Nancy Pelosi Meets With Dalai Lama: एक बार फिर नैंसी पेलोसी का दौरा अमेरिका और चीन के बीच तनाव का तूफान लेकर आया है. अमेरिकी संसद की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी ने आज यानी बुधवार को भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात की है, जो आने वाले दिनों में अमेरिका और चीन के बीच जंग की चिंगारी को भड़का सकती है, क्योंकि 2022 में जब नैंसी ने ताइवान का दौरा किया था. तब दोनों देशों की सेनाएं के बीच जंग होते-होते टली थी. अब एक बार फिर दुनिया की चिंता दोनों सुपरपावर को आमने-सामने देख बढ़ गई हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि नैंसी पेलोसी का दलाई लामा से मिलने का क्या मकसद है?
नैंसी पेलोसी जब दलाई लामा से मिलने के लिए धर्मशाला पहुंची तो उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया. इस दौरे पर पेलोसी के साथ अमेरिकी कांग्रेस का 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है, जिसमें रिपब्लिकन पार्टी के सांसद माइकल मैककॉल और फॉरेन अफेयर कमेटी के मेंबर भी मौजूद हैं. सभी नेताओं ने तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा उनके आवास पर मुलाकात की. यह मीटिंग करीब एक घंटे चली. इस दौरान मैककॉल ने दलाई लामा को अमेरिकी संसद में पारित तिब्बत से जुड़े बिल 'द रिजॉल्व तिब्बत एक्ट' की फ्रेमयुक्त प्रति भेंट की.
कब पारित हुआ था ये बिल?
'द रिजॉल्व तिब्बत एक्ट' 12 जून को अमेरिकी संसद में पारित हुआ था. इसे अमेरिकी संसद के दोनों सदनों ने मंजूरी भी दे दी है. बिल के कानून बनने से तिब्बत पर चीन का दावा खारिज हो जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अभी इस बिल पर अभी दस्तखत होने बाकी हैं. हालांकि चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से कहा है कि वो इस बिल पर साइन नहीं करें.
'...तिब्बियों को मिले आजादी'
दलाई लामा से मुलाकात के बाद अमेरिका चीन को साफ संदेश दे दिया है कि वो तिब्बत के साथ खड़ा हुआ है. अमेरिकी प्रतिनिधि कांग्रेस सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने कहा, 'चीन चाहे तो अपनी नाखुशी जाहिर कर सकता है. हम जो सही है, उसके पक्ष में खड़े होंगे. सही यह है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि तिब्बतियों को आजादी मिले. वे अपनी भूमि पर वापस लौट सकें और अपनी संस्कृति और इतिहास को बनाए रख सकें. यही महत्वपूर्ण है.'
#WATCH | Himachal Pradesh: US Representative Congressman Gregory Meeks says, "China can express unhappiness if it wants. We are going to stand for what is right. What is right is to make sure that Tibetans have freedom. They are able to return to their native land and they are… pic.twitter.com/aEAaO1qFle
— ANI (@ANI) June 19, 2024
ऐसा ही कुछ संदेश धर्मशाला के त्सुगलागखांग कॉम्प्लेक्स में आयोजित कार्यक्रम में नैंसी पेलोसी ने अपने भाषण में दिया. उन्होंने तिब्बत के लिए चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि, 'बदलाव आने वाला है. हम लंबे समय से तिब्बत के मुद्दे पर लड़ रहे थे. हमने इस पर द रिजॉल्व तिब्बत एक्ट पारित किया है, जो चीनी सरकार को संदेश देता है कि तिब्बत की आजादी के मुद्दे पर हमारी सोच और हमारी समझ एकदम स्पष्ट है.'
#WATCH | Himachal Pradesh: During the public felicitation programme at Tsuglagkhang Complex in Dharamshala, Former US House Speaker Nancy Pelosi says "...You heard our colleagues talk about this legislation that was passed last week. We had been fighting this for a long time and… pic.twitter.com/KlnbMTa1vU
— ANI (@ANI) June 19, 2024
नैंसी पेलोसी की दलाई लामा से मुलाकात का मकसद
1. तिब्बत-चीन के बीच खुले बातचीत का रास्ता
बताया जा रहा है कि नैंसी पेलोसी की दलाई लामा से इस मीटिंग के बीच भी यही कोशिश है कि चीन और दलाई लामा में समझौता हो सके और बातचीत का रास्ता खुल सके. 2010 के बाद से चीन और तिब्बत के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है.
2- अमेरिकी चुनाव में तिब्बत का मुद्दा
इनके अलावा नैंसी पेलोसी के दलाई लाला से मिलाकात की दूसरी बड़ी वजह अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को भी माना जा रहा है. रिपब्लिकन पार्टी पहले से ही तिब्बत का समर्थन करती रही है. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2020 में तिब्बत पर समर्थन के बिल पर दस्तखत किए थे. अबकी बार चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी ने तिब्बत को बड़ा मुद्दा बनाया है और राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रिजॉल्ट तिब्बत एक्ट का दांव चला है.
3. चीन को कड़ा संदेश देना मकसद
ताकि चीन के खिलाफ अमेरिका की सख्त नीति का संदेश वोटर्स को दिया जा सके. इसलिए नैंसी पेलोसी को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दलाई लामा से मुलाकात के लिए भेजा है. अमेरिका चीन को कड़ा संदेश देना चाहता है कि अमेरिका तिब्बती लोगों के साथ खड़ा हुआ है. दलाई लामा और तिब्बती प्रशासन के सिक्योंग पेनपा त्सेरिंग ही तिब्बती लोगों को प्रतिनिधि हैं.
4. ताइवान के बाद तिब्बत पर चीन को घेरना
तिब्बत की आजादी के लिए अमेरिकी कोशिशें दिखती हैं कि अमेरिका चीन को दोतरफा घेरना चाहता है. एक तरफ अमेरिका ताइवान के साथ (चीन के साथ विवाद में) खड़ा दिखता है. अमेरिका ने ताइवान को चीन से मुकाबला करने के लिए सैन्य साजो सामान मुहैया कराए हैं. वहीं, अमेरिका तिब्बत के समर्थन में आवाज बुलंद करता है. ऐसे में उसकी ये कोशिशें चीन को तिब्बत और ताइवान के मुद्दे पर दो तरफा घेरने की हैं. वहीं राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्लान है कि चुनाव में बीजिंग को कड़ा संदेश देने की बात को मजबूती से उठा सकें.
नैंसी पेलोसी का तिब्बत से लगाव
यह पहला मौका नहीं जब तिब्बती लोगों को तिब्बत की आजादी के लिए प्रोत्साहित करने की नैंसी पेलोसी ने पहल की है. 2008 में वे दलाई लामा से धर्मशाला आकर मुलाकात कर चुकी हैं. ये नैंसी पेलोसी ही हैं, जिन्होंने 'द तिब्बत पॉलिसी एक्ट' पास करने में मदद की थी. ये एक्ट 2019 में अमेरिकी संसद में पास हुआ था. इस एक्ट के जरिए अमेरिका तिब्बत की पहचान बचाने की आवाज को उठाता है.
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Source : News Nation Bureau