Heavy Rain Flood News: जुलाई के महीने में देश के कई हिस्सों में बाढ़ और बारिश का कहर शुरू हो चुका है. पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक में भारी बरसात हो रही है. इसकी वजह से नदियां उफान पर हैं. दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में खूब बारिश हो रही है. आलम ये है कि इनमें से कई राज्यों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. वहीं पूर्वोत्तर राज्य असम में तो सबसे बुरे हालत हैं. यहां बाढ़ ने हाहाकार मचा रखा है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत सहित पूरी दुनिया में बारिश अब धीरे-धीरे उत्तर की ओर शिफ्ट होने लगी है. आखिर उत्तर में क्यों ज्यादा बरस रहे बादल और बारिश बदलते इस पैटर्न के क्या मायने.
उत्तर भारत में बढ़ती बारिश का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान जैसे कम बारिश वाले इलाकों में अब भारी बरसात होने लगी है. राजस्थान के टोंक में मूसलाधार बारिश के कारण टोंक जिले के 12 से ज्यादा गांवों में बाढ़ जैसे हालाल बन गए. लावा गांव, पांसरोटिया गांव और चांदसेन गांव बारिश के चलते तालाब बन गए हैं. कई लोग हादसे का भी शिकार हुए.
बीकानेर में बारिश के चलते तीन लोगों की मौत हो गई. टोंक में पानी के तेज बहाव में एक ट्रक पलट गया. बड़ी मुश्किल से ट्रक ड्राइवर और उसके सहयोगी को बचाने में कामयाबी मिली. बीते 24 घंटे में जयपुर, टोंक, सीकर, चूरू, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, झुंझुनूं, अलवर, भरतपुर, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, नागौर, चित्तौड़गढ़, बारां, कोटा, बूंदी के अलावा पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर में बारिश हुई है.
पहाड़ों में बढ़ी बारिश की मुसीबत
बारिश को लेकर सबसे ज्यादा खतरा पहाड़ी राज्यों में है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में उफनते नाले में 35 लोग फंस गए थे. अच्छी बात यह है कि वक्त रहते एसडीआरएफ और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई. धीरे-धीरे करके सभी लोगों का रेस्क्यू कर लिया गया. इस इलाके में पहले हादसा हो चुका है. गुरूवार को नाला पार करते वक्त दो कांवडिए बह गए थे.
बरसात से उत्तराखंड के कई इलाकों में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. यहां अलकनंदा नदी उफान पर है. अलकनंदा में एक घंटे के अंदर 2 मीटर जल स्तर बढ़ चुका है. नदी किनारे बनी इमारतों में पानी घुस चुका है. बद्रीनाथ क्षेत्र में लगातार बारिश से रुद्रप्रयाग में स्थिति बिगड़ती जा रही है.
चमोली की स्थिति भी जुदा नहीं हैं. यहां भी अलकनंदा नदी उफान पर है. बदरीनाथ हाईवे पर स्थिति बिगड़ चुकी है. कई रास्ते बंद हो चुके हैं. कर्ण प्रयाग में भी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. यहां नदियों में उफान से स्थिति बिगड़ी हुई है. उत्तराखंड में बारिश से आफत की ये स्थिति तस्दीक करती है कि किस तरह उत्तर की तरफ बरसात का प्रकोप बढ़ रहा है.
उत्तर में क्यों ज्यादा बरस रहे बादल?
जानकारों का कहना है कि लगातार कार्बन उत्सर्जन और क्लाइमेट चेंज के कारण बरसात का पैटर्न बदल चुका है. बारिश उत्तर दिशा की तरफ शिफ्ट हो रही है. हिमालय में भारी बरसात से हो रही तबाही को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. पहाड़ी इलाकों में तमाम नदियां उफान पर हैं.
चमोली में मंदाकिनी नदी की खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, यहां लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है. पहाड़ों में बारिश के साथ लैंडस्लाइड का भी खतरा बढ़ चुका है. चमोली में लैंडस्लाइड से यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पहाड़ी राज्यों में अलर्ट है. देश के दूसरे हिस्सों में भी स्थिति खराब है.
असम में बाढ़ से मचा हाहाकार
असम में फिर बाढ़ की आफत है. असम में एक बार फिर सैलाब से स्थिति खराब हो चुकी है. अबतक 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. यहां के 29 जिलों में 21 लाख की आबादी प्रभावित हुई है. यहां ब्रह्मपुत्र नदी में उफान से स्थिति बिगड़ी हुई है. हजारों लोग बाढ़ की वजह से बेघर हो चुके हैं. बरसात ने गुवाहाटी को बदरंग कर दिया है. शहर के कई इलाकों में जलजमाव है. उत्तर भारत से लेकर उत्तर पूर्व के इलाकों में बिगड़ते हालात बता रहे हैं कि बारिश किस तरह भारत के उत्तरी इलाकों को प्रभावित रही है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कुछ दशकों की तुलना में बारिश इस समय 0.2 डिग्री उत्तर की ओर चली गई है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के क्लाइमेट साइंटिस्ट्स की स्टडी के मुताबित अगले 20 साल तक इसी तरह दुनिया के उत्तरी हिस्से में ज्यादा बारिश का कहर बरपेगा यानि आने वाले दो दशक उत्तराखंड से लेकर हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं. 20 साल के दौरान यहां भारी बरसात से भयंकर तबाही आ सकती है.
Source : News Nation Bureau