भारत के कुछ हिस्सों में भारी बारिश और कई इलाकों में कम पानी गिरने से खाद्यान्न उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है. देश समेत विदेशों में भी खाद्यान्न संकट मंडरा रहा है. खाने पीने की चीजें पहले के मुकाबले महंगी हुई है. भारत के कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश नहीं होने से धान की रोपाई सही तरीके से नहीं हो पाई है. जिससे कई इलाके सूखे पड़े हैं. वहीं, कई क्षेत्रों में पर्याप्त पानी से बाढ़ आ गई. सब्जियों और दालों की कीमतें काफी बढ़ गईं. साल की शुरुआत से टमाटर की कीमत में 400% की वृद्धि हुई और प्याज और आलू की कीमतें भी अस्थिर हैं. इस बीच भारत ने बासमती चावलों की नियार्त पर रोक लगाई है. सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया गया जब देश में चावलों के उत्पादन कम हुए हैं. इस सबके बीच अब ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय समूह एचएसबीसी ने भी आशंका जताई है कि भारत में अनाज की कमी है. इससे कीमतें और बढ़ सकती हैं और लोगों की जेबों और ढीली हो सकती हैं. हालांकि, आने वाले दिनों में सब्जियों की कीमतों की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है.
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत में सिर्फ टमाटर ही महंगा नहीं हुआ है, बल्कि खाने पीने की कई चीजों के दामों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. विशेष रूप से चावल और गेहूं जैसे अनाजों की कमी भी चिंता की मुख्य वजह है. मोटे अनाज यानी चावल, गेहूं, दालों की पैदावार कम होने से कीमतें बढ़ सकती हैं. आम लोगों पर दोहरी मार पड़ सकती है. एक तरफ दुनिया के कई देश मंदी की चपेट में हैं. वहीं, भारत पर भले ही मंदी की आहट नहीं हुई है, लेकिन खाद्यन्न की कमी के चलते खाने-पीने के सामान महंगे हो सकते हैं.
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मार्च 2024 तक और बढ़ेगी महंगाई
HSBC की मानें तो भारत में खाने पीने के सामानों की कीमतों में अभी और बढ़ोतरी हो सकती है. अगले साल मार्च 2024 तक महंगाई 5 फीसदी तक पहुंच सकती है. क्योंकि इस साल उत्तर-पश्चिम भारत में चावल की फसल अच्छी तरह से नहीं लगाई गई है ,जबकि दक्षिण और पूर्व में पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपनी नही हैं. किसानों के सामने सूखे की समस्या से निपटना बड़ी चुनौती बनी हुई है.
दरअसल, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है. भारत कई देशों को चावल निर्यात करता है, लेकिन इस बार कुछ जगहों पर सूखा और कई हिस्सों में भारी बारिश से धान की रोपाई नहीं हो पायी है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक और अगले साल की पहली तिमाही में चावल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है. इसके अलावा, अगर चावल का उत्पादन प्रभावित होता है, तो इससे गेहूं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका उपयोग कुछ मामलों में चावल के विकल्प के रूप में किया जाता है. अगर भारत में चावल की कीमतें प्रभावित होती हैं तो इसका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखने को मिल सकता है. ग्लोबल लेवल पर फूड की कीमतों प्रभावित हो सकती हैं.
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ब्लैक सी ग्रेन डील रद्द होने से महंगे होंगे अनाज
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने बड़ा फैसला लिया है. रूस ने यूक्रेन के साथ ब्लैक सी ग्रेन डील को रद्द कर दी. इसी डील से ग्लोबल फूड क्राइसिस पैदा हो सकती है. रूस के इस फैसले का हर तरफ विरोध हो रहा है. यहां तक की संयुक्त राष्ट्र ने भी ने कहा है कि इससे लाखों लोगों के भूख से मरने का खतरा बढ़ जाएगा. यूक्रेन फूड सप्लाई के मामले में विश्व में अव्वल देशों में से एक है. अगर यूक्रेन खाद्य पदार्थ रोक देता है तो दुनिया में इसका असर तेजी से दिखने लगेगा. कई यूरोपीय देशों के अलावा अफ्रीका में लोगों के भूख से मरने का खतरा पैदा हो गया.खास बात यह है कि यूक्रेन फूड आइटम्स के अलावा बड़ी तादाद में फर्टिलाइजर भी निर्यात करता है.
सरकार महंगाई को काबू में करने के लिए कर रही काम
अगर भारत की बात करें तो अनाज की कमी सरकार को भी परेशानी में डाल सकती है. क्योंकि इसी साल के आखिरी में चार राज्यों में चुनाव होने हैं. वहीं, अगले साल लोकसभा चुनाव हैं. प्रधानमंत्री मोदी के लिए बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करना जरूरी है. सरकार महंगाई कम करने के लिए कई मोर्चे पर काम कर रही है. सरसो तेल, दाल और चावलों की कीमतों को नियंत्रण में करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. महंगाई से निपटने के लिए सरकार ने हाल ही में देश से चावल का निर्यात बंद कर दिया है.
HIGHLIGHTS
- भारत के कुछ हिस्सों में बारिश तो कई इलाके सूखे की चपेट में
- देश में गहरा सकता है खाद्यान्न संकट
- महंगाई रोकने के लिए सरकार ने उठाए ये कदम
Source : News Nation Bureau