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Karnataka Elections: चुनाव में प्रवासी वोटरों को पक्ष में करने बीजेपी ने चुनी खास रणनीति, जानें

पाटीदार आंदोलन का नेतृत्व करने वाले गुजरात के विधायक हार्दिक पटेल, एमपी भाजपा प्रमुख एमडी शर्मा, सूरत के विधायक प्रवीण घोघरी, महाराष्ट्र के विधायक विनोद तावड़े, झारखंड के मनीष जायसवाल और कई अन्य को कई प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई.

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Nihar Saxena
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बेंगलुरु की 28 विधानसभा सीटों पर गैर कन्नड़ भाषी वोटर निर्णायक.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Elections 2023) में प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रवासी आबादी पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं. भाजपा ने इन मतदाताओं को लुभाने के लिए उत्तर और पश्चिमी भारत में पार्टी शासित राज्यों के 50 से अधिक युवा विधायकों, सांसदों और पदाधिकारियों को तैनात किया है. उत्तर भारत और दक्षिण भारत से लाखों प्रवासियों (Migrants) के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में निर्णायक होने के साथ भाजपा उनसे जुड़ने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. कर्नाटक (Karnataka) बीजेपी के सूत्रों ने पुष्टि की कि इन युवा नेताओं को दूसरे राज्यों से तैनात करना पार्टी द्वारा मतदाताओं से जुड़ने के लिए अपनाई गई कई रणनीतियों (Strategy) में से एक है. पाटीदार आंदोलन का नेतृत्व करने वाले गुजरात के विधायक हार्दिक पटेल (Hardik Patel), मध्य प्रदेश भाजपा प्रमुख एमडी शर्मा, सूरत के विधायक प्रवीण घोघरी, महाराष्ट्र के विधायक विनोद तावड़े, झारखंड के मनीष जायसवाल और कई अन्य को कई प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

बेंगलुरु और महादवेपुरा समेत कई पॉकेट्स में प्रवासी मतदाता भारी तादाद में
कर्नाटक बीजेपी के एक नेता के मुताबिक इन नेताओं को चुनावी अभियान में शामिल करने का उद्देश्य राज्य के बाहर की आबादी विशेष रूप से उत्तर भारतीय लोगों के साथ पार्टी का जुड़ाव सुनिश्चित करना है. कई वर्षों तक बेंगलुरु में तमाम उत्तर भारतीय निवासी राज्य विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से दूर रहे, क्योंकि वे अपने-अने गृह राज्यों में नामांकित थे. हालांकि इस बार कई लोगों ने कर्नाटक के विभिन्न शहरों की चुनावी सूची में नाम दर्ज कराया है. खासकर बेंगलुरु दक्षिण और महादेवपुरा में. एक पार्टी के रूप में उनके साथ भी जुड़ना बीजेपी की सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन तक पहुंचने में कन्नड़ भाषी नेताओं की एक बड़ी समस्या भाषा है और इस अंतर को इन प्रभावशाली लोगों द्वारा पाटा जाएगा.

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अन्य दक्षिण भाषी वोटरों के लिए उनके गृह राज्य के नेता
भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, 'इन्हें हर निर्वाचन क्षेत्र में पैरा-ड्रॉप किया गया है और वे रोजाना जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं से जुड़ेंगे. निर्वाचन क्षेत्र के प्रभारी यानी स्थानीय भाजपा प्रमुख पार्टी के साथ संपर्क और प्रचार गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे. ये प्रमुख नेता जमीनी स्तर पर पार्टी की पहुंच की देखरेख करते हुए बूथ प्रभारियों, प्रमुखों और कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ेंगे. कई स्थानों पर तो वे मतदाताओं से बातचीत करने के लिए कार्यकर्ताओं के साथ घूम चुके हैं. राज्य के बाहर प्रवासी आबादी के बीच हिंदी भाषा के प्रमख सेतु है और ये नेता इन समाजों के बीच उम्मीदवार की पहुंच बढ़ाएंगे.' उत्तर भारतीय भाजपा नेताओं की तर्ज पर ही केरल और तमिलनाडु के कुछ नेताओं को महादेवपुरा, सर्वज्ञ नगर और सीवी रमन नगर में तमिल और मलयाली भाषी आबादी के साथ संपर्क करने के लिए शहर में लाया गया है.

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25 से 30 हजार की प्रवासी आबादी है महत्वपूर्ण
बीजेपी के एक उम्मीदवार ने कहा कि भले ही प्रवासी आबादी वोक्कालिगा या ओबीसी जितनी प्रभावी नहीं हो, लेकिन चुनाव परिणामों के लिहाज से कई स्थानों पर निर्णायक भूमिका में है. बीटीएम लेआउट, महादेवपुरा, सीवी रमन नगर, बयातारायणपुरा और बैंगलोर दक्षिण में औसतन 25,000-30,000 की प्रवासी आबादी है और चुनाव परिणाम पक्ष में करने के लिए उनका समर्थन महत्वपूर्ण है. 2018 के विधानसभा चुनाव में बेंगलुरु से कांग्रेस 28 निर्वाचन क्षेत्रों में से 15 विधायकों की जीत के साथ सबसे आगे थी. हालांकि बाद में तीन विधायक भाजपा में शामिल हो गए और उसके विधायकों की संख्या 15 हो गई. ऐसे में 28 निर्वाचन क्षेत्रों वाला बेंगलुरु अर्थव्यवस्था और राजनीतिक प्रभाव दोनों के लिहाज से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है.

HIGHLIGHTS

  • बीजेपी ने गैर कन्नड़ भाषी मतदाताओं को लुभाने की छेड़ी मुहिम
  • हार्दिक पटेल समेत एमपी, महाराष्ट्र के नेताओं को प्रचार में उतारा
  • कई इलाकों में प्रवासी आबादी के वोट 25 से 30 हजार के लगभग

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