Farhad Shakeri: अमेरिका नवर्निवाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फिर मारने की साजिश रची गई है. इस बार ट्रंप की हत्या के षड्यंत्र में ईरान का नाम सामने आ रहा है. आरोप है कि पूरा जिम्मा अफगान नागरिक फरहाद शकेरी को सौंपा गया था. उसे ही पूरी कॉन्स्पिरेसी (Conspiracy) का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. ट्रंप के मर्डर की इस ईरानी साजिश का खुलासा बड़ा ही खौफनाक है, लेकिन उससे पहले आइए जानते हैं कि फरहाद शकेरी कौन है.
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IRGC के संपर्क में था फरहाद शकेरी
डोनाल्ड ट्रंप की हत्या साजिश बड़ी ही चौंकाने वाली है, जिसके केंद्र में फरहाद शकेरी में है. एक रिपोर्ट के अनुसार, फरहाद शकेरी पर ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के इशारे पर ट्रंप को मारने की साजिश का आरोप लगाया गया है. मामले में दो अन्य लोगों जोनाथन लोडहोल्ट (Jonathan Loadholt) और कार्लिस्ले रिवेरा (Carlisle Rivera) को शुक्रवार को न्यूयॉर्क में अरेस्ट किया गया था. जोनाथन और कार्लिस्ले दोनों ही अमेरिकी नागरिक हैं, जिन पर आरोप है कि उन्होंने एक अन्य ईरानी-अमेरिकी शख्स की निगरानी में ईरानी सरकार की मदद की.
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कौन है फरहाद शकेरी? (Who is Farhad Shakeri)
फरहाद शकेरी ईरान की राजधानी तेहरान का रहने वाला है. वह 51 वर्षीय है. बचपन में अमेरिका आकर बस गया था. अपने शुरुआती जीवन में ही फरहाद ने आपराधिक दुनिया में कदम रखा. 1994 में वो डकैती के मामले में दोषी पाया. उसे 14 साल की सजा हुई. 2005 में उसे एक अन्य जेल में ट्रांसफर किया गया, जहां उसकी मुलाकात कार्लिस्ले रिवेरा से हुई.
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जेल से छूटने के बाद भी फरहाद शकेरी क्राइम से अपना नाता नहीं तोड़ा. 2019 में फिर वो हेरोइन स्मगलिंग के मामले में श्रीलंका में अरेस्ट हुआ था. जेल में रहते हुए शकेरी ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के संपर्क में आया. वो उनके लिए काम करने लगा. समय के साथ फरहाद के ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के साथ संबंध और भी गहरे हो गये. वर्तमान में यह माना जा रहा है कि वह अफगानिस्तान में ईरानी सरकार के साथ जुड़ा हुआ है.
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साजिश में कैसे शामिल फरहाद?
शामिल फरहाद पर आरोप है कि उसे ईरानी नेतृत्व ने डोनाल्ड ट्रंप की जासूसी करने और फिर मारने का टारगेट दिया गया था. इस साजिश को अमल में लाने के लिए कई सीक्रेट मीटिंग्स भी हुई थीं. मामले में ये भी पता चला है कि ईरानी नेतृत्व में फरहाद शकेरी से कहा था इस ऑपरेशन के लिए बेहिसाब पैसा मिलेगा. खुलासा हुआ है कि ट्रंप को मारने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद का समय रखा गया था, क्योंकि साजिशकर्ताओं को लगता है कि चुनाव में हारने के बाद ट्रंप को मारना अधिक आसान होगा.
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