दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) को सिंगापुर दौरे पर जाने के लिए केंद्र की अनुमति नहीं मिली थी. इसके बाद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi) को पत्र लिखा था. इसके अलावा संसद का मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) शुरू होते ही आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party के राज्यसभा सांसदों ने इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन भी किया. इससे पहले AAP के सांसद संजय सिंह मे इस मामले को सर्वदलीय बैठक में भी उठाया था. उन्होंने सदन में भी इस मुद्दे को उठाए जाने की मांग की.
एक चुने हुए मुख्यमंत्री को विदेश यात्रा के लिए केंद्र सरकार से इजाजत ना मिलने को लेकर तमाम तरह की राजनीतिक चर्चाएं उठने लगी हैं. आइए, जानते हैं कि क्या किसी मुख्यमंत्री को विदेश जाने के लिए केंद्र की अनुमति लेना अनिवार्य है. साथ ही मुख्यमंत्री को किस तरह की विदेश यात्राओं के लिए केंद्र सरकार से इजाजत लेना होती है. इसके अलावा मुख्यमंत्रियों की विदेश यात्राओं को लेकर देश में मौजूदा नियम क्या हैं.
केंद्र का नियम और संशोधन
केंद्रीय सचिवालय की तरफ से राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, लोकसभा-राज्यसभा सांसद, की विदेश यात्रा को लेकर 26 अगस्त 2010 को एक गाइडलाइन जारी की गई थी. इसके अनुसार विदेश यात्रा पर जाने से पहले इन सभी को प्रधानमंत्री कार्यालय की मंजूरी लेनी होती थी. 6 मई 2015 को 2010 की गाइडलाइंस में कुछ संशोधन किए गए. इसके बाद किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री या मंत्री को किसी भी आधिकारिक या निजी विदेश यात्रा पर जाते हैं, तो उन्हें केंद्रीय सचिवालय और विदेश मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी.
पब्लिक सर्वेंट्स की विदेश यात्रा के नियम
- मौजूदा नियमों के तहत किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्री केंद्रीय गृह मंत्रालय की इजाजत के बिना आधिकारिक विदेश यात्रा नहीं कर सकता है.
- रिपोर्ट के एक अनुसार, सभी पब्लिक सर्वेंट्स को विदेश यात्रा के लिए पॉलिटिकल क्लियरेंस की जरूरत पड़ती है. इसमें मुख्यमंत्रियों, राज्य के मंत्रियों और राज्य के अन्य अधिकारियों को भी इकोनॉमिक अफेयर्स से मंजूरी की आवश्यकता होती है.
- केंद्रीय मंत्रियों के लिए विदेश मंत्रालय से पॉलिटिकल अप्रूवल मिलने के बाद प्रधानमंत्री से अतिरिक्त मंजूरी की जरूरत होती है. भले ही उनकी यात्रा आधिकारिक हो या कोई निजी यात्रा हो.
- लोकसभा सांसदों को स्पीकर से और राज्यसभा सदस्यों को सभापति (भारत के उपराष्ट्रपति) से विदेश यात्रा मंजूरी की आवश्यकता होती है.
- ऐसे में हर पब्लिक सर्वेंट को अलग अलग लोगों से इजाजत लेनी पड़ती है.
- साल 2016 तक ऑनलाइन ही पॉलिटिकल क्लियरेंस कर दिया जाता था. हर मंत्रालय की ओर से ही ये काम कर दिया जाता था.
- इसके साथ ही FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) क्लियरेंस भी जरूरी है. हालांकि, अगर संयुक्त राष्ट्र का बुलावा हो तो इसकी जरूरत नहीं होती.
FCRA क्लियरेंस क्यों
केंद्र सरकार ने नए नियमों के तहत विधान सभा सदस्यों, राजनीतिक दलों, सरकारी अधिकारियों, न्यायाधीशों और मीडिया के लोगों को किसी भी तरह के विदेशी मदद लेने से रोका गया है. इसलिए विदेश यात्रा से पहले FCRA क्लियरेंस जरूरी होता है.
FCRA क्या है?
FCRA वेबसाइट के मुताबिक 1976 में इसे पारित किया गया और 2020 में इसमें कई संशोधन किए गए. FCRA के अंतर्गत कोई भी सहायता प्रदान करने वाली संस्था या NGO विदेशों से आसानी से कुछ लाभ ले सकती है. FCRA का कार्य विदेशी मदद का विनियमन करना है. साथ ही ये सुनिश्चित करना है कि इस तरह की सहायता से आतंरिक सुरक्षा को कोई खतरा पैदा नहीं हो.
इससे पहले जिन्हें नहीं मिली इजाजत
अरविंद केजरीवाल को इससे पहले साल 2019 में भी विदेश में पर्यावरण के मुद्दे पर बोलने के लिए डेनमार्क जाना था. केंद्र सरकार ने तब यह कहते हुए पॉलिटिकल क्लीयरेंस नहीं दी थी कि ये शिखर सम्मेलन मेयर स्तर का है. इसमें मुख्यमंत्री का जाना ठीक नहीं है.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी इंडोनेशिया के बाली में 21 से 24 जून तक आयोजित एवीपीएन ग्लोबल कॉन्फ्रेंस-2022 में जाने के लिए केंद्र सरकार ने अनुमति नहीं दी थी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तीन बार विदेश दौरे पर जाने की इजाजत नहीं मिली थी. दिसंबर 2021 में को विदेश मंत्रालय ने नेपाल जाने की इजाजत नहीं दी थी. सितंबर 2021 में इटली जाने की अनुमति नहीं दी गई थी. इससे पहले सितंबर 2018 में उन्हें केंद्र ने शिकागो में होने वाली 'वर्ल्ड हिंदू कॉन्फ्रेंस' में जाने की मंजूरी नहीं दी. केंद्र का कहना था कि ममता बनर्जी ने वहां जाने की मंजूरी ही नहीं मांगी थी.
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अक्टूबर 2018 में केंद्र सरकार ने केरल सरकार के मंत्रियों को 17 देशों की यात्रा पर जाने की मंजूरी नहीं दी थी. मंत्री केरल में आई बाढ़ के लिए देशों से राहत सामग्री के लिए रकम जुटाने के लिए यात्रा करने वाले थे. हालांकि, केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को विदेश जाने की इजाजत दे दी थी.
यूपीए शासन के दौरान असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को अमेरिका और इजरायल जाने की इजाजत नहीं मिली थी.
झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को जून 2011 में बैंकॉक (थाइलैंड) जाने की इजाजत नहीं मिली थी.
दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को भी विदेश जाने की इजाजत नहीं मिली थी.
HIGHLIGHTS
- साल 2016 तक ऑनलाइन ही पॉलिटिकल क्लियरेंस कर दिया जाता था
- अनुमति को लेकर अरविंद केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा
- AAP के सांसद संजय सिंह ने इस मामले को सर्वदलीय बैठक में उठाया