ इस बात की जानकारी है कि दोनों के बीच मुलाकात हुई है. छगन भुजबल किस एजेंडे के तहत बातचीत करने आए थे, इसको लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं है. क्योंकि वह पुणे में हैं और मुलाकात मुंबई में हुई है.
साफ है कि सुप्रिया सुले भी फिलहाल इस मुलाकात से पर्दा उठाने से बच रही हैं. हो सकता है कि शरद पवार ने कुछ ऐसा प्रस्ताव रखा है जिस पर समय आने पर ही रहस्य खोला जा सके. यानी जो कयास लग रहे हैं कि भुजबल समेत कुछ अन्य नेता दोबारा शरद गुट को जॉइन कर सकते हैं तो साफ है शरद पवार अपना मास्टर स्ट्रोक चल चुके हैं.
क्यो बालो छगन भुजगबल
वहीं छगन भुजबल ने इस मुलाकात को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कहा है. उन्हें काफी देर तक क्यों बैठना पड़ा इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वह बिना अपॉइंटमेंट के ही मिलने चले गए थे और शरद पवार सो रहे थे. लिहाजा उन्हें इंतजार करने पड़ा. भुजबल ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच 30 मिनट तक बातचीत हुई. इसमें मराठा आरक्षण समेत कुछ मुद्दे शामिल हैं. बता दें कि मराठा आरक्षण वाले मुद्दे पर पहले ही शरद पवार कह चुके इसमें कानूनी व्यवस्था बनी रहनी चाहिए.
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इसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव में एनडीए की मुश्किल बढ़ा सकता है. क्योंकि अजित पवार की पार्टी का कमजोर होना एनडीए के सहयोगी दल को कमजोर करता है. पहले ही उपचुनाव में भी बीजेपी और एनडीए दल ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं. ऐसे में अगर शरद अपनी चाल चलने में कामयाब होते हैं तो महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव भी एनडीए के हाथ से निकल सकता है.
Source : News Nation Bureau